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प्रदेश में चुनिंदा सूखे ट्यूबवेल की स्टडी से बनेगा 'वाटर रिचार्ज प्लान' - Water supply department

प्रदेश में भू-जल विभाग द्वारा सभी जिलों में सूख चुके ट्यूबवेल में से कुछ का चयन कर उन स्थानों पर ग्राउंड वाटर रिचार्ज की दृष्टि से प्लान तैयार किया जाएगा. विभाग के सचिव यादव ने भू-जल विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे प्रत्येक जिले से ऐसे करीब 10 ट्यूबवेल चिह्नित कर और उनका ग्राउण्ड वाटर रिचार्ज की दृष्टि से मॉड्यूल तैयार करें.

जलदाय विभाग, जयपुर न्यूज, प्रमुख शासन सचिव भू-जल विभाग
सूखे ट्यूबवेल की स्टडी से बनेगा ‘वाटर रिचार्ज प्लान‘
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Published : Jun 8, 2020, 10:00 PM IST

जयपुर. प्रदेश में भू-जल विभाग द्वारा सभी जिलों में सूख चुके ट्यूबवेल में से कुछ का चयन कर उन स्थानों पर ग्राउण्ड वाटर रिचार्ज की दृष्टि से प्लान तैयार किया जाएगा. इसके आधार पर ऐसा मॉड्यूल विकसित करने का प्रयास होगा, जो भविष्य में खोदे जाने वाले नए ट्यूबवेल और हैंडपम्प वाले स्थानों पर भू-जल रिचार्ज और उनके लम्बे समय तक संचाालित होने में मददगार बनें.

जलदाय और भू-जल विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने सोमवार को झालाना स्थित जल और स्वच्छता सहयोग संगठन (डब्ल्यूएसएसओ) के कार्यालय में आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए इस बारे में अधिकारियों से चर्चा कर निर्देश दिए.

सूखे ट्यूबवेल की स्टडी से बनेगा ‘वाटर रिचार्ज प्लान‘

प्रत्येक जिले में चिह्नित होंगे 10 ट्यूबवेल

यादव ने भू-जल विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे प्रत्येक जिले से ऐसे करीब 10 ट्यूबवेल चिह्नित करे और उनका ग्राउंड वाटर रिचार्ज की दृष्टि से मॉड्यूल तैयार करें. इन स्थानों का 4-5 माह बाद सर्वे कराया जाएगा. इससे निकलकर आने वाले नतीजों के आधार पर जलदाय विभाग भविष्य में नए खोदे जाने वाले ट्यूबवेल और हैंडपम्पों के प्लान के साथ ही वहां 'रिचार्ज स्ट्रक्चर' की जरूरतों को समाहित करेगा.

पढ़ेंः BJP MLA मदन दिलावर के बिगड़े बोल, कहा- राजस्थान में CM गहलोत की वजह से फैला कोरोना

उन्होंने कहा कि राज्य में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में हैंडपंप सूख जाते हैं, ऐसे में यह आवश्यक है कि जब भी नया ट्यूबवेल या हैंडपम्प खोदा जाए जो उसके इर्द-गिर्द वाटर रिचार्ज का स्ट्रक्चर भी साथ-साथ बनाया जाए. इसके लिए कांट्रेक्टर के साथ सर्विस एग्रीमेंट में ही ‘टयूबवेल‘ और ‘हैंडपम्प‘ की खुदाई के साथ ही ‘वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर‘ तैयार करने के प्रावधान शामिल किए जा सकते हैं.

गत सप्ताह में करीब 6 हजार हैंडपम्पों की मरम्मत

बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में 44वें हैंडपम्प रिपेयरिंग अभियान के तहत शहरी क्षेत्र में अब तक 4849 और ग्रामीण क्षेत्रों में 38 हजार 752 हैंडपम्प की मरम्मत की जा चुकी है. इसके तहत गत एक सप्ताह में शहरी क्षेत्र में 840 तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 5086 हैंडपम्पों की रिपेयरिंग की गई है. इसके अलावा राज्य में 716 हैंडपम्प, 1070 ट्यूबवेल और 91 सिंगल फेज ट्यूबवेल अब तक खोदे जा चुके हैं, जबकि 404 हैंडपम्प, 558 ट्यूबवेल और 15 सिंगल फेज ट्यूबवेल की कमीशनिंग की जा चुकी है.

