जयपुर. केंद्रीय कृषि कानून को लेकर पंजाब के बाद राजस्थान में इसके विरोध में आए विधेयक पर सियासी उबाल जारी है. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को राष्ट्रपति से मुलाकात के समय नहीं मिलने के बाद उपजे विवाद पर और इन बिलों को लेकर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी का भी बड़ा बयान आया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में चौधरी ने पंजाब और राजस्थान की सरकारों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया. साथ ही यह भी कहा कि राष्ट्रपति किसी को मिलने का समय कब देंगे, यह तो राष्ट्रपति के विवेक पर ही निर्भर करता है.
कैलाश चौधरी के अनुसार कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद पंजाब के मुख्यमंत्री हैं, क्या पंजाब का कोई भी व्यक्ति जब चाहे उनसे मिल सकता है. ठीक उसी तरह राष्ट्रपति से भले ही कोई भी मिलना चाहे लेकिन यह तय करना राष्ट्रपति का ही विवेक है कि वे किससे कब मिलेंगे. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने जो कृषि बिल पारित किए हैं, वह किसानों के हित में है. उन्होंने कहा कि इससे देश का किसान आत्मनिर्भर बन सकेगा और उसे स्वतंत्रता मिलेगी कि वह अपना उत्पाद कहीं पर भी बेच सकता है.
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'मोदी सरकार ने किसानों को आजादी दी है'
केंद्रीय मंत्री के अनुसार पंजाब में आज 8 फीसदी से अधिक मंडी टैक्स लग रहा है और वहीं राजस्थान में भी गहलोत सरकार मंडी टैक्स लेती है, ऐसे में मोदी सरकार ने किसानों को यह आजादी दी है कि वह मंडी में ही नहीं कहीं पर भी अपना माल बेच सकता है. अभी मंडी के बाहर वह अपना माल बेचेगा तो उसे किसी प्रकार का कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा.
'किसानों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया'
कैलाश चौधरी ने कहा कि कांग्रेस ने 60 साल तक देश में राज किया, लेकिन किसानों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया. कभी उनके हित के लिए कोई निर्णय नहीं किया, जबकि मोदी सरकार ने किसान की आयु को बढ़ाने के लिए और तमाम प्रावधान किए जो कानून में जरूरी थे.
'जो होगा वह नियमों के तहत ही होगा'
चौधरी ने यह भी कहा कि जो विधेयक पंजाब और राजस्थान की विधानसभा में पारित किए गए हैं, उन्हें राजभवन में राज्यपाल अनुमोदित करते हैं या नहीं यह राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करता है. लेकिन जो भी काम होगा वह कानून और नियमों के तहत ही होगा.