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कानूनों का कानून जवाबदेही कानून: इसके आने से किसकी जवाबदेही तय होगी, यहां जानिए...

गहलोत सरकार ने इस बजट सत्र में भी 'सामाजिक जवाबदेही कानून' को अभी तक पेश नहीं किया. सामाजिक संगठनों की ओर से लगातार कानून लागू करने की मांग की जा रही है. क्या है जवाबदेही कानून (What is accountability law) और किसकी होगी इस कानून के आने से जवाबदेही तय, देखिए इस रिपोर्ट में...

Demand to bring accountability law in Rajasthan
कानूनों का कानून जवाबदेही कानून
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Published : Feb 26, 2022, 1:52 PM IST

Updated : Feb 26, 2022, 6:22 PM IST

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने उम्मीद के बावजूद इस बजट सत्र में भी 'सामाजिक जवाबदेही कानून' को अभी तक पेश नहीं किया. जिसके बाद सामाजिक संगठनों सहित उन सभी को निराशा हाथ लगी है जो इसकी उम्मीद लगाए बैठे थे कि सरकार इसी सत्र में जवाबदेही कानून लागू करेगी. क्या है जवाबदेही कानून (What is accountability law) और किसकी होगी इस कानून के आने से जवाबदेही तय, देखिए इस रिपोर्ट में.

आम आदमी को एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर का चक्कर नहीं कटना पड़े और कमर्चारी व अधिकारियों की जवाबदेही तय हो, इसको लेकर जवाबदेही कानून लाने की परिकल्पना सामाजिक संगठनों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने की. चुनावी घोषणा पत्र में भी इस कानून को लाने का दावा किया गया. वर्ष 2019-20 के बजट भाषण में सीएम अशोक गहलोत ने सदन से इस जवाबदेही कानून को लागू करने की बात कही. इस बार 2022-2023 के बजट में सीएम गहलोत ने फिर से इस कानून को लागू करने की बात की. लेकिन अब सामाजिक संगठन घोषणा नहीं चाहते हैं, वो चाहते हैं कि कानून सदन में पेश किया जाए.

कानूनों का कानून जवाबदेही कानून

पढ़ें- ऑफिस-ऑफिस : नौकरशाही को जवाबदेह बनाने वाला कानून आखिर क्यों अटका है...

कानूनों का कानून है: सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे का कहना कि यह कानूनों का कानून है. यही कानून कर्मचारियों और अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगा. इसलिए बार-बार बजट भाषण में बोलना की हम अकाउंटेबिलिटी तय करेंगे, लेकिन अब घोषणा नहीं चाहिए सरकार कानून लेकर आए. निखिल कहते हैं कि प्रदेश में 80 लोग मनरेगा में रोजगार करते हैं, 80 लाख पेंशनर्स हैं और एक करोड़ 24 लाख राशन धारक हैं, ऐसे अनेकों सामाजिक सुरक्षा है, जो लोगों से जुड़े हुए है. इनमें से 10 हजार 880 को पेंशन नहीं मिल रही है. हजारों नरेगा मजदूरों की मजदूरी दूसरे खाते में चली गई. सैकड़ों सिलिकोसिस पीड़ित परिवारों को लाभ नहीं मिल रहा. डे का कहना है कि इनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है, इसी जवाबदेही को तय करने के लिए जवाबदेही कानून की जरूरत है.

Demand to bring accountability law in Rajasthan
जवाबदेही कानून की विशेषताएं-1

पढ़ें- राजस्थान में जवाबदेही कानून की मांग को लेकर निकाली जा रही यात्रा स्थगित, आंदोलन रहेगा जारी

अफसरशाही-नौकरशाही ने इस बिल को रोका: निखिल डे ने कहा कि हमे यह भी पता है आखिर वे कौन लोग हैं जो नही चाहते कि यह कानून बने. लेकिन हम भी तब तक नहीं रुकेंगे जब तक कानून लागू नहीं हो जाता. यह कानूनों का कानून है. इसके लागू होने बाद कर्मचारी और अधिकारी की जवाबदेही तय होगी. कोई भी कर्मचारी या अधिकारी कोई काम नहीं करता है तो उसे एक महीने का एक और मौका मिलेगा कि उस काम को कीजिए. फिर भी नहीं होगा तो इसमें कानूनी कार्रवाई के प्रावधान हैं.