जिओं टैगिंग के कार्य में तेजी लाए

राजेश यादव ने बैठक में जलदाय विभाग की परिसम्पतियों के जिओ टैगिंग के कार्य की समीक्षा करते हुए इसमें और तेजी लाने के निर्देश दिए. उन्होंने प्रोजेक्ट्स में काम आने वाली सामग्री के लिए ‘मैटेरियल मैनेजमेंट‘ का ‘एप‘ विकसित करने के निर्देश देते हुए कहा कि विभागीय और अन्य विभागीय कार्यों की आईटी के माध्यम से मॉनिटरिंग के लिए एनआईसी और सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग के माध्यम से विकसित किए जा रहे ‘मॉड्यूल्स‘ की प्रगति की भी नियमित समीक्षा की जाए.

पढ़ेंः सांसद मनोज राजोरिया का बड़ा बयान, कहा- कांग्रेसियों के हाथ में नहीं पहुंच रहा पैसा, इसलिए हो रही बौखलाहट

जो ‘मॉड्यूल्स‘ तैयार हो गए है, उनकों टेस्टिंग के बाद ‘रोल आउट‘ किया जाए. इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी के नए क्षेत्रों में प्रयोग की संभावना भी तलाशी जाए. उन्होंने अंतरविभागीय मुद्दों के सम्बंध में भी वन विभाग, एनएचएआई (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) और स्थानीय निकाय विभाग के साथ पेयजल परियोजनाओं से सम्बंधित मुद्दों के बारे में भी समन्वय बैठकें शीघ्रता से आयोजित करने के निर्देश दिए.

मेजर प्रोजेक्ट्स के कार्यों की समीक्षा

बैठक में प्रमुख शासन सचिव ने भरतपुर, भीलवाड़ा, नागौर, झुंझुनू और अजमेर में संचालित मेजर प्रोजेक्ट्स के कार्यों की भी समीक्षा की. इसके अलावा अवधि पार प्रोजेक्ट्स, जायका, विश्व बैंक और एशियन विकास बैंक के सहयोग से चल रहे प्रोजेक्ट्स, ब्यूरो ऑफ एफिशियंसी के कार्यों, जल जीवन मिशन की प्रगति, रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्टचर्स के सर्वे सहित अन्य प्रोजेक्ट्स के कार्यों और प्रगति पर भी चर्चा की गई.

जयपुर. प्रदेश में भू-जल विभाग द्वारा सभी जिलों में सूख चुके ट्यूबवेल में से कुछ का चयन कर उन स्थानों पर ग्राउण्ड वाटर रिचार्ज की दृष्टि से प्लान तैयार किया जाएगा. इसके आधार पर ऐसा मॉड्यूल विकसित करने का प्रयास होगा, जो भविष्य में खोदे जाने वाले नए ट्यूबवेल और हैंडपम्प वाले स्थानों पर भू-जल रिचार्ज और उनके लम्बे समय तक संचाालित होने में मददगार बनें.

जलदाय और भू-जल विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने सोमवार को झालाना स्थित जल और स्वच्छता सहयोग संगठन (डब्ल्यूएसएसओ) के कार्यालय में आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए इस बारे में अधिकारियों से चर्चा कर निर्देश दिए.

सूखे ट्यूबवेल की स्टडी से बनेगा ‘वाटर रिचार्ज प्लान‘

प्रत्येक जिले में चिह्नित होंगे 10 ट्यूबवेल

यादव ने भू-जल विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे प्रत्येक जिले से ऐसे करीब 10 ट्यूबवेल चिह्नित करे और उनका ग्राउंड वाटर रिचार्ज की दृष्टि से मॉड्यूल तैयार करें. इन स्थानों का 4-5 माह बाद सर्वे कराया जाएगा. इससे निकलकर आने वाले नतीजों के आधार पर जलदाय विभाग भविष्य में नए खोदे जाने वाले ट्यूबवेल और हैंडपम्पों के प्लान के साथ ही वहां 'रिचार्ज स्ट्रक्चर' की जरूरतों को समाहित करेगा.

