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तीसरी संतान दिव्यांग होने पर चाइल्ड केयर लीव का लाभ क्यों नहींः राजस्थान हाईकोर्ट - राजस्थान हाईकोर्ट

प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के तीसरी संतान दिव्यांग को चाइल्ड केयर लीव का लाभ नहीं मिलने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है.

जयपुर न्यूज, rajasthan news, rajasthan high court
तीसरी संतान दिव्यांग होने पर चाइल्ड केयर लीव का लाभ क्यों नहीं
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Published : Feb 17, 2020, 8:59 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख शिक्षा सचिव, अतिरिक्त मुख्य वित्त सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है, कि सरकारी कर्मचारी के तीसरी संतान दिव्यांग होने पर उसे चाइल्ड केयर लीव का लाभ क्यों नहीं दिया गया. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश अशोक गौड़ की खंडपीठ ने यह आदेश रमादेवी की याचिका पर दिए.

तीसरी संतान दिव्यांग होने पर चाइल्ड केयर लीव का लाभ क्यों नहीं

बता दें, कि याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया, कि याचिकाकर्ता द्वितीय श्रेणी शिक्षक पद पर कार्यरत हैं. उसका तीसरा बच्चा दुर्घटना होने के चलते सौ फीसदी दिव्यांग हो गया है. याचिकाकर्ता की ओर से उसकी देखभाल के लिए विभाग में प्रार्थना पत्र पेश कर चाइल्ड केयर लीव स्वीकृत करने की गुहार की. जिसे विभाग ने खारिज करते हुए कहा कि 22 मई 2018 की राज्य सरकार की अधिसूचना के तहत दो वरिष्ठतम बच्चों के लालन-पालन के लिए ही चाइल्ड केयर लीव दी जा सकती है.

पढ़ेंः परिवहन विभाग में एसीबी की कार्रवाई का मामला सदन में गूंजा, विपक्ष ने सदन से किया वॉकआउट

वहीं, याचिका में कहा गया कि सामान्य परिस्थिति में यह प्रावधान सही हैं, लेकिन दिव्यांग बच्चे के मामले में इस नियम में शिथिलता देनी चाहिए. याचिका में कहा गया कि सामन्य 18 साल तक के व्यक्ति को बच्चे की परिभाषा में रखा गया है, लेकिन दिव्यांग के मामले में 22 साल तक का व्यक्ति बच्चा माना जाता है. ऐसे में दिव्यांग बच्चे के मामले में नियमों में शिथिलता देकर उसकी देखभाल के लिए चाइल्ड केयर लीव स्वीकृत नहीं चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख शिक्षा सचिव, अतिरिक्त मुख्य वित्त सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है, कि सरकारी कर्मचारी के तीसरी संतान दिव्यांग होने पर उसे चाइल्ड केयर लीव का लाभ क्यों नहीं दिया गया. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश अशोक गौड़ की खंडपीठ ने यह आदेश रमादेवी की याचिका पर दिए.

तीसरी संतान दिव्यांग होने पर चाइल्ड केयर लीव का लाभ क्यों नहीं

बता दें, कि याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया, कि याचिकाकर्ता द्वितीय श्रेणी शिक्षक पद पर कार्यरत हैं. उसका तीसरा बच्चा दुर्घटना होने के चलते सौ फीसदी दिव्यांग हो गया है. याचिकाकर्ता की ओर से उसकी देखभाल के लिए विभाग में प्रार्थना पत्र पेश कर चाइल्ड केयर लीव स्वीकृत करने की गुहार की. जिसे विभाग ने खारिज करते हुए कहा कि 22 मई 2018 की राज्य सरकार की अधिसूचना के तहत दो वरिष्ठतम बच्चों के लालन-पालन के लिए ही चाइल्ड केयर लीव दी जा सकती है.

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वहीं, याचिका में कहा गया कि सामान्य परिस्थिति में यह प्रावधान सही हैं, लेकिन दिव्यांग बच्चे के मामले में इस नियम में शिथिलता देनी चाहिए. याचिका में कहा गया कि सामन्य 18 साल तक के व्यक्ति को बच्चे की परिभाषा में रखा गया है, लेकिन दिव्यांग के मामले में 22 साल तक का व्यक्ति बच्चा माना जाता है. ऐसे में दिव्यांग बच्चे के मामले में नियमों में शिथिलता देकर उसकी देखभाल के लिए चाइल्ड केयर लीव स्वीकृत नहीं चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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