जयपुर. उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट विभाग की टीम ने फरवरी माह में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम पर प्रेजेंटेशन दिया था. परिवहन मुख्यालय भवन में उत्तराखंड व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम का प्रेजेंटेशन परिवहन आयुक्त रवि जैन की अध्यक्षता में दिया गया था.
इस प्रेजेंटेशन में बताया गया था कि किस तरह से वाहनों में डिवाइस ट्रैकिंग के रूप में काम करेगा और उसके बाद परिवहन विभाग के अधिकारियों की ओर से उस सिस्टम की सराहना भी की गई थी और विभाग के अधिकारियों के की तरफ से उस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के सामने रखने की बात कही गई थी, लेकिन अब परिवहन विभाग के अधिकारी उस प्रस्ताव को भुला बैठे हैं.
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उत्तराखंड के ट्रांसपोर्ट विभाग की टीम की ओर से फरवरी महीने में राजधानी जयपुर पहुंच व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम को लेकर परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ प्रेजेंटेशन दिया गया था. कमर्शियल वाहन में ट्रैकिंग सिस्टम लगाकर उनके आवागमन पर नजर रखने को लेकर यह प्रजेंटेशन दिया गया था. इस प्रजेंटेशन में राजस्थान के वाहनों को ट्रैक करने की बात भी सामने आई थी. बता दें कि करीब दो लाख कमर्शियल वाहन सड़कों पर सरपट दौड़ रहे हैं. इन वाहनों के लोकेशन क्या है उसे व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम से पता लगाया जा सकेगा.
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वहीं, वाहनों के अंदर व्हीकल ट्रैकिंग डिवाइस लगाने की बात भी कही गई थी. जिससे उस वाहन की लोकेशन क्या है, वाहन कहां जा रहा है, वाहन कहां-कहां रुक रहा है और वाहन की स्पीड क्या है इन सब का परिवहन विभाग पता लगा सकेगा. साथ ही अब वाहनों के अंदर वेरियस एलर्ट भी रहेगा. जिससे वाहन आपात स्थिति में होगा तो सेफ्टी मैकेनिक भेजा जा सकेगा.
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परिवहन विभाग के आयुक्त रवि जैन ने बताया कि, उत्तराखंड में जुलाई 2019 में यह सिस्टम लागू कर दिया गया था. 1 जनवरी, 2019 से रजिस्टर्ड वाहनों में भी यह ट्रैकिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया गया था. जिससे वाहन पर तीसरी नजर रखी जा सकती है. राजस्थान परिवहन विभाग के अधिकारियों ने भी इस ट्रैकिंग सिस्टम की सराहना की है. इस तरह के डिवाइस वाहनों में होगी तो तुरंत प्रभावी रूप से जानकारी जुटाई जा सकेगी. इस सिस्टम को राजस्थान में लागू करने के लिए राज्य सरकार के समक्ष भी रखा जाएगा. जिससे राजस्थान में भी व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लागू हो सकेगा और अवैध वाहनों पर लगाम लगाई जा सकेगी.