जयपुर. राजस्थान में वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रचार अभियान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पहुंच कर तेजी तो दी है, लेकिन इस बार पार्टी ने स्थानीय नेताओं को ही चुनाव की कमान सौंपते हुए मैसेज देने का प्रयास किया है कि पार्टी में स्थानीय नेता और कार्यकर्ता ही स्टार प्रचारक हैं. कारण साफ है कि इससे पहले हुए 3 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में कांग्रेस ने स्थानीय की जगह दूसरे जिलों के नेताओं के स्टार प्रचारक बनाया था, लेकिन उनमें से ज्यादातर प्रचार करने नहीं पहुंचे. इसलिए कांग्रेस ने इस बार स्थानीय नेताओं को ही चुनाव प्रचार की कमान सौंपी है.
वल्लभनगर और धरियावद उपचुनाव से पहले हुए 3 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में 30 स्टार प्रचारकों की लिस्ट आई थी. इनमें एआईसीसी महासचिव जितेंद्र सिंह, मंत्री बीडी कल्ला, लालचंद कटारिया, ममता भूपेश, विधायक नरेंद्र बुडानिया, शकुंतला रावत, जगदीश जांगीड़ जैसे स्टार प्रचारकों की सभाएं नहीं हो सकी थीं. इसकी वजह बड़े नेताओं की व्यस्तता के साथ ही क्षेत्र से डिमांड नहीं होना भी था. वैसे भी इस बार कांग्रेस ने खास ध्यान रखते हुए जिन 20 नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया है, उनमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अजय माकन, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को छोड़कर ज्यादातर नेता इन चुनावों से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं. इसके अलावा ये नेता या तो उसी क्षेत्र से आते हैं या फिर उन्हें संगठन की ओर से इन सीटों से जुड़े जिलों की जिम्मेदारी दी गई है.
कांग्रेस इस बार अपने स्थानीय नेताओं के दम पर चुनाव तो जीतना चाहती है, लेकिन इसके साथ ही स्थानीय नेताओं को स्टार प्रचारक बनाकर उनका पार्टी में कद बढ़ाते हुए पूरी तरह पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में दिल से जोड़ने का प्रयास किया है. स्टार प्रचारकों के साथ ही कांग्रेस ने दोनों विधानसभा सीटों के सरपंच, पार्षद से लेकर सभी स्थानीय पदाधिकारियों और नेताओं को चुनाव में प्रचार के लिए उतार दिया है.
उदयपुर सम्भाग के ये 9 नेता जो बनाए गए स्टार प्रचारक
स्टार प्रचारकों में जिन 20 नेताओं को शामिल किया गया है. उनमें से 9 नेता रघुवीर मीणा, अर्जुन सिंह बामनिया, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, दयाराम परमार, रामलाल मीणा, गणेश घोघरा, मांगीलाल गरासिया, पुष्कर लाल डांगी, दिनेश खोड़निया उदयपुर संभाग के नेता हैं. बाकी बचे 11 नेताओं में राजस्थान के टॉप 4 (गहलोत, पायलट, डोटासरा, माकन) के साथ ही 4 प्रभारी मंत्रियों और संगठन के उदयपुर संभाग के प्रभारियों को ही मौका दिया गया है.
सीपी जोशी संवैधानिक पद पर होने के चलते नहीं शामिल, गिरिजा व्यास का नाम नदारद
वल्लभनगर और धरियावद सीटें उदयपुर संभाग में आती हैं. पार्टी ने उदयपुर संभाग के सभी नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया है. इनमें विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी का नाम भले ही संवैधानिक पद पर होने के चलते शामिल नहीं किया गया हो, लेकिन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहीं उदयपुर संभाग की कद्दावर नेता गिरिजा व्यास का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल नहीं होना आश्चर्यजनक है. कहा जा रहा है कि गिरिजा व्यास के स्वास्थ्य कारणों के चलते इस लिस्ट में उनका नाम नहीं है. हालांकि नामांकन रैली में गिरिजा व्यास की मौजूदगी यह बताती है कि भले ही उनका स्वास्थ्य खराब हो, लेकिन उनका नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल होना चाहिए था.
पढ़ें: वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव: भाजपा को भितरघात का खतरा...अपनों से ही मिल रही चुनौती
इस बार माकन के प्रचार पर आने की संभावना कम
डोटासरा सोमवार से उपचुनाव के प्रचार अभियान की कमान संभालने उदयपुर पहुंच गए हैं. पिछली बार उपचुनाव में 3 दिन तक प्रदेश में रहकर प्रचार करने वाले अजय माकन इस बार मुश्किल ही दिखाई देंगे. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि माकन दिल्ली से ही पूरे चुनाव की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. जबकि हाल ही में संपन्न हुए उपचुनाव में राजसमंद और सहाड़ा विधानसभा सीट पर प्रचार करने के लिए माकन तीन दिन तक प्रदेश में रहे थे. हालांकि माकन नामांकन रैली के दिन दोनों विधानसभा सीटों में प्रचार करने गहलोत, पायलट और डोटासरा के साथ मौजूद थे.
सीएम ने विश्वसनीय नेताओं को लगाया काम पर
गहलोत उपचुनाव में नामांकन रैली में ही जनसभा करते हुए नजर आए और अब लगता नहीं है कि मुख्यमंत्री दोबारा प्रचार करने इन विधानसभा सीटों पर पहुंचेंगे. भले ही इन दोनों सीट की हार-जीत से सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन प्रदेश में जिस तरीके के सियासी हालात बने हुए हैं और सचिन पायलट जिस तरह से बार-बार यह कहते नजर आते हैं कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार तो बन जाती है लेकिन सरकार रिपीट नहीं हो पाती. ऐसे में सरकार होने के बावजूद कांग्रेस चुनाव हारने पर सवालों में घिर सकती है.
यही कारण है कि मुख्यमंत्री कोई चांस नहीं लेना चाहते हैं. इसके चलते मुख्यमंत्री ने अपने विश्वसनीय नेताओं को धरियावद और वल्लभनगर चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री रोजाना दोनों सीटों पर अपने विश्वसनीय नेताओं से फीडबैक लेते हुए मॉनिटरिंग राजधानी से ही कर रहे हैं.