जयपुर: प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ने लगी है. पहले जहां दो हजार से अधिक संक्रमित मामले सामने आ रहे थे, तो वहीं अब आंकड़ों में कुछ गिरावट दर्ज की गई है जो एक राहत भरी खबर है. मंगलवार को प्रदेश से कोरोना संक्रमण के 1796 नए मामले देखने को मिले हैं, जिसके बाद प्रदेश में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 1,89,844 पर पहुंच गई है. अब तक कोरोना से 1867 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, अब कोरोना नियंत्रण में है, लेकिन फिर भी सरकार एहतियात के तौर पर संदिग्ध मरीजों के ज्यादा से ज्यादा सैंपल ले रही है.
प्रदेश में हर दिन 30 हजार से अधिक संदिग्ध मरीजों की जांच की जा रही है. कुछ मामलों में ऐसा भी देखने को मिला है कि पहले मरीज नेगेटिव आया, लेकिन जब दूसरी जगह जांच करवाई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई या फिर पहले मरीज पॉजिटिव आया और निजी या सरकारी स्तर पर होने वाली जांच में मरीज नेगेटिव पाया गया. आखिर रिपोर्ट के हेर-फेर की वजह क्या है. इसके लिए ETV भारत ने जयपुर के मेडिकल चीफ ऑफिसर डॉक्टर नरोत्तम शर्मा से बात की.
डॉक्टर नरोत्तम शर्मा बताते हैं कि कुछ मामलों में ऐसा देखने को मिला है कि कोविड-19 संक्रमित मरीजों की जांच में अंतर आ रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है जांच करने का तरीका या फिर वायरल लोड का अलग-अलग होना. डॉ. शर्मा ने बताया कि गलत तरीके से जांच करने और वायरल लोड की क्षमता अलग होने पर मरीज की जांच में अंतर आ सकता है.
कुछ मामले आए हैं सामने...
कोविड-19 संक्रमित मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव या पॉजिटिव आने को लेकर कई मामले सामने आए हैं. ऐसा ही एक मामला जयपुर के हाईकोर्ट से भी सामने आया था, जहां पहले जज को पॉजिटिव बताया गया, लेकिन जब दूसरी जगह जांच करवाया तो उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई.
मामले को लेकर चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नरोत्तम ने बताया कि कोविड-19 टेस्टिंग मरीज के गले या नाक के स्वाब से की जाती है. अगर सही तरीके से स्वाब नहीं लिया जाए तो मरीज की रिपोर्ट ठीक तरीके से नहीं आती. ऐसे में कई बार रिपीट सैंपल भी कराए जाते हैं.
सभी केंद्रों पर परीक्षण जारी...
मामले को लेकर चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राजधानी जयपुर के सभी जिला अस्पतालों मेडिकल कॉलेज और सीएचसी पर कोविड-19 की जांच बीते 6 माह से लगातार जारी है. इसके अलावा राजधानी जयपुर के कुछ निजी अस्पतालों और निजी लैब को भी सरकार की ओर से जांच की अनुमति दी गई है. ऐसे में बीते 6 माह के बाद प्रदेश में कोविड-19 टेस्टिंग की क्षमता लगभग 30 हजार से अधिक पहुंच चुकी है.
इन टेस्टिंग सेंटर पर चिकित्सा विभाग की टीमें लगातार कोविड-19 संदिग्ध मरीजों के सैंपल इकट्ठे कर रही है और अब जांच रिपोर्ट मोबाइल पर भी भेजी जाती है. अगर किसी मरीज के सैंपल सही तरीके से एकत्रित नहीं होते तो एक बार फिर से उस मरीज के सैंपल एकत्रित किए जाते हैं.
पर्याप्त परीक्षण किट उपलब्ध...
चिकित्सा विभाग ने यह भी दावा किया है कि भले ही प्रदेश में 30 हजार से अधिक कोविड-19 संदिग्ध मरीजों के परीक्षण किए जा रहे हों, बावजूद इसके चिकित्सा विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में कोविड-19 परीक्षण किट उपलब्ध हैं.
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दरअसल, प्रदेश में सिर्फ RT-PCR किट के माध्यम से ही परीक्षण किया जा रहा है और सरकार ने भी दावा किया है कि RT-PCR किट से ही सही रिजल्ट प्राप्त हो रहे हैं.