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क्या सहाड़ा में कांग्रेस कर बैठी चूक? लादूलाल पितलिया का नामांकन वापस लेना पड़ सकता है भारी...भाजपा के लिए अवसर - Letter already had come to Congress leaders

लादूलाल पितलिया का नामांकन वापस लेना कांग्रेस पर भारी पड़ सकता है. क्योंकि पितलिया के नामांकन वापस लेने का संबंधी पत्र और आडियो पहले ही कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को मिल चुकी थी लेकिन उन्होंने शीर्ष स्तर पर कोई वार्ता नहीं की. ऐसे में इस चूक से भाजपा की चुनौती जरूर कुछ कम हो गई है.

लादूलाल पितलिया का नामांकन वापस मामला, कांग्रेस नेताओं के पास आ चुका था लेटर,  जयपुर समाचार, Battle of Sahada by-election, Ladulal Pitlia's nomination back matter
सहाड़ा उपचुनाव का रण
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Published : Apr 3, 2021, 6:00 PM IST

जयपुर. राजस्थान में 3 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं लेकिन आज अगर सबसे ज्यादा चर्चा किसी विधानसभा सीट की हो रही है तो वह है सहाड़ा विधानसभा सीट की. और सबसे ज्यादा जिस प्रत्याशी की चर्चा हो रही है वह कांग्रेस और भाजपा के नहीं, बल्कि बीजेपी के बागी लादूलाल पितलिया की है, जिन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया है. इस चर्चा का सबसे बड़ा कारण है कि लादूलाल पितलिया के नामांकन वापसी में भाजपा के दबाव बनाने के आरोप लगाया गया है. इस मामले में भले ही कांग्रेस अब भाजपा नेताओं पर निशाना साध रही है और भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या करने के आरोप लगा रही है लेकिन हकीकत यह है की नामांकन वापसी से भाजपा उत्साहित है.

सहाड़ा उपचुनाव का रण

पढ़ें: सहाड़ा उपचुनाव: बागी पितलिया की नाम वापसी से भाजपा की खिली बांछें, अब त्रिकोणीय हुआ मुकाबला

वहीं इस घटना को कांग्रेस के रणनीतिकारों की ओर से बड़ी चूक मानी जा रही है, क्योंकि लादूलाल पितलिया का पत्र 30 मार्च को ही सहाड़ा का चुनावी प्रबंधन संभाल रहे कांग्रेस नेताओं के पास आ चुका था, बावजूद इसके इन नेताओं ने न तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और ना ही पार्टी के आला नेताओं को इस बारे में अवगत कराया और मामले को हल्के में ले लिया. यही कारण रहा कि भाजपा ने अपनी रणनीति को आगे बढ़ाते हुए भाजपा नेता पितलिया से नामांकन वापस करवाने में सफलता प्राप्त कर ली. कहा जा रहा है कि यह पत्र और ऑडियो स्थानीय स्तर पर वायरल होने के बावजूद कांग्रेस के नेता हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे जबकि नेताओं को चाहिए था कि वह पितलिया के पत्र और ऑडियो वायरल हो जाने के बाद पूरी सक्रियता दिखाते और उनपर मैदान छोड़ने के लिए बनाए जा रहे दबाव को कम करवाते.

पढ़ें: स्पेशलः उपचुनाव के 'रण' में बीजेपी के दिग्गजों की अग्नि परीक्षा, पूनिया और अरुण सिंह समेत इन नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर

और क्योंकि पितलिया का लेटर और ऑडियो वायरल होने के बावजूद पार्टी नेताओं की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए गए. इससे अब कांग्रेस का थिंकटैंक नाराज भी है. हालांकि अब कांग्रेस के बड़े नेता भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाकर चुनाव में बढ़त लेने का प्रयास कर रहे हैं. हालांकि जो पत्र वायरल हो रहा है उसकी सत्यता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि पत्र सादे कागज पर लिखा गया है, इसमें लादूलाल पितलिया का न तो लेटर पैड इस्तेमाल हुआ है ना ही किसी को यह पता है कि यह लादूलाल ने ही लिखा है.

