जयपुर. आपने दिया तले अंधेरा वाली कहावत तो सुनी होगी. कुछ ऐसे ही हालात जयपुर नगर निगम के हैं. बारिश के दौरान जलजमाव को लेकर निगम प्रशासन के पास सैकड़ों शिकायतें आई, लेकिन शायद निगम के बेसमेंट में हुए जलजमाव की शिकायत करने वाला कोई ना था. यही वजह रही कि यहां बेसमेंट में बने स्टोर रूम में पानी भर गया. जिससे सैकड़ों फाइलें खराब हो गई.
इसी का जायजा लेने के लिए मंगलवार को मेयर विष्णु लाटा और निगम कमिश्नर विजय पाल सिंह भी पहुंचे. यहां स्टोर में पानी भरने, दीवारों में सीलन आने जैसी कई अनियमितताएं देखने को मिली. इसके अलावा यहां लगे हुए फायर एक्सटिंगुशर भी आउट ऑफ डेट थे. लेकिन निगम प्रशासन के कद्दावर इन्हें नजरअंदाज करके दोबारा अपने एसी रूम में जाकर बैठ गए. इस संबंध में जब कमिश्नर से बात करनी चाही तो उन्होंने मीटिंग का हवाला देकर मिलने से मना कर दिया.
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वहीं मौके पर कर्मचारियों को लताड़ लगाने वाले मेयर विष्णु लाटा ये कहकर बचने लगे कि उन्हें इस बात का पता नहीं और बाद में उन्होंने इस बारे में कमिश्नर से पूछने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की.
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उधर, फायर समिति के चेयरमैन भगवत सिंह देवल ने कहा कि स्टोर की हालत बहुत दयनीय है. उन्होंने वहां दो ट्रॉली पड़े कचरे को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों पर सवाल खड़े किए और कहा कि शायद ये कचरा उनके स्टॉक में है. उन्होंने कहा कि यहां फायर सिस्टम भी खराब है और अधिकारी अपनी एसी रूम में बैठे रहते हैं.
निगम में हर दिन सैकड़ों लोग अपनी फरियाद लेकर पहुंचते हैं. एक फाइल बनती है, जिसे आखिर में स्टोर रूम की खाक छाननी पड़ती है और जयपुर नगर निगम में तो ये बारिश के पानी से भी खराब हो जाती है. इन सबके बावजूद जिम्मेदार एक दूसरे पर टालते हुए अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ बैठ जाते हैं.