जयपुर. राजस्थान में गर्मी का जोर परवान पर है और इसके साथ ही तपती जमीन में न सिर्फ तापमान के जरिए, बल्कि सूखते पानी के जरिए भी लोगों की परेशानी में इजाफा कर दिया है. प्रदेश के प्रमुख बांधों की अगर बात की जाए तो कई पूरी तरह सूख चुके हैं, तो कई जगह पानी के अंदर से जमीन नजर आने लगी है. ऐसे में एक्सपर्ट्स भी मान रहे हैं कि अगर मानसून जल्दी नहीं आया तो पेयजल सप्लाई करने वाले बांधों के जरिए जल्द ही कटौती शुरू की जाएगी. जाहिर है कि हाल ही में केन्द्रीय जल आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में राजस्थान के तीन बड़े बांधों के जलस्तर को साझा करते हुए आने वाले वक्त में जल संकट को लेकर चिंता जाहिर की थी.
एक तरफ पानी की किल्लत (Water Crisis in Rajasthan) और दूसरी तरफ गर्मी का सितम हालात को मुश्किल बना सकते हैं. इस बार बांधों में सामान्य से 9 फीसदी कम पानी बचा है. गर्मी में बांधों का काफी पानी भाप बनकर उड़ गया है और अभी नौतपा बाकी है. इस बार अगर मानसून वक्त पर मेहरबान नहीं हुआ तो राजस्थान में बड़ा जल संकट (Water Crisis in Rajasthan) पैदा हो सकता है. केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान समेत देशभर के बांधों में इस बार काफी तेजी के साथ पानी सूखा है. राजस्थान के तीन बड़े बांधों पर इसका असर ज्यादा हुआ है.
प्रदेश में जारी गर्मी के सितम को देखते हुए आंकड़े बता रहे हैं कि फिलहाल बांध 40 फीसदी से ज्यादा खाली हो गए हैं. खास बात यह है कि 449 भाग बिल्कुल खाली हो चुके हैं. बांधों में पानी की आवक के लिहाज से बात करें तो साल 2020 में जितना पानी आया था, उतना पानी 2021 में नहीं आया और इस बार साल 2022 के मानसून से बड़ी उम्मीद लगाई जा रही है. यदि इस बार मानसून की बारिश असर नहीं दिखा पाई तो भारी परेशानी खड़ी होगी.
यह कहती है जल आयोग की रिपोर्ट- देश में पीने के पानी को लेकर करीब 140 बड़े बांधों का हफ्ते के हिसाब से केंद्रीय जल आयोग आंकलन करता है. इन जलाश्यों में उपलब्ध कुल स्टोरेज की क्षमता के आधार पर यह बताया गया है कि देश के बांधों में फिलहाल कुल क्षमता का महज 32 फीसदी पानी ही बचा हुआ है. बांधों में कुल क्षमता का करीब 70 फीसदी पानी ही आता है. लेकिन इसमें से फिलहाल 56.877 BCM (बिलियन क्यूबिक मीटर) पानी उपलब्ध है. 19 मई को जारी इस रिपोर्ट को आधार मानें तो इससे सबसे अधिक 10 राज्य प्रभावित हैं. राजस्थान के पांच प्रमुख बांधों में से 3 में पानी की उपलब्धता के आंकड़े चिंताजनक हैं.
प्रदेश में जल स्त्रोत का सबसे अहम जरिया बीसलपुर बांध में अभी से जल संकट के आसार दिखने लगे हैं. पिछले पांच साल के मुकाबले इस बार बीसलपुर बांध में पानी काफी कम हुआ है. अगर मानसून समय पर नहीं आया तो अगस्त तक बीसलपुर बांध का तला दिख जाएगा.
तीन प्रमुख बांधों का हाल | 2022 | 2021 |
राणा प्रताप सागर (चित्तौड़गढ़) | 0.541 (BCM) | 0.681 (BCM) |
बीसलपुर बांध (टोंक) | 0.293 (BCM) | 0.335 (BCM) |
जवाई बांध (पाली) | 0.010 (BCM) | 0.045 (BCM) |
449 बांधों का गला रीता, जोधपुर के लिए हालात चिंताजनक- राजस्थान में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 727 बांध हैं, जिनमें से वर्तमान में 449 खाली पड़े हैं और बारिश के पानी का इंतजार है. इन बांधों की कुल भराव क्षमता 865.25 एमक्यूएम है, जबकि जल संसाधन विभाग के रिकॉर्ड में इन बांध में जीरो प्रतिशत पानी है. पिछले साल 336 बांध ही रीते थे. अब बांधों के सूखने का सिलसिला भी पिछले साल से आगे निकल गया है. खाली बांध भी राजस्थान की चिंता में इजाफा कर रहे हैं.
हाल ही में हुई नहरबंदी के दौरान जोधपुर शहर समेत संभाग में पेयजल को लेकर विकट हालात पैदा हो गए हैं. यहां तक की 72 घंटे में पानी की सप्लाई यहां पर की गई थी. इसी तरह से पाली के जवाई बांध में पानी खत्म हो गया है. इससे फिलहाल पानी की सप्लाई नहीं हो रही है. पाली में ट्रेन से पानी पहुंचाया जा रहा है. उधर, जोधपुर संभाग के बांधों की तो कमर ही टूट गई, यहां 123 बांधों को मिलाकर कुल भराव क्षमता का मात्र 1.6 प्रतिशत पानी ही बचा है. अगर इस बार मानसून जोधपुर संभाग पर मेहरबान नहीं हुए, तो सूखे के हालात हो जाएंगे.
अन्य संभागों की स्थिति- जयपुर संभाग में 261 बांध हैं, जिनकी पूर्ण भराव क्षमता 2671.12 एमक्यूएम है, जो पिछले साल सितंबर तक 1092.18 एमक्यूएम भरे थे, यानी 40.9 प्रतिशत पानी था. जो वर्ष 2020 से 10 प्रतिशत ज्यादा था, लेकिन वर्तमान स्थिति की बात करें तो 16.8 प्रतिशत पानी ही बचा है. जोधपुर के 123 बांधों की कुल भराव क्षमता 976.90 एमक्यूएम है और पिछले सितंबर तक 103.30 एमक्यूएम पानी था, यानि 10.6 प्रतिशत पानी रहा.
वर्तमान स्थिति की बात करें तो जोधपुर में कुल भराव क्षमता का मात्र 1.6 प्रतिशत पानी ही बचा है. उधर, उदयपुर के 256 बांधों की कुल भराव क्षमता 4640.55 एमक्यूएम है और पिछले सितंबर में 3490.62 एमक्यूएम पानी रहा जो 75.2 प्रतिशत था. वर्तमान स्थिति पर नजर डाले तो यह 32.6 प्रतिशत है. संभागों के सभी बांधों की कुल भराव क्षमता 12626.32 एमक्यूएम है और पिछले सितंबर में 8898.59 एमक्यूएम पानी था जो कुल भराव क्षमता का 70.48 प्रतिशत रहा, लेकिन वर्तमान में यह 36.34 प्रतिशत रह गया है.