पढ़ेंः BJP MLA मदन दिलावर के बिगड़े बोल, कहा- राजस्थान में CM गहलोत की वजह से फैला कोरोना

उन्होंने कहा कि राज्य में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में हैंडपंप सूख जाते हैं, ऐसे में यह आवश्यक है कि जब भी नया ट्यूबवेल या हैंडपम्प खोदा जाए जो उसके इर्द-गिर्द वाटर रिचार्ज का स्ट्रक्चर भी साथ-साथ बनाया जाए. इसके लिए कांट्रेक्टर के साथ सर्विस एग्रीमेंट में ही ‘टयूबवेल‘ और ‘हैंडपम्प‘ की खुदाई के साथ ही ‘वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर‘ तैयार करने के प्रावधान शामिल किए जा सकते हैं.

गत सप्ताह में करीब 6 हजार हैंडपम्पों की मरम्मत

बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में 44वें हैंडपम्प रिपेयरिंग अभियान के तहत शहरी क्षेत्र में अब तक 4849 और ग्रामीण क्षेत्रों में 38 हजार 752 हैंडपम्प की मरम्मत की जा चुकी है. इसके तहत गत एक सप्ताह में शहरी क्षेत्र में 840 तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 5086 हैंडपम्पों की रिपेयरिंग की गई है. इसके अलावा राज्य में 716 हैंडपम्प, 1070 ट्यूबवेल और 91 सिंगल फेज ट्यूबवेल अब तक खोदे जा चुके हैं, जबकि 404 हैंडपम्प, 558 ट्यूबवेल और 15 सिंगल फेज ट्यूबवेल की कमीशनिंग की जा चुकी है.

जिओं टैगिंग के कार्य में तेजी लाए

राजेश यादव ने बैठक में जलदाय विभाग की परिसम्पतियों के जिओ टैगिंग के कार्य की समीक्षा करते हुए इसमें और तेजी लाने के निर्देश दिए. उन्होंने प्रोजेक्ट्स में काम आने वाली सामग्री के लिए ‘मैटेरियल मैनेजमेंट‘ का ‘एप‘ विकसित करने के निर्देश देते हुए कहा कि विभागीय और अन्य विभागीय कार्यों की आईटी के माध्यम से मॉनिटरिंग के लिए एनआईसी और सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग के माध्यम से विकसित किए जा रहे ‘मॉड्यूल्स‘ की प्रगति की भी नियमित समीक्षा की जाए.

पढ़ेंः सांसद मनोज राजोरिया का बड़ा बयान, कहा- कांग्रेसियों के हाथ में नहीं पहुंच रहा पैसा, इसलिए हो रही बौखलाहट

जो ‘मॉड्यूल्स‘ तैयार हो गए है, उनकों टेस्टिंग के बाद ‘रोल आउट‘ किया जाए. इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी के नए क्षेत्रों में प्रयोग की संभावना भी तलाशी जाए. उन्होंने अंतरविभागीय मुद्दों के सम्बंध में भी वन विभाग, एनएचएआई (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) और स्थानीय निकाय विभाग के साथ पेयजल परियोजनाओं से सम्बंधित मुद्दों के बारे में भी समन्वय बैठकें शीघ्रता से आयोजित करने के निर्देश दिए.

मेजर प्रोजेक्ट्स के कार्यों की समीक्षा

बैठक में प्रमुख शासन सचिव ने भरतपुर, भीलवाड़ा, नागौर, झुंझुनू और अजमेर में संचालित मेजर प्रोजेक्ट्स के कार्यों की भी समीक्षा की. इसके अलावा अवधि पार प्रोजेक्ट्स, जायका, विश्व बैंक और एशियन विकास बैंक के सहयोग से चल रहे प्रोजेक्ट्स, ब्यूरो ऑफ एफिशियंसी के कार्यों, जल जीवन मिशन की प्रगति, रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्टचर्स के सर्वे सहित अन्य प्रोजेक्ट्स के कार्यों और प्रगति पर भी चर्चा की गई.

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