जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और रोजगार से जुड़ी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि ये योजनाएं समावेशी विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. गांव-ढाणी में बैठे हर जरूरतमंद व्यक्ति को समय पर इनका लाभ मिले, इसके लिए मिशन मोड में काम करते हुए योजनाओं को गति दी जाए.
सीएम अशोक गहलोत बुधवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पर वीसी के जरिए राज्य विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की पहली बैठक को संबोधित कर रहे थे. करीब 3 घंटे तक चली इस बैठक में मुख्यमंत्री ने मनरेगा, प्रधानमंत्री फसल बीमा, जल जीवन मिशन, समग्र शिक्षा अभियान और नेशनल हैल्थ मिशन से संबंधित योजनाओं की प्रगति की गहन समीक्षा की.
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राज्य विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की पहली बैठक में मनरेगा, प्रधानमंत्री फसल बीमा, जल जीवन मिशन, समग्र शिक्षा अभियान तथा नेशनल हैल्थ मिशन से सम्बन्धित योजनाओं की प्रगति की गहन समीक्षा की। #Rajasthan pic.twitter.com/UuCrEOaXxk
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">राज्य विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की पहली बैठक में मनरेगा, प्रधानमंत्री फसल बीमा, जल जीवन मिशन, समग्र शिक्षा अभियान तथा नेशनल हैल्थ मिशन से सम्बन्धित योजनाओं की प्रगति की गहन समीक्षा की। #Rajasthan pic.twitter.com/UuCrEOaXxk
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'आमजन को रोजगार से जोड़ने के लिए मनरेगा योजना वरदान साबित हुई'
मुख्यमंत्री ने कहा कि आमजन को रोजगार से जोड़ने के लिए मनरेगा योजना वरदान साबित हुई है. कोविड के चुनौतीपूर्ण दौर में इसकी महत्ता और बढ़ी है. राजस्थान इस योजना के क्रियान्वयन में सदैव अग्रणी रहा है और आगे भी इसी भावना के साथ काम किया जाए. उन्होंने निर्देश दिए कि 100 दिन का रोजगार पूरा करने वाले बारां की सहरिया एवं खेरवा और उदयपुर की कथौड़ी जनजाति के मनरेगा श्रमिकों को 50 दिन का अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें.
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मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि बीते 2 वर्षाें में नियोजित परिवारों की संख्या 50.65 लाख से बढ़कर 69.96 लाख हो गई है. साथ ही 99.69 फीसदी श्रमिकाें को 15 दिवस में भुगतान सुनिश्चित किया गया है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार ने राज्य प्रीमियम की हिस्सा राशि देकर किसानों के फसल बीमा का भुगतान सुनिश्चित किया है.
सीएम गहलोत ने निर्देश दिए कि योजना की बाधाओं को दूर करने और पारदर्शितापूर्वक संचालन के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं. इसके लिए अन्य राज्यों में किए गए नवाचारों का अध्ययन किया जाए. बैठक में बताया गया कि खरीफ-2019 में सभी 17 लाख 55 हजार किसानों के करीब 3153 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है. इसी प्रकार रबी 2019-20 में 920 करोड़ रुपए के क्लेम में से करीब 777 करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को कर दिया गया है.
गांव-ढाणी में स्वच्छ पेयजल पहुंचाना सर्वोच्च प्राथमिकता
रबी 2019-20 में 8 जिलों के काश्तकारों का फसल बीमा भुगतान लंबित था, जिसमें से 7 जिलों के लिए राज्यांश प्रीमियम जारी कर दिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के हर गांव-ढाणी में स्वच्छ पेयजल पहुंचाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. इसके लिए जल जीवन मिशन योजना को गति दी जाए. उन्होंने कहा कि राजस्थान की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए केन्द्र और राज्य की 50ः50 की भागीदारी पर संचालित हो रही इस योजना के फंडिंग पैटर्न में बदलाव की आवश्यकता है.
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आमजन को रोजगार से जोड़ने के लिए मनरेगा योजना वरदान साबित हुई है। कोविड के चुनौतीपूर्ण दौर में इसकी महत्ता और बढ़ी है। राजस्थान इस योजना के क्रियान्वयन में सदैव अग्रणी रहा है। आगे भी इसी भावना के साथ काम किया जाए।
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बैठक में निर्णय लिया गया कि केंद्र शासित प्रदेशों और उत्तर-पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों की तरह राजस्थान की दुर्गम एवं रेगिस्तानी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यहां भी यह योजना 90ः10 की भागीदारी में संचालित करने के लिए केंद्र सरकार से फिर अनुरोध किया जाए. बैठक में बताया गया कि मिशन को गति देने के लिए सभी 33 जिलों में जिला स्तरीय और 43 हजार गांवों में से 38 हजार गांवों में ग्राम पेयजल स्वच्छता समितियों का गठन कर दिया गया है. शेष गांवों में भी जल्द ही इनका गठन हो जाएगा.
'गांव-ढाणी तक मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना मुख्य लक्ष्य'
गहलोत ने कहा कि प्रदेश के गांव-ढाणी तक मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना हमारा मुख्य लक्ष्य है. इसको ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मॉडल सीएचसी विकसित की जाएं. राज्य की आवश्यकता के अनुरूप जिला अस्पतालों की संख्या बढ़ाने के लिए योजना तैयार की जाए. स्वास्थ्य केन्द्रों पर पर्याप्त चिकित्सा उपकरण एवं अन्य संसाधन उपलब्ध कराए जाएं ताकि लोगों को इलाज के लिए शहरों तक नहीं जाना पड़े.
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बेहतरीन क्रियान्वयन से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट आई है. साथ ही वर्ष 2005 में प्रदेश में संस्थागत प्रसव मात्र 32 फीसदी होते थे, वे अब बढ़कर 84 फीसदी हो गए हैं.