हांलाकि पत्र और ऑडियो सही हो या ना हो जब कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के पास यह लेटर और ऑडियो पहले आ चुके थे तो आलाकमान को इससे अवगत नहीं करवाना और नामांकन वापस होने के बाद ऑडियो और लेटर सामने लाने पर कहीं ना कहीं कांग्रेस के स्थानीय स्तर पर सहाड़ा का चुनाव संभाल रहे नेताओं की रणनीति पर सवाल खड़े हुए हैं. संभवत इस चूक के बाद खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा और प्रदेश प्रभारी अजय माकन इन उपचुनाव का पूरा चार्ज अपने हाथों में ले लें.

जयपुर. राजस्थान में 3 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं लेकिन आज अगर सबसे ज्यादा चर्चा किसी विधानसभा सीट की हो रही है तो वह है सहाड़ा विधानसभा सीट की. और सबसे ज्यादा जिस प्रत्याशी की चर्चा हो रही है वह कांग्रेस और भाजपा के नहीं, बल्कि बीजेपी के बागी लादूलाल पितलिया की है, जिन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया है. इस चर्चा का सबसे बड़ा कारण है कि लादूलाल पितलिया के नामांकन वापसी में भाजपा के दबाव बनाने के आरोप लगाया गया है. इस मामले में भले ही कांग्रेस अब भाजपा नेताओं पर निशाना साध रही है और भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या करने के आरोप लगा रही है लेकिन हकीकत यह है की नामांकन वापसी से भाजपा उत्साहित है.

सहाड़ा उपचुनाव का रण

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वहीं इस घटना को कांग्रेस के रणनीतिकारों की ओर से बड़ी चूक मानी जा रही है, क्योंकि लादूलाल पितलिया का पत्र 30 मार्च को ही सहाड़ा का चुनावी प्रबंधन संभाल रहे कांग्रेस नेताओं के पास आ चुका था, बावजूद इसके इन नेताओं ने न तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और ना ही पार्टी के आला नेताओं को इस बारे में अवगत कराया और मामले को हल्के में ले लिया. यही कारण रहा कि भाजपा ने अपनी रणनीति को आगे बढ़ाते हुए भाजपा नेता पितलिया से नामांकन वापस करवाने में सफलता प्राप्त कर ली. कहा जा रहा है कि यह पत्र और ऑडियो स्थानीय स्तर पर वायरल होने के बावजूद कांग्रेस के नेता हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे जबकि नेताओं को चाहिए था कि वह पितलिया के पत्र और ऑडियो वायरल हो जाने के बाद पूरी सक्रियता दिखाते और उनपर मैदान छोड़ने के लिए बनाए जा रहे दबाव को कम करवाते.

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और क्योंकि पितलिया का लेटर और ऑडियो वायरल होने के बावजूद पार्टी नेताओं की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए गए. इससे अब कांग्रेस का थिंकटैंक नाराज भी है. हालांकि अब कांग्रेस के बड़े नेता भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाकर चुनाव में बढ़त लेने का प्रयास कर रहे हैं. हालांकि जो पत्र वायरल हो रहा है उसकी सत्यता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि पत्र सादे कागज पर लिखा गया है, इसमें लादूलाल पितलिया का न तो लेटर पैड इस्तेमाल हुआ है ना ही किसी को यह पता है कि यह लादूलाल ने ही लिखा है.

हांलाकि पत्र और ऑडियो सही हो या ना हो जब कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के पास यह लेटर और ऑडियो पहले आ चुके थे तो आलाकमान को इससे अवगत नहीं करवाना और नामांकन वापस होने के बाद ऑडियो और लेटर सामने लाने पर कहीं ना कहीं कांग्रेस के स्थानीय स्तर पर सहाड़ा का चुनाव संभाल रहे नेताओं की रणनीति पर सवाल खड़े हुए हैं. संभवत इस चूक के बाद खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा और प्रदेश प्रभारी अजय माकन इन उपचुनाव का पूरा चार्ज अपने हाथों में ले लें.

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