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मंत्रिमंडल पर माकन की चर्चा से पहले सियासी हलकों की फिजा गर्म, क्या इस विस्तार में मिलेगा राजस्थान को पूर्णकालिक वित्त मंत्री ! - Ashok Gehlot cabinet

राजस्थान में एक तरफ जहां मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद तेज होने लगी है. वहीं, दूसरी तरफ सरकारी गलियारों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास मौजूद विभागों की सूची का मसला भी सुर्खियों में है. वर्तमान में सीएम गहलोत के पास वित्त के अलावा गृह विभाग, कार्मिक विभाग, आबकारी, नीति नियोजन, सामान्य प्रशासन, सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार, राज्य अन्वेषण ब्यूरो और न्याय जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं.

सीएम अशोक गहलोत, Ashok Gehlot
सीएम अशोक गहलोत
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Published : Jul 26, 2021, 5:56 PM IST

जयपुर. राजस्थान में एक तरफ जहां मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद तेज होने लगी है. वहीं, दूसरी तरफ सरकारी गलियारों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास मौजूद विभागों की सूची का मसला भी सुर्खियों में है. दरअसल विपक्ष लगातार ये मांग करता रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सरकार में अपनी मर्जी चलाने के लिहाज से महत्वपूर्ण विभागों का पोर्टफोलियो खुद ही रखें हुए हैं, जिसका असर राजस्थान की जनता और कामकाज में सीधे रूप से देखा जा रहा है.

दरअसल, वर्तमान में सीएम गहलोत के पास वित्त के अलावा गृह विभाग, कार्मिक विभाग, आबकारी, नीति नियोजन, सामान्य प्रशासन, सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार, राज्य अन्वेषण ब्यूरो और न्याय जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं.

वहीं, सचिन पायलट की बगावत के बाद उनके पास मौजूद विभागों में से एक ग्रामीण विकास और पंचायती राज का कामकाज भी फिलहाल मुख्यमंत्री ही देख रहे हैं. हालांकि, विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर इस विभाग को किसी के खाते में नहीं रखा गया है. ऐसे में यही समझा जा रहा है कि पहले कार्यकाल में वित्त जैसे विभाग को पार्टी के किसी विधायक को सौंपने वाले अशोक गहलोत बाद में वसुंधरा राजे की राह पर चलने लगे, जिसका नतीजा है कि बीते डेढ़ दशक से ज्यादा वक्त में अब मुख्यमंत्री ही खुद के पास वित्त विभाग जैसे महत्वपूर्ण महकमों की जिम्मेदारी को रखते हैं.

पायलट का भी रहा है फोकस

जब अशोक गहलोत अपने तीसरे कार्यकाल के लिये मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले थे, तब सियासी हलको में इस बात की चर्चा थी कि वित्त या गृह विभाग में से कोई एक विभाग सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद के साथ मिल सकता है और इसकी सीधी वजह है कि सरकार में इन अहम महकमों की जिम्मेदारी के साथ ही संबंधित नेता के कद में इजाफा होता है. लेकिन, तब भी गहलोत ने ये विभाग अपने पास रखे थे और पार्टी के प्लेटफार्म पर इस मसले को लेकर अशोक गहलोत को उनके विरोधियों ने कई मर्तबा निशाने पर लेने की कोशिश की थी.

यह भी पढ़ेंः गहलोत का संभावित मंत्रिमंडल: इन चेहरों की हो सकती है विदाई, कुछ पर भारी पड़ेगी पायलट की नाराजगी तो कुछ पर विवाद, जानें पूरा गणित

अरसे से मुख्यमंत्री ही संभालते आ रहे हैं वित्त मंत्री की जिम्मेदारी

11वीं विधानसभा के कार्यकाल के दौरान राजाखेड़ा से विधायक प्रद्युमन सिंह को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वित्त मंत्री बनाया था. इसके बाद 12वीं विधानसभा में वित्त मंत्री का जिम्मा खुद तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे ने संभाला था. हालांकि, तब की भाजपा सरकार में लालसोट से विधायक वीरेन्द्र सिंह को वित्त राज्य मंत्री का जिम्मा सौंपा गया था. इसके बाद 13वीं विधानसभा में अशोक गहलोत, 14वीं विधानसभा में वसुंधरा राजे और हाल में जारी 15वीं विधानसभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही वित्त विभाग जैसे महत्वपूर्ण महकमों को खुद के पास ही रखे हुए हैं.

विधानसभा उपाध्यक्ष का भी इंतजार

राजस्थान विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल में विधानसभा में डिप्टी स्पीकर जैसे महत्वपूर्ण पद पर खाली हैं. ऐसे हालात में माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत क्षेत्रीय, जातीय और पार्टी के अंदर के समीकरणों को साधने के बहाने इस बार के विस्तार में विधानसभा उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर भी नियुक्ति की राह तैयार करेंगे.

जयपुर. राजस्थान में एक तरफ जहां मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद तेज होने लगी है. वहीं, दूसरी तरफ सरकारी गलियारों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास मौजूद विभागों की सूची का मसला भी सुर्खियों में है. दरअसल विपक्ष लगातार ये मांग करता रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सरकार में अपनी मर्जी चलाने के लिहाज से महत्वपूर्ण विभागों का पोर्टफोलियो खुद ही रखें हुए हैं, जिसका असर राजस्थान की जनता और कामकाज में सीधे रूप से देखा जा रहा है.

दरअसल, वर्तमान में सीएम गहलोत के पास वित्त के अलावा गृह विभाग, कार्मिक विभाग, आबकारी, नीति नियोजन, सामान्य प्रशासन, सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार, राज्य अन्वेषण ब्यूरो और न्याय जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं.

वहीं, सचिन पायलट की बगावत के बाद उनके पास मौजूद विभागों में से एक ग्रामीण विकास और पंचायती राज का कामकाज भी फिलहाल मुख्यमंत्री ही देख रहे हैं. हालांकि, विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर इस विभाग को किसी के खाते में नहीं रखा गया है. ऐसे में यही समझा जा रहा है कि पहले कार्यकाल में वित्त जैसे विभाग को पार्टी के किसी विधायक को सौंपने वाले अशोक गहलोत बाद में वसुंधरा राजे की राह पर चलने लगे, जिसका नतीजा है कि बीते डेढ़ दशक से ज्यादा वक्त में अब मुख्यमंत्री ही खुद के पास वित्त विभाग जैसे महत्वपूर्ण महकमों की जिम्मेदारी को रखते हैं.

पायलट का भी रहा है फोकस

जब अशोक गहलोत अपने तीसरे कार्यकाल के लिये मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले थे, तब सियासी हलको में इस बात की चर्चा थी कि वित्त या गृह विभाग में से कोई एक विभाग सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद के साथ मिल सकता है और इसकी सीधी वजह है कि सरकार में इन अहम महकमों की जिम्मेदारी के साथ ही संबंधित नेता के कद में इजाफा होता है. लेकिन, तब भी गहलोत ने ये विभाग अपने पास रखे थे और पार्टी के प्लेटफार्म पर इस मसले को लेकर अशोक गहलोत को उनके विरोधियों ने कई मर्तबा निशाने पर लेने की कोशिश की थी.

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अरसे से मुख्यमंत्री ही संभालते आ रहे हैं वित्त मंत्री की जिम्मेदारी

11वीं विधानसभा के कार्यकाल के दौरान राजाखेड़ा से विधायक प्रद्युमन सिंह को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वित्त मंत्री बनाया था. इसके बाद 12वीं विधानसभा में वित्त मंत्री का जिम्मा खुद तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे ने संभाला था. हालांकि, तब की भाजपा सरकार में लालसोट से विधायक वीरेन्द्र सिंह को वित्त राज्य मंत्री का जिम्मा सौंपा गया था. इसके बाद 13वीं विधानसभा में अशोक गहलोत, 14वीं विधानसभा में वसुंधरा राजे और हाल में जारी 15वीं विधानसभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही वित्त विभाग जैसे महत्वपूर्ण महकमों को खुद के पास ही रखे हुए हैं.

विधानसभा उपाध्यक्ष का भी इंतजार

राजस्थान विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल में विधानसभा में डिप्टी स्पीकर जैसे महत्वपूर्ण पद पर खाली हैं. ऐसे हालात में माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत क्षेत्रीय, जातीय और पार्टी के अंदर के समीकरणों को साधने के बहाने इस बार के विस्तार में विधानसभा उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर भी नियुक्ति की राह तैयार करेंगे.

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