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लॉकडाउन में फंसे बाल श्रमिकों के लिए क्या कर रही सरकारः हाई कोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, जयपुर कलेक्टर और मानव तस्करी विरोधी यूनिट के एडीजी सहित डीसीपी नॉर्थ को नोटिस जारी कर पूछा है कि लॉकडाउन में फंसे बाल श्रमिकों के लिए क्या किया जा रहा है. जिसमें कहा गया कि केंद्र सरकार के साल 2010  में कराए गए वार्षिक स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार 5 फीसदी श्रमिक 5 से 14 साल की आयु के हैं. जिसमें छोटे-छोटे बच्चों से दिन रात काम कराया जाता है.

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Published : Apr 15, 2020, 6:53 PM IST

जयपुर की खबर, covid 19 news
लॉकडाउन में फंसे बाल श्रमिकों के लिए क्या कर रही है सरकार

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, जयपुर कलेक्टर और मानव तस्करी विरोधी यूनिट के एडीजी सहित डीसीपी नॉर्थ को नोटिस जारी कर पूछा है कि लॉकडाउन में फंसे बाल श्रमिकों के लिए क्या किया जा रहा है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश गोपाल सिंह बारेठ की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

जनहित याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार के साल 2010 में कराए गए वार्षिक स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार 5 फीसदी श्रमिक 5 से 14 साल की आयु के हैं. शहर में बड़ी संख्या में ज्वेलरी और चूड़ियां बनाने का काम होता है.

खासतौर पर चूड़ी बनाने के कारखाने में छोटे-छोटे बच्चों से दिन-रात काम कराया जाता है. याचिका में कहा गया कि कोरोना संक्रमण के चलते शहर के शास्त्री नगर, भट्टा बस्ती, संजय नगर, गलता गेट और रामगंज सहित अन्य क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बाल श्रमिक फंसे हुए हैं. उनसे काम कराने वाले ठेकेदार ने इनके रहने और भोजन की व्यवस्था भी नहीं की है.

पढ़ें- Exclusive: कृषि विश्वविद्यालय में Online हो रही पढ़ाई, लेकिन आधे 'गुरुजी' ही आते हैं पढ़ाने, वजह जान लीजिए

इसके अलावा उनके स्वास्थ्य का परीक्षण भी नहीं हुआ है. इस संबंध में याचिकाकर्ता की ओर से संबंधित अधिकारियों को जानकारी दी गई, लेकिन प्रशासन की ओर से इनके कल्याण के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, जयपुर कलेक्टर और मानव तस्करी विरोधी यूनिट के एडीजी सहित डीसीपी नॉर्थ को नोटिस जारी कर पूछा है कि लॉकडाउन में फंसे बाल श्रमिकों के लिए क्या किया जा रहा है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश गोपाल सिंह बारेठ की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

जनहित याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार के साल 2010 में कराए गए वार्षिक स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार 5 फीसदी श्रमिक 5 से 14 साल की आयु के हैं. शहर में बड़ी संख्या में ज्वेलरी और चूड़ियां बनाने का काम होता है.

खासतौर पर चूड़ी बनाने के कारखाने में छोटे-छोटे बच्चों से दिन-रात काम कराया जाता है. याचिका में कहा गया कि कोरोना संक्रमण के चलते शहर के शास्त्री नगर, भट्टा बस्ती, संजय नगर, गलता गेट और रामगंज सहित अन्य क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बाल श्रमिक फंसे हुए हैं. उनसे काम कराने वाले ठेकेदार ने इनके रहने और भोजन की व्यवस्था भी नहीं की है.

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इसके अलावा उनके स्वास्थ्य का परीक्षण भी नहीं हुआ है. इस संबंध में याचिकाकर्ता की ओर से संबंधित अधिकारियों को जानकारी दी गई, लेकिन प्रशासन की ओर से इनके कल्याण के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है.

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