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राजस्थान में ओमीक्रोन स्ट्रेन ! अब तक प्रदेश में मिल चुके है कोरोना के इतने वेरिएंट

हाल ही में दक्षिण अफ्रीका से जयपुर लौटे एक ही परिवार के 4 सदस्य कोरोना संक्रमित मिले. चिकित्सा विभाग ने अंदेशा जताया है कि यह ओमीक्रोन हो सकता है. इसके बाद संक्रमितों के सैंपल जयपुर के एसएमएस अस्पताल में जिनोम सीक्वेंसिंग (Genome sequencing at SMS Hospital Jaipur) के लिए भेजे गए हैं. ये सैंपल अस्पताल की माइक्रोबायोलॉजी लैब में भेजे गए हैं. इससे पहले भी राजस्थान में कोरोना के वेरिएंट (Variants of Corona in Rajasthan) सामने आ चुके हैं. तकरीबन 1600 से अधिक सैंपल की जिनोम सीक्वेंसिंग की जा चुकी है.जिनोम सीक्वेंसिंग से ही वायरस में हुए बदलाव का पता लगाया जाता है.

Omicron strain in Rajasthan, Variants of Corona in Rajasthan
राजस्थान में ओमीक्रोन स्ट्रेन
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Published : Dec 4, 2021, 7:11 PM IST

Updated : Dec 4, 2021, 11:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान में कोविड-19 संक्रमण (covid-19 infection in Rajasthan) के शुरुआती मामले जब सामने आए थे तो जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल प्रदेश से बाहर भेजे जाते थे. अब एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर की माइक्रोबायोलॉजी लैब (Microbiology Lab of Jaipur ) में भी जिनोम सीक्वेंसिंग की शुरुआत हो चुकी है.

हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में कोरोना का नया स्ट्रेन (new strain of corona in south africa) सामने आया है. बताया जा रहा है कि यह नया वेरिएंट कई गुना तेजी से फैलता है. ऐसे में विश्व भर में इसे लेकर ओमीक्रोन पर डब्लूएचओ का अलर्ट (WHO alert on Omicron ) भी जारी है.

एसएमएस अस्पताल में जिनोम सीक्वेंसिंग

जिनोम सीक्वेंसिंग क्या है

जिनोम सीक्वेंसिंग क्या है (What is Genome Sequencing), अगर इसकी बात की जाए तो इससे वायरस के प्रकार के बारे में पता लगाया जाता है. वायरस में किसी तरह का कोई बदलाव आता है तो जिनोम सीक्वेंसिंग से ही इसकी जानकारी मिलती है. आसान भाषा में समझा जाए तो कोई वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है, इसकी जानकारी जीनोम से मिलती है. इसी वायरस के विशाल समूह को जिनोम कहा जाता है. वायरस के बारे में जानने की विधि को जिनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं. प्रदेश की बात की जाए तो जिनोम सीक्वेंसिंग से यह पता लग पाया है कि राजस्थान में डेल्टा वेरिएंट (Delta variant in Rajasthan ) के 88 फीसदी मामले पाए गए हैं.

पढ़ें-कोरोना से मौत पर मुआवजा : गहलोत सरकार ने किसी मृतक के आश्रित को नहीं दिया मुआवजा..

राजस्थान में कोरोना वेरिएंट

अब तक 2739 सैंपल जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए

इनमें से 1669 सैंपल में वेरिएंट ऑफ कंसर्न पाया गया

इस दौरान 85 सैंपल में अल्फा वेरिएंट

37 सैंपल में कप्पा वेरिएंट

1481 सैंपल में डेल्टा वेरिएंट

27 सैंपल में डेल्टा लाइक वेरिएंट

1 सैंपल में डेल्टा प्लस वेरिएंट

38 सैंपल में B.1 वेरिएंट पाया गया

मामले को लेकर सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ रमन शर्मा का कहना है कि हाल ही में कोरोना वायरस का नया वेरिएंट देखने को मिला है. यह कितना घातक हो सकता है इसको लेकर रिसर्च जारी है. लेकिन साउथ अफ्रीका से मिले डेटा के अनुसार फिलहाल जिन मरीजों में ओमीक्रोन स्ट्रेन देखने को मिला है उनमें काफी माइल्ड सिम्टम्स देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में यह नया वेरिएंट किस तरह घातक होगा, अभी तक इसे लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता. यह भी माना जा सकता है कि वायरस ने अपना स्ट्रक्चर चेंज किया हो, तो यह माइल्ड वैरायटी में बदल गया होगा और हो सकता है अपना अस्तित्व बचाने में जुटा हो.

राजस्थान में कोरोना वैक्सीनेशन सबसे बड़ा हथियार

राजस्थान में कोरोना वैक्सीनेशन (corona vaccination in rajasthan) ही हर वेरिएंट से बचने का बड़ा हथियार है. डॉ रमन शर्मा का कहना है कि नए वेरिएंट को लेकर यह भी देखने को मिला है कि जिन लोगों ने वैक्सीन लगवाई है और इसके बाद भी वे संक्रमित हुए हैं, उनमें नया वेरिएंट इतना घातक नहीं है कि मरीज की मौत हो जाए. अभी तक किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि वैक्सीनेशन ही सबसे बड़ा हथियार है.

जयपुर. राजस्थान में कोविड-19 संक्रमण (covid-19 infection in Rajasthan) के शुरुआती मामले जब सामने आए थे तो जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल प्रदेश से बाहर भेजे जाते थे. अब एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर की माइक्रोबायोलॉजी लैब (Microbiology Lab of Jaipur ) में भी जिनोम सीक्वेंसिंग की शुरुआत हो चुकी है.

हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में कोरोना का नया स्ट्रेन (new strain of corona in south africa) सामने आया है. बताया जा रहा है कि यह नया वेरिएंट कई गुना तेजी से फैलता है. ऐसे में विश्व भर में इसे लेकर ओमीक्रोन पर डब्लूएचओ का अलर्ट (WHO alert on Omicron ) भी जारी है.

एसएमएस अस्पताल में जिनोम सीक्वेंसिंग

जिनोम सीक्वेंसिंग क्या है

जिनोम सीक्वेंसिंग क्या है (What is Genome Sequencing), अगर इसकी बात की जाए तो इससे वायरस के प्रकार के बारे में पता लगाया जाता है. वायरस में किसी तरह का कोई बदलाव आता है तो जिनोम सीक्वेंसिंग से ही इसकी जानकारी मिलती है. आसान भाषा में समझा जाए तो कोई वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है, इसकी जानकारी जीनोम से मिलती है. इसी वायरस के विशाल समूह को जिनोम कहा जाता है. वायरस के बारे में जानने की विधि को जिनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं. प्रदेश की बात की जाए तो जिनोम सीक्वेंसिंग से यह पता लग पाया है कि राजस्थान में डेल्टा वेरिएंट (Delta variant in Rajasthan ) के 88 फीसदी मामले पाए गए हैं.

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राजस्थान में कोरोना वेरिएंट

अब तक 2739 सैंपल जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए

इनमें से 1669 सैंपल में वेरिएंट ऑफ कंसर्न पाया गया

इस दौरान 85 सैंपल में अल्फा वेरिएंट

37 सैंपल में कप्पा वेरिएंट

1481 सैंपल में डेल्टा वेरिएंट

27 सैंपल में डेल्टा लाइक वेरिएंट

1 सैंपल में डेल्टा प्लस वेरिएंट

38 सैंपल में B.1 वेरिएंट पाया गया

मामले को लेकर सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ रमन शर्मा का कहना है कि हाल ही में कोरोना वायरस का नया वेरिएंट देखने को मिला है. यह कितना घातक हो सकता है इसको लेकर रिसर्च जारी है. लेकिन साउथ अफ्रीका से मिले डेटा के अनुसार फिलहाल जिन मरीजों में ओमीक्रोन स्ट्रेन देखने को मिला है उनमें काफी माइल्ड सिम्टम्स देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में यह नया वेरिएंट किस तरह घातक होगा, अभी तक इसे लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता. यह भी माना जा सकता है कि वायरस ने अपना स्ट्रक्चर चेंज किया हो, तो यह माइल्ड वैरायटी में बदल गया होगा और हो सकता है अपना अस्तित्व बचाने में जुटा हो.

राजस्थान में कोरोना वैक्सीनेशन सबसे बड़ा हथियार

राजस्थान में कोरोना वैक्सीनेशन (corona vaccination in rajasthan) ही हर वेरिएंट से बचने का बड़ा हथियार है. डॉ रमन शर्मा का कहना है कि नए वेरिएंट को लेकर यह भी देखने को मिला है कि जिन लोगों ने वैक्सीन लगवाई है और इसके बाद भी वे संक्रमित हुए हैं, उनमें नया वेरिएंट इतना घातक नहीं है कि मरीज की मौत हो जाए. अभी तक किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि वैक्सीनेशन ही सबसे बड़ा हथियार है.

Last Updated : Dec 4, 2021, 11:36 PM IST
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