जयपुर. भामाशाहों को प्रदेश के राजकीय महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में प्रवेश के लिए सीटें आरक्षित मिलने (Admission quota for Bhamashah in Rajasthan) का मामला तूल पकड़ने लगा है. इसका विरोध करते हुए भाजपा नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि 50 लाख रुपये दान करने के बदले भामाशाहों को अंग्रेजी माध्यम राजकीय विद्यालायों में 10 सीटें आरक्षित करना आरटीई एक्ट के विरुद्ध है. राज्य सरकार आमजन एवं आरटीई एक्ट विरोधी इस निर्णय को समय रहते वापिस लें, नहीं तो इस निर्णय का विरोध जारी रहेगा.
देवनानी ने जयपुर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार राज्य में शिक्षा व्यवस्था को पूर्ण रूप से ध्वस्त करने को आमादा है. यही कारण है कि कांग्रेस सरकार ने पिछले साढे तीन सालों में एक के बाद एक नियमों से परे जाकर आदेश निकाले हैं. महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में दानदाता को प्रतिवर्ष 10 सीटों पर प्रवेश आरक्षित करना इसका एक उदाहरण है. 50 लाख दान देने के बदले भामाशाहों को सीट आरक्षित करना निश्चित ही आरटीई एक्ट का उल्लंघन है.
शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत किसी विद्यालय की ओर से अतिरिक्त राशि देकर प्रवेश देना प्रतिबंधित है और आरटीई एक्ट की मूल भावना के खिलाफ भी है. सबको एक समान शिक्षा के विपरीत निकाला गया यह आदेश न सिर्फ राजकीय विद्यालय के संस्थागत ढांचे को ध्वस्त कर देगा. बल्कि निजी विद्यालय की ओर से भी इस प्रकार की मांग को मजबूत कर शिक्षण व्यवस्था का बंटाधार करने की ओर अग्रसित होगा.
देवनानी ने कहा कि एक और जहां सरकार पहले से चल रहे हिंदी माध्यम के राजकीय विद्यालय को बंद कर उसके स्थान पर महात्मा गांधी विद्यालय चलाने के नाम पर कई विद्यार्थियों को शिक्षा से वंचित कर रही है. हिंदी माध्यम के स्कूलों को ही अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में बदलने से हिंदी मीडियम में पढ़ने वाले 80 प्रतिशत बच्चों की शिक्षा पर संकट खड़ा हो गया है. 80 प्रतिशत विद्यार्थियों की पढ़ाई का चिंतन किए बगैर यह निर्णय लेना, निश्चित ही अव्यवहारिक है.
देवनानी ने यह भी कहा कि सरकार को अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलना ही था तो प्राइमेरी कक्षा से खोलना उचित रहता. सीधे उपर की कक्षाओं में एका-एक अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई कराना, सही निर्णय नहीं है. कक्षा 8वीं तक हिंदी मीडियम में शिक्षा लेने वाले विद्यार्थी को कक्षा 9वीं में सीधे अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा देना, उसके भविष्य को संकट में डालने जैसा है. उन्होंने कहा कि इसीलिए सरकार इन अंग्रेजी मीडियम स्कूलों का संचालन करने से पहले हिंदी मीडियम के बच्चों के शिक्षा का प्रबंधन करें. साथ ही भामाशाहों को आरक्षित सीट देने के प्रावधानों को निरस्त करे.