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वसुंधरा राजे Twitter पर भी हुईं धार्मिक...गीता के श्लोक के जरिए दिया 'खास' संदेश

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Published : Sep 3, 2020, 12:37 PM IST

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे इन दिनों Twitter पर काफी सक्रिय हैं. गुरुवार को ही राजे ने गीता का एक संस्कृत में लिखा श्लोक पोस्ट किया और उसका भावार्थ भी समझाया.

वसुंधरा राजे का ट्वीट, Vasundhara Raje tweet
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे

जयपुर. वसुंधरा राजे भले ही आज अपनी पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के बावजूद पार्टी से अलग-थलग दिख रहीं हो, लेकिन इन दिनों राजे अब ट्विटर पर गीता के श्लोक के जरिए मैसेज देने में जुटी हैं. वसुंधरा राजे ने गुरुवार को ट्विटर पर गीता का एक संस्कृत में लिखा श्लोक पोस्ट किया और उसका भावार्थ भी समझाया. श्लोक में लिखा है, 'श्री कृष्ण कहते हैं, हे अर्जुन सफलता एवं असफलता की आसक्ति को त्याग कर संपूर्ण भाव से संभाव होकर अपने कर्म करो. यही समता की भावना योग कहलाती है'.

पढ़ेंः राजस्थान में 700 बैरल ऑयल का प्रतिदिन होगा उत्पादन, बीकानेर-नागौर बेसिन में होगी 15 नए कुओं की खुदाई

गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्लोक के माध्यम से वसुंधरा राजे ने अपने ट्विटर पर साझा किया, लेकिन सियासी गलियारों में अब चर्चा इस बात की है कि आखिर गीता के उपदेश के जरिए राजे कौन सा सियासी संदेश देना चाहती हैं.

गीता के इस श्लोक के मूल में यह साफ है कि सफलता और असफलता की आसक्ति को त्याग कर संपूर्ण भाव से अपने कर्म को करना चाहिए. वर्तमान में वसुंधरा राजे की मौजूदा सियासी दौर में वो स्थिति नहीं है जो पहले बतौर मुख्यमंत्री थीं. राजस्थान को लेकर कोई भी निर्णय बिना वसुंधरा राजे की राय से नहीं होता था, लेकिन अब समय के साथ स्थितियां बदल गई हैं. आज वसुंधरा राजे के पास पार्टी की केंद्रीय इकाई में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद भी है, लेकिन राजस्थान भाजपा में विरोधियों के सक्रिय होने के चलते वो सियासी कद कम हुआ है.

पढ़ेंः भीलवाड़ा में सक्रिय हुआ मानसून, कहीं रिमझिम तो कहीं मूसलाधार हो रही बारिश

इस मैसेज के जरिए राजे ने ये साफ कर दिया कि सफलता असफलता आती जाती रहती है, लेकिन अपने कर्म को करना ना भूले और संपूर्ण भाव से अपने कर्म को करें. फिलहाल, वसुंधरा राजे सफलता असफलता की उम्मीद छोड़ कर एकाग्र चित्त होकर अपने कर्म में जुटी हैं. फिर चाहे लोगों से मिलना, पार्टी नेता और कार्यकर्ताओं से मेलजोल और फोन पर उनकी कुशलक्षेम पूछते रहना. यह अब उनकी नियमित दिनचर्या में शामिल हो चुका है. इससे 3 दिन पहले वसुंधरा राजे ने ट्विटर पर ही भगवान श्री कृष्ण को लेकर एक प्रार्थना पोस्ट की थी जिसमें 'हे कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण हे वासुदेवा' लिखा गया था.

जयपुर. वसुंधरा राजे भले ही आज अपनी पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के बावजूद पार्टी से अलग-थलग दिख रहीं हो, लेकिन इन दिनों राजे अब ट्विटर पर गीता के श्लोक के जरिए मैसेज देने में जुटी हैं. वसुंधरा राजे ने गुरुवार को ट्विटर पर गीता का एक संस्कृत में लिखा श्लोक पोस्ट किया और उसका भावार्थ भी समझाया. श्लोक में लिखा है, 'श्री कृष्ण कहते हैं, हे अर्जुन सफलता एवं असफलता की आसक्ति को त्याग कर संपूर्ण भाव से संभाव होकर अपने कर्म करो. यही समता की भावना योग कहलाती है'.

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गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्लोक के माध्यम से वसुंधरा राजे ने अपने ट्विटर पर साझा किया, लेकिन सियासी गलियारों में अब चर्चा इस बात की है कि आखिर गीता के उपदेश के जरिए राजे कौन सा सियासी संदेश देना चाहती हैं.

गीता के इस श्लोक के मूल में यह साफ है कि सफलता और असफलता की आसक्ति को त्याग कर संपूर्ण भाव से अपने कर्म को करना चाहिए. वर्तमान में वसुंधरा राजे की मौजूदा सियासी दौर में वो स्थिति नहीं है जो पहले बतौर मुख्यमंत्री थीं. राजस्थान को लेकर कोई भी निर्णय बिना वसुंधरा राजे की राय से नहीं होता था, लेकिन अब समय के साथ स्थितियां बदल गई हैं. आज वसुंधरा राजे के पास पार्टी की केंद्रीय इकाई में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद भी है, लेकिन राजस्थान भाजपा में विरोधियों के सक्रिय होने के चलते वो सियासी कद कम हुआ है.

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इस मैसेज के जरिए राजे ने ये साफ कर दिया कि सफलता असफलता आती जाती रहती है, लेकिन अपने कर्म को करना ना भूले और संपूर्ण भाव से अपने कर्म को करें. फिलहाल, वसुंधरा राजे सफलता असफलता की उम्मीद छोड़ कर एकाग्र चित्त होकर अपने कर्म में जुटी हैं. फिर चाहे लोगों से मिलना, पार्टी नेता और कार्यकर्ताओं से मेलजोल और फोन पर उनकी कुशलक्षेम पूछते रहना. यह अब उनकी नियमित दिनचर्या में शामिल हो चुका है. इससे 3 दिन पहले वसुंधरा राजे ने ट्विटर पर ही भगवान श्री कृष्ण को लेकर एक प्रार्थना पोस्ट की थी जिसमें 'हे कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण हे वासुदेवा' लिखा गया था.

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