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World TB Day : फेफड़े के कैंसर की गलत पहचान बढ़ा सकती है मृत्युदर, जानिये क्या कहते हैं विशेषज्ञ - jaipur news

आज वर्ल्ड टीबी-डे है. टीबी अभी भी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारियों में से एक है. इसके वैक्सीन बनने के बाद इसकी रोकथाम हुई है, लेकिन अभी भी यह दुनिया को परेशान किए हुए है. फेफड़े के कैंसर और टीबी के लक्षणों में समानता के कारण कई बार फेफड़े के कैंसर, रोग की पहचान और उपचार की शुरुआत में देरी देखी जाती है. सही समय पर रोग की सही पहचान ना होने के कारण रोगी को कैंसर मुक्त करना काफी मुश्किल हो जाता है. जानिये क्या कहते हैं कैंसर विशेषज्ञ और क्या हैं बचाव के उपाय...

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आज वर्ल्ड टीबी-डे
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Published : Mar 24, 2021, 2:01 PM IST

जयपुर. कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार फेफड़ों के कैंसर के अधिकांश रोगी अपनी बीमारी की शुरुआती अवस्था को टीबी मानकर उसका उपचार करवा रहे होते हैं और रोग के फैलने के बाद कैंसर की पहचान होती है. ऐसे में रोगी के शरीर में कैंसर फैल चुका होता है.

क्या कहते हैं कैंसर विशेषज्ञ...

भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. दीपक गुप्ता ने बताया कि खांसी, लम्बे समय तक बुखार, सांस का फूलना जैसे लक्षण टीबी और फेफडें के कैंसर दोनों ही बीमारियों में होते हैं. ऐसे में लंबे समय तक रोगी के सही रोग की पहचान नहीं हो पाती है. डॉ. गुप्ता ने बताया कि फेफड़े के कैंसर और टीबी दोनों की बीमारी में धूम्रपान सामान्य कारण है.

पढ़ें : ऐतिहासिक कार्रवाई: खाकी को दागदार करने वाले कांस्टेबल के खिलाफ महज 13 घंटे में पेश किया चालान, सेवा से भी बर्खास्त

धूम्रपान के कारण बढ़ रही मृत्युदर...

विश्वभर में 80 लाख और देशभर में 13 लाख लोग तंबाकू की वजह से अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं. पुरुषों में कैंसर से होने वाली मौतों में फेफड़े का कैंसर प्रथम स्थान पर है. फेफड़े के कैंसर का प्रमुख कारण स्मोकिंग है. प्रदेश में हर साल 77 हजार मौतें तंबाकू की वजह से हो रही हैं.

ऐसे पहचानें...

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इन लक्षणों की पहचान है जरूरी...

जागरूकता जरूरी...

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लंग कैंसर के प्रमुख कारण...

लंग कैंसर रोग की गलत पहचान होने या पहचान ना होने की वजह से रोगी के सही उपचार की शुरुआत नहीं हो पाती है. भारत जैसे विकासशील देशों में इस रोग की देर से पहचान का मुख्य कारण आमजन में जागरूकता की कमी है. बुखार, खांसी और सांस फूलने की स्थिति में अगर रोगी टीबी का उपचार ले रहा है और दो सप्ताह तक उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो रोगी डॉक्टर से सम्पर्क कर पुन: जांच करवाए.

जयपुर. कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार फेफड़ों के कैंसर के अधिकांश रोगी अपनी बीमारी की शुरुआती अवस्था को टीबी मानकर उसका उपचार करवा रहे होते हैं और रोग के फैलने के बाद कैंसर की पहचान होती है. ऐसे में रोगी के शरीर में कैंसर फैल चुका होता है.

क्या कहते हैं कैंसर विशेषज्ञ...

भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. दीपक गुप्ता ने बताया कि खांसी, लम्बे समय तक बुखार, सांस का फूलना जैसे लक्षण टीबी और फेफडें के कैंसर दोनों ही बीमारियों में होते हैं. ऐसे में लंबे समय तक रोगी के सही रोग की पहचान नहीं हो पाती है. डॉ. गुप्ता ने बताया कि फेफड़े के कैंसर और टीबी दोनों की बीमारी में धूम्रपान सामान्य कारण है.

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धूम्रपान के कारण बढ़ रही मृत्युदर...

विश्वभर में 80 लाख और देशभर में 13 लाख लोग तंबाकू की वजह से अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं. पुरुषों में कैंसर से होने वाली मौतों में फेफड़े का कैंसर प्रथम स्थान पर है. फेफड़े के कैंसर का प्रमुख कारण स्मोकिंग है. प्रदेश में हर साल 77 हजार मौतें तंबाकू की वजह से हो रही हैं.

ऐसे पहचानें...

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इन लक्षणों की पहचान है जरूरी...

जागरूकता जरूरी...

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लंग कैंसर के प्रमुख कारण...

लंग कैंसर रोग की गलत पहचान होने या पहचान ना होने की वजह से रोगी के सही उपचार की शुरुआत नहीं हो पाती है. भारत जैसे विकासशील देशों में इस रोग की देर से पहचान का मुख्य कारण आमजन में जागरूकता की कमी है. बुखार, खांसी और सांस फूलने की स्थिति में अगर रोगी टीबी का उपचार ले रहा है और दो सप्ताह तक उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो रोगी डॉक्टर से सम्पर्क कर पुन: जांच करवाए.

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