जयपुर. शहर में रेलवे कॉलोनी के अरावली सभागार में इंटरनेशनल जस्टिस मिशन नई दिल्ली और आरपीएफ की ओर से मानव तस्करी रोकथाम पर कार्यशाला आयोजित की गई. कार्यशाला में रेलवे पुलिस फोर्स, जीआरपी टीटीईएस सहित अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ स्टाफ मौजूद रहा.
कार्यशाला में मौजूद जीआरपी और आरपीएफ के जवानों और अधिकारियों को मानव तस्करी रोकथाम संबंधित विभिन्न जानकारियां दी गई. मानव तस्करी को रोकने के लिए बेहतर कार्य करने के बारे में भी बताया गया. कार्यशाला का शुभारंभ उत्तर पश्चिम रेलवे के आरपीएफ के महानिदेशक और सह प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त एस मयंक ने किया.
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आरपीएफ के आईजी एस मयंक ने बताया कि मानव तस्करी को रोकने के लिए रेलवे सुरक्षा बल की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया गया है. कार्यशाला में रेलवे सुरक्षा बलों को मानव तस्करी से जुड़े मुद्दों पर जानकारी दी गई है और उन पर किस-किस तरह की कारवाई की जानी चाहिए, इसके बारे में भी बताया गया. साथ ही यह भी बताया गया कि इसमें रेल सुरक्षा बल का क्या रोल होना चाहिए.
मानव तस्करी की रोकथाम आरपीएफ के लिए एक बड़ी चुनौती है. 70 प्रतिशत मानव तस्करी के मामले भारतीय रेलवे के द्वारा ही होते हैं. इसलिए भारतीय रेलवे में आरपीएफ की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है. लाखों की संख्या में रोजाना रेलवे स्टेशनों पर लोगों का आवागमन होता है और इस भीड़ में किस प्रकार मानव तस्करी की पहचान हो उसके लिए सभी आरपीएफ के जवानों और अधिकारियों को पैनी नजर बनाए रखने की जरूरत है.
इसके साथ ही स्टेशन पर आने जाने वाले संदिग्ध व्यक्तियों को तुरंत प्रभाव से पूछताछ कर उसकी पहचान की जाए. जिससे देशभर में मानव तस्करी पर अंकुश लगाया जा सके और रेलवे द्वारा होने वाली मानव तस्करी नहीं हो. आईजी आरपीएफ एस मयंक ने बताया कि त्योहारी सीजन में मानव तस्करी की वारदात ज्यादा होने की संभावना रहती है. रेलवे स्टेशन पर मानव तस्करी से बच्चों और महिलाओं की पहचान कर दलालों के चंगुल से छुटकारा दिलाने में सहायता मिलेगी.