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जब राजस्थान आकर मिसाइल मैन डॉ. कलाम बन गए थे मेजर जनरल पृथ्वीराज!

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Published : Jul 27, 2021, 11:04 AM IST

Updated : Jul 27, 2021, 1:57 PM IST

देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) की आज पुण्यतिथि है. प्रेरणा से भरे उनके जीवन में ऐसा बहुत कुछ है जो आज भी हमें सीख देता है. राजस्थान से उनका खास कनेक्शन (Rajasthan Connection) था, खासतौर पर 1998 में जब वे जैसलमेर (Jaisalmer) में उतरे तो उन्होंने अपना नाम बदल लिया. आइए आपको बताते हैं उनके जीवन और भारत के स्वर्णिम इतिहास से जुड़े खास घटनाक्रम के बारे में.

APJ Abdul Kalam Death Anniversary
APJ Abdul Kalam Death Anniversary

जयपुर. राजस्थान के पोखरण में 11 मई 1998 की वो तारीख भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से दर्ज है. पोखरण में एक के बाद एक तीन परमाणु बमों का सफल परीक्षण भला किसे याद नहीं होगा जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी थी. भारत को शक्तिशाली बनाने वाले इस पल के पीछे जिस शख्सीयत की खास मेहनत थी उनका नाम है देश के प्रमुख वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति रहे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम.

आज न ही 11 मई है और न ही परमाणु परीक्षण को लेकर कोई वैश्विक या राष्ट्रीय स्तर की चर्चा लेकिन जिनकी बदौलत भारत दुनिया विश्व के शक्तिशाली देशों में शुमार हुआ, उनसे जरूर जुड़ा है. आज पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि है. उन्हें श्रद्धांजलि देने के मौके पर उनके जीवन के सबसे प्रेरणादायक घटनाक्रम जिक्र बहुत जरूरी है.

पढ़ें: Pokhran Nuclear Test : 11 मई 1998 की वो रात, जब भारत ने मनवाया था न्यूक्लियर पावर का लोहा, दंग रह गई थी दुनिया

15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे डॉ. कलाम कड़ी मेहनत और साहस के चलते ही देश के 11वें राष्ट्रपति के पद तक पहुंचे. यहां हम उनके निर्देशन में किए गए पोखरण परमाणु परीक्षण की बात करेंगे. डॉ. कलाम उस समय रक्षा मंत्रालय में सलाहकार वैज्ञानिक के पद पर थे. एपीजे अब्दुल कलाम 1992 से 1999 यानी 7 सालों तक प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ के सचिव रहे थे.

APJ Abdul Kalam Death Anniversary
FILE PIC : परमाणु परीक्षण के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी के साथ डॉ. अब्दुल कलाम और उनकी टीम

साल 1998 के परमाणु परीक्षणों में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. खास बात यह है कि उन्होंने वैज्ञानिकों की पूरी टीम को लीड किया था. इस मिशन को गोपनीय बनाए रखने के लिए डॉ. कलाम ने निर्देशों पर ही रात में काम होता था. मिशन के लिए डॉ. कलाम ने अपनी पहचान तक छिपा ली थी. बताया जाता है कि उन्होंने आर्मी के वेशभुषा धारण की और अपना नाम बदलकर मेजर जनरल पृथ्वीराज रख लिया था. उनके साथ काम करने वाली वैज्ञानिकों की टीम को भी कुछ ऐसा ही करना पड़ा था.

पढे़ं: 23 वर्ष पूर्व जब पोकरण के धमाके से स्तब्ध रह गई दुनिया, जानें पूरी गौरव गाथा

डॉ. कलाम की टीम के काम करने के लिए खेतोलाई गांव में एक डीयर पार्क बनाया गया था जिसमें गोपनीय तरीके से कंट्रोल रूम चलता था. इसकी कमान खुद मेजर जनरल पृथ्वीराज (डॉ. कलाम) के हाथों में थी. परमाणु परीक्षण अभियान-2 को उनकी देखरेख में बखूबी अंजाम दिया गया. 11 मई 1998 को जब एक के बाद एक पांच विस्फोट हुए तो अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों की आंखें फटी की फटी रह गई. इसके बाद भारत की मिसाइल परियोजनाओं के विकास में योगदान के लिए उन्हें 'मिसाइल मैन' कहा जाता है. उनका निधन 27 जुलाई 2015 को हुआ था.

जयपुर. राजस्थान के पोखरण में 11 मई 1998 की वो तारीख भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से दर्ज है. पोखरण में एक के बाद एक तीन परमाणु बमों का सफल परीक्षण भला किसे याद नहीं होगा जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी थी. भारत को शक्तिशाली बनाने वाले इस पल के पीछे जिस शख्सीयत की खास मेहनत थी उनका नाम है देश के प्रमुख वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति रहे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम.

आज न ही 11 मई है और न ही परमाणु परीक्षण को लेकर कोई वैश्विक या राष्ट्रीय स्तर की चर्चा लेकिन जिनकी बदौलत भारत दुनिया विश्व के शक्तिशाली देशों में शुमार हुआ, उनसे जरूर जुड़ा है. आज पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि है. उन्हें श्रद्धांजलि देने के मौके पर उनके जीवन के सबसे प्रेरणादायक घटनाक्रम जिक्र बहुत जरूरी है.

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15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे डॉ. कलाम कड़ी मेहनत और साहस के चलते ही देश के 11वें राष्ट्रपति के पद तक पहुंचे. यहां हम उनके निर्देशन में किए गए पोखरण परमाणु परीक्षण की बात करेंगे. डॉ. कलाम उस समय रक्षा मंत्रालय में सलाहकार वैज्ञानिक के पद पर थे. एपीजे अब्दुल कलाम 1992 से 1999 यानी 7 सालों तक प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ के सचिव रहे थे.

APJ Abdul Kalam Death Anniversary
FILE PIC : परमाणु परीक्षण के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी के साथ डॉ. अब्दुल कलाम और उनकी टीम

साल 1998 के परमाणु परीक्षणों में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. खास बात यह है कि उन्होंने वैज्ञानिकों की पूरी टीम को लीड किया था. इस मिशन को गोपनीय बनाए रखने के लिए डॉ. कलाम ने निर्देशों पर ही रात में काम होता था. मिशन के लिए डॉ. कलाम ने अपनी पहचान तक छिपा ली थी. बताया जाता है कि उन्होंने आर्मी के वेशभुषा धारण की और अपना नाम बदलकर मेजर जनरल पृथ्वीराज रख लिया था. उनके साथ काम करने वाली वैज्ञानिकों की टीम को भी कुछ ऐसा ही करना पड़ा था.

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डॉ. कलाम की टीम के काम करने के लिए खेतोलाई गांव में एक डीयर पार्क बनाया गया था जिसमें गोपनीय तरीके से कंट्रोल रूम चलता था. इसकी कमान खुद मेजर जनरल पृथ्वीराज (डॉ. कलाम) के हाथों में थी. परमाणु परीक्षण अभियान-2 को उनकी देखरेख में बखूबी अंजाम दिया गया. 11 मई 1998 को जब एक के बाद एक पांच विस्फोट हुए तो अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों की आंखें फटी की फटी रह गई. इसके बाद भारत की मिसाइल परियोजनाओं के विकास में योगदान के लिए उन्हें 'मिसाइल मैन' कहा जाता है. उनका निधन 27 जुलाई 2015 को हुआ था.

Last Updated : Jul 27, 2021, 1:57 PM IST
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