Demand to bring accountability law in Rajasthan
जवाबदेही कानून की विशेषताएं-2

पढ़ें- Special : जवाबदेही कानून पर आधा कार्यकाल बीतने के बाद भी जवाब देने की स्थिति में नहीं गहलोत सरकार...मंशा पर उठने लगे सवाल

निखिल डे ने कहा कि अफसरशाही और नौकरशाही ने इस बिल को रोक रखा है. जबकि यह राजनीतिक कमिटमेंट है. घोषणा पत्र में की गई घोषणा है. बजट में उसका अनाउंसमेंट हुआ है, लेकिन इसे लागू नहीं होने दिया जा रहा है. सरकार ने जब कमिटमेंट किया है तो उसे पूरा करना होगा.

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने उम्मीद के बावजूद इस बजट सत्र में भी 'सामाजिक जवाबदेही कानून' को अभी तक पेश नहीं किया. जिसके बाद सामाजिक संगठनों सहित उन सभी को निराशा हाथ लगी है जो इसकी उम्मीद लगाए बैठे थे कि सरकार इसी सत्र में जवाबदेही कानून लागू करेगी. क्या है जवाबदेही कानून (What is accountability law) और किसकी होगी इस कानून के आने से जवाबदेही तय, देखिए इस रिपोर्ट में.

आम आदमी को एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर का चक्कर नहीं कटना पड़े और कमर्चारी व अधिकारियों की जवाबदेही तय हो, इसको लेकर जवाबदेही कानून लाने की परिकल्पना सामाजिक संगठनों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने की. चुनावी घोषणा पत्र में भी इस कानून को लाने का दावा किया गया. वर्ष 2019-20 के बजट भाषण में सीएम अशोक गहलोत ने सदन से इस जवाबदेही कानून को लागू करने की बात कही. इस बार 2022-2023 के बजट में सीएम गहलोत ने फिर से इस कानून को लागू करने की बात की. लेकिन अब सामाजिक संगठन घोषणा नहीं चाहते हैं, वो चाहते हैं कि कानून सदन में पेश किया जाए.

कानूनों का कानून जवाबदेही कानून

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कानूनों का कानून है: सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे का कहना कि यह कानूनों का कानून है. यही कानून कर्मचारियों और अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगा. इसलिए बार-बार बजट भाषण में बोलना की हम अकाउंटेबिलिटी तय करेंगे, लेकिन अब घोषणा नहीं चाहिए सरकार कानून लेकर आए. निखिल कहते हैं कि प्रदेश में 80 लोग मनरेगा में रोजगार करते हैं, 80 लाख पेंशनर्स हैं और एक करोड़ 24 लाख राशन धारक हैं, ऐसे अनेकों सामाजिक सुरक्षा है, जो लोगों से जुड़े हुए है. इनमें से 10 हजार 880 को पेंशन नहीं मिल रही है. हजारों नरेगा मजदूरों की मजदूरी दूसरे खाते में चली गई. सैकड़ों सिलिकोसिस पीड़ित परिवारों को लाभ नहीं मिल रहा. डे का कहना है कि इनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है, इसी जवाबदेही को तय करने के लिए जवाबदेही कानून की जरूरत है.

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अफसरशाही-नौकरशाही ने इस बिल को रोका: निखिल डे ने कहा कि हमे यह भी पता है आखिर वे कौन लोग हैं जो नही चाहते कि यह कानून बने. लेकिन हम भी तब तक नहीं रुकेंगे जब तक कानून लागू नहीं हो जाता. यह कानूनों का कानून है. इसके लागू होने बाद कर्मचारी और अधिकारी की जवाबदेही तय होगी. कोई भी कर्मचारी या अधिकारी कोई काम नहीं करता है तो उसे एक महीने का एक और मौका मिलेगा कि उस काम को कीजिए. फिर भी नहीं होगा तो इसमें कानूनी कार्रवाई के प्रावधान हैं.

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निखिल डे ने कहा कि अफसरशाही और नौकरशाही ने इस बिल को रोक रखा है. जबकि यह राजनीतिक कमिटमेंट है. घोषणा पत्र में की गई घोषणा है. बजट में उसका अनाउंसमेंट हुआ है, लेकिन इसे लागू नहीं होने दिया जा रहा है. सरकार ने जब कमिटमेंट किया है तो उसे पूरा करना होगा.

Last Updated : Feb 26, 2022, 6:22 PM IST
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