जयपुर. 17 मई विश्व हाइपरटेंशन डे (World Hypertension Day 2022) के रूप में मनाया जाता है. चिकित्सकों का मानना है कि नमक की ज्यादा उपयोग और तली हुई खाद्य वस्तुओं के अधिक उपयोग के कारण हाइपरटेंशन के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इसके अलावा बीते 2 वर्ष में पूरा विश्व कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आया, जिसके बाद भी हाइपरटेंशन के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. हाइपरटेंशन के बढ़ते मामलों के बाद ह्रदय संबंधी बीमारियों मे भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट की मानें तो देश में महिलाओं के बजाय पुरुषों में हाइपरटेंशन के मामले सर्वाधिक देखने को मिले हैं. रिपोर्ट के अनुसार देश के 24 फीसदी पुरुष और 21 फीसदी महिलाएं हाइपरटेंशन की शिकार है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मोहित शर्मा का कहना है कि बदलता लाइफस्टाइल हाइपरटेंशन का एक प्रमुख कारण है. डॉक्टर शर्मा का कहना है कि हमारे बिगड़ते खानपान के चलते लोग उच्च रक्तचाप यानी हाइपरटेंशन का शिकार हो गए हैं.
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उनका कहना है कि खाने में अधिक नमक के उपयोग और स्वाद के चलते अधिक तली हुई चीजों के सेवन के बाद आमतौर पर व्यक्ति हाइपरटेंशन का शिकार हो जाता है. ऐसे में डॉक्टर मोहित शर्मा का कहना है कि यदि हाइपरटेंशन जैसी बीमारी से बचना है तो लाइफ स्टाइल में बदलाव काफी जरूरी है. उनका कहना है कि शारीरिक व्यायाम नहीं करने के कारण खाना अच्छे से डाइजेस्ट नहीं होता इसके अलावा अत्यधिक फास्ट फूड के उपयोग के कारण भी लोग हाइपरटेंशन जैसी बीमारी का शिकार हो रहे हैं.
अन्य बीमारियों के शिकार: आमतौर पर चिकित्सकों का मानना है कि हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप की बीमारी से घिरने के बाद मरीज जल्द ही अन्य बीमारियों की चपेट में भी आ जाता है. जिनमें सबसे मुख्य बीमारियां ह्रदय संबंधी है. इसके अलावा लकवा, किडनी, लीवर, नाक से खून आना, आंखों की रोशनी कम होने का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है. आमतौर पर माना जाता है कि 50 वर्ष की उम्र के बाद हाइपरटेंशन जैसी बीमारी की चपेट में लोग आते हैं. लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि जैसे-जैसे खानपान में बदलाव आ रहा है, लाइफस्टाइल बदल रही है वैसे वैसे अब युवा भी इसकी चपेट में आने लगे हैं.
राजस्थान के आंकड़े: प्रदेश के आंकड़ों की बात करें तो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में भी महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में हाइपरटेंशन के मामले अधिक देखने को मिले हैं. पुरुषों में जहां लगभग 17.9 प्रतिशत हाइपरटेंशन के मामले सामने आए हैं तो वहीं महिलाओं में 15.4 प्रतिशत हाइपरटेंशन के मामले देखने को मिले हैं. इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में महिला और पुरुषों में ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले अधिक हाइपरटेंशन के मामले सामने आए हैं. चिकित्सकों का कहना है कि लाइफ स्टाइल में बदलाव के बाद हाइपरटेंशन जैसी बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है. चिकित्सकों का कहना है कि इसके लिए नियमित व्यायाम और योगा जरूरी है.
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वहीं, ईएसआई मॉडल हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ श्याम सुंदर का कहना है कि हाइपरटेंशन जैसी बीमारी के लिए लोगों को जागरूक करना काफी जरूरी है और इसी लिए 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे के रूप में मनाया जाता है. श्याम सुंदर का कहना है कि इस बार वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे की थीम रखा गया है कि अपने ब्लड प्रेशर को सही तरीके से नापे, इसे कंट्रोल कीजिए और एक लंबी जिंदगी जिएं. उनका कहना है कि ह्रदय संबंधी बीमारियों से होने वाली मौत के लिए हाइपरटेंशन एक प्रमुख कारण माना गया है. ऐसे में यदि लंबे समय तक किसी मरीज में अन कंट्रोल ब्लड प्रेशर लंबे समय तक रहेगा तो उसे क्रॉनिकल डिजीज होने का खतरा सबसे अधिक रहता है तो ऐसे में अपने ब्लड प्रेशर पर नजर बनाए रखना जरूरी है.