ETV Bharat / city

नवरात्रि के तीसरे दिन करें देवी चंद्रघंटा की उपासना, अलौकिक शक्तियों का होगा प्रसार

नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरी रूप देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. बता दें देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र होता है. इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. मां चंद्रघंटा के अराधना से भक्तों में वीरता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है.

Worship Goddess Chandraghanta, देवी चंद्रघंटा की उपासना, मां दुर्गा के तीसरी रूप देवी चंद्रघंटा,  Chandraghanta the third form of Maa Durga, जयपुर खबर, jaipur news
मां दुर्गा का तीसरा रुप देवी चंद्रघंटा
author img

By

Published : Mar 27, 2020, 8:56 AM IST

जयपुर- नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर बहुत ही विधि-विधान से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं. ऐसे में नवरात्र के तीसरे दिन शुक्रवार को मां दुर्गा की तीसरी शक्ति देवी चंद्रघंटा की आराधना का महत्व है. इनकी पूजा करने से दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है. साथ ही कई तरह की ध्वनियां सुनाई देने लगती हैं. देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी होता है.

मां दुर्गा का तीसरा रुप देवी चंद्रघंटा

शेर पर सवार देवी चंद्रघंटा की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है. इनके घंटे के भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं. इसलिए नवरात्रि के तीसरे दिन इस देवी की पूजा का विशेष महत्व है. देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं.

इसलिए कहा जाता है की, हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करनी चाहिए. उनका ध्यान हमारे इंद्रलोक और परलोक दोनों के लिए कल्याणकारी और सद्गति देने वाला कहा गया है. देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र होता है. इसलिए इन्हें देवी चंद्रघंटा कहा जाता है.

यह भी पढ़ेंः जयपुर के रामगंज में मिला का कोरोना का 1 पॉजिटिव, इलाके को किया गया सेनेटाइज

दस हाथों के साथ सोने के समान चमकीला शरीर और खड़क और अस्त्र-शस्त्र से विभूषित देवी चंद्रघंटा की आराधना से भक्तों में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है.

इसलिए मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विधि-विधान के अनुसार पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना करनी चाहिए. इससे भक्त, सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज परम पद के अधिकारी बन सकते हैं.

जयपुर- नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर बहुत ही विधि-विधान से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं. ऐसे में नवरात्र के तीसरे दिन शुक्रवार को मां दुर्गा की तीसरी शक्ति देवी चंद्रघंटा की आराधना का महत्व है. इनकी पूजा करने से दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है. साथ ही कई तरह की ध्वनियां सुनाई देने लगती हैं. देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी होता है.

मां दुर्गा का तीसरा रुप देवी चंद्रघंटा

शेर पर सवार देवी चंद्रघंटा की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है. इनके घंटे के भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं. इसलिए नवरात्रि के तीसरे दिन इस देवी की पूजा का विशेष महत्व है. देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं.

इसलिए कहा जाता है की, हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करनी चाहिए. उनका ध्यान हमारे इंद्रलोक और परलोक दोनों के लिए कल्याणकारी और सद्गति देने वाला कहा गया है. देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र होता है. इसलिए इन्हें देवी चंद्रघंटा कहा जाता है.

यह भी पढ़ेंः जयपुर के रामगंज में मिला का कोरोना का 1 पॉजिटिव, इलाके को किया गया सेनेटाइज

दस हाथों के साथ सोने के समान चमकीला शरीर और खड़क और अस्त्र-शस्त्र से विभूषित देवी चंद्रघंटा की आराधना से भक्तों में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है.

इसलिए मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विधि-विधान के अनुसार पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना करनी चाहिए. इससे भक्त, सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज परम पद के अधिकारी बन सकते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.