जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी (Rajasthan Congress) पिछले 14 महीने से बिना जिला अध्यक्षों के चल रही है. हालात ये बन गए हैं कि अब कांग्रेस पार्टी को संगठन के कार्यक्रमों के लिए जिलों में अलग से प्रभारी बनाने पड़ रहे हैं, ताकि पार्टी के कार्यक्रम सुचारू रूप से चल सके.
दरअसल, 14 जुलाई 2020 को कांग्रेस पार्टी में हुई राजनीतिक उठापटक के चलते कांग्रेस पार्टी के संगठन को पूरी तरीके से भंग कर दिया गया था. हालांकि, 14 जुलाई को जैसे ही सचिन पायलट (Sachin Pilot) को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया, उसके साथ ही गोविंद डोटासरा (Govind Singh Dotasra) को प्रदेश अध्यक्ष तो बना दिया गया, लेकिन उनकी भंग हो चुकी कार्यकारिणी, जिला अध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष, प्रकोष्ठ, विभाग और उनकी कार्यकारिणियों में से केवल प्रदेश कांग्रेस की 39 सदस्य की छोटी कार्यकारिणी ही राजस्थान में बन सकी है.
इतना ही नहीं, राजस्थान कांग्रेस के पदाधिकारियों की घोषणा भी 6 महीने का इंतजार करने के बाद हुई. लेकिन कांग्रेस संगठन का सबसे अहम माने जाने वाला ब्लॉक और जिला संगठन अब तक नहीं बन सका है.
तारीख पर तारीख, लेकिन 14 महीने बाद भी हो रहा है इंतजार...
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने अपने संगठन को 39 जिलों में विभाजित किया है. ऐसे में राजस्थान कांग्रेस में 39 जिला अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी बनती है. इसी तरह हर विधानसभा में दो ब्लॉक हैं जो कुल मिलाकर 200 विधानसभा में 400 ब्लॉक राजस्थान में होते हैं. इन सभी 400 ब्लॉक अध्यक्षों और उनकी कार्यकारिणी का भी अब तक इंतजार हो रहा है.
जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों को लेकर चाहे प्रदेश प्रभारी अजय माकन (Ajay Maken) हों या प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, कई बार तारीख दे चुके हैं. लेकिन एक तारीख के बाद दूसरी तारीख तो निकलती जा रही है, लेकिन अब भी राजस्थान में उन नेताओं का अब तक इंतजार समाप्त नहीं हो सका है, जो पिछले 14 महीने से जिले या ब्लॉक में पदाधिकारी बनने का सपना देख रहे हैं.
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पंचायत, निकाय और उपचुनाव भी राजस्थान में हुए बिना जिला अध्यक्षों के...
राजस्थान में इस 14 महीने के अंतराल में पंचायत, निकाय और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो गए हैं. लेकिन बिना जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के ही पार्टी को इन चुनाव में उतरना पड़ा और इन चुनाव में प्रमुख भूमिका प्रभारी मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों ने ही निभाई. जबकि जिस क्षेत्र में चुनाव होता है, उसमें प्रभारी मंत्री और संगठन के पदाधिकारी केवल जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों को दिशा-निर्देश देने के लिए ही चुनावी जिलों में जाते हैं. ऐसे में बिना जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के पार्टी को मजबूरी में संगठन के पदाधिकारियों और प्रभारी मंत्रियों के सहारे ही चुनाव लड़ना पड़ा.
14 महीने बाद भी अभी जिला अध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष की घोषणा होना आसान नहीं...
राजस्थान में जिला और ब्लाक कार्यकारिणी के बिना कांग्रेस पार्टी 14 महीने से चल रही है, लेकिन अब भी यह आसार कम ही दिखाई दे रहे हैं कि इस महीने जिला अध्यक्ष या ब्लॉक अध्यक्षों की घोषणा होगी. ऐसे में राजस्थान कांग्रेस ने अब बीच का रास्ता निकालते हुए संगठन के कार्यक्रमों के लिए अलग से जिलों में प्रभारी नियुक्त करने शुरू कर दिए हैं.
ऐसा ही कांग्रेस पार्टी ने बांग्लादेश युद्ध के 50 साल पूरे होने पर किए जा रहे कार्यक्रमों के लिए भी किया है. जहां इस कार्यक्रम की बागडोर प्रदेश उपाध्यक्ष महेंद्रजीत सिंह मालवीय को दी गई है तो जिलों में कार्यक्रम करने के लिए अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है, ताकि जिला संगठन के अभाव में संगठन के कार्यक्रमों पर कोई असर न पड़े. कांग्रेस पार्टी ने यह तय किया है कि इन जिला प्रभारियों के जरिए 10 अक्टूबर तक सभी जिलों में कार्यक्रम कर लेगी.