जयपुर. राजस्थान में दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टेडियम की नींव रखे जाने के साथ ही जयपुर के चोंप में खेल का मैदान तैयार होना शुरू हो गया है. राजस्थान क्रिकेट संघ के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत ने इस दौरान अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम का जिक्र किया और बीसीसीआई के सचिव और केंद्रीय गृह मंत्री के बेटे जय शाह से मुलाकात की भी बात कही.
जाहिर है दोनों ही नेता पुत्र अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा से ताल्लुक जरूर रखते हैं लेकिन क्रिकेट की पिच पर दोनों की हाल ही में आईपीएल के दौरान शारजाह में हुई मुलाकात एक-सुर ताल का संकेत दे रही है. इस बीच सियासत के जानकारों का नजरिया गुजरात में अहमद पटेल की राज्यसभा सीट के लिए अशोक गहलोत और अमित शाह जैसे राजनीति के पंडितों की शह-मात को याद करते हुए इस खेल में बड़े खेले की गुंजाइश तलाश रहे हैं.
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भारतीय क्रिकेट में राजनीति का दखल नया नहीं है. सब जानते हैं कि सफेद कुर्ते वाले कब क्रिकेट की जर्सी के जरिये गेंद और बल्ले की रफ्तार पर नजर गाड़ना शुरु कर देते हैं. फिलहाल मसला है क्रिकेट के नये दौर में सिरमौर होने का और देश के सामने भविष्य की क्रिकेट राजनीति पर कब्जे का है. ऐसे में दो युवा चेहरे क्रिकेट स्टेडियम के जरिये इस राह पर आगे बढ़ रहे हैं. मोटेरा में दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट का मैदान तैयार करके जय शाह ने तो अपने मैनेजमेंट का लोहा साबित कर दिया. इस काम में गुजरात और देश के नामी कारोबारी अडानी समूह का सहयोग भी सर्वविदित है.
अब चोंप स्टेडियम के नाम पर स्टेडियम की भव्यता के जरिये वैभव गहलोत इस बार जय शाह को क्रिकेट की राजनीति में चुनौती पेश करते हुए नजर आ रहे हैं. क्षेत्रफल के लिहाज से चोंप का मैदान मोटेरा की अपेक्षा खासा बड़ा है, लेकिन दर्शक क्षमता के लिहाज से गांधीनगर के मैदान का नाम सिरमौर के तौर पर वैश्विक पटल पर लिखा जा चुका है. लिहाजा दुनिया के तीसरे बड़े क्रिकेट स्टेडियम के रूप में वैभव गहलोत जयपुर के इस मैदान को बाकी मायनों में कैसे अलग साबित करेंगे. इसे लेकर भी उन पर सबकी निगाह होगी.
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क्रिकेट न सिर्फ भारतीयों के दिलों पर राज करता है, बल्कि कई रास्ते इसी क्रिकेट के जरिये खुलते हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव में वैभव गहलोत का आगाज जब पराजय के साथ हुआ, तो क्रिकेट के जरिये उन्होंने अपने करियर की अगली राह का चुनाव कर लिया. इस काम के लिये उन्होंने राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष और आरसीए के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. सीपी जोशी के सपने को आगे बढ़ाने की चुनौती अपने हाथों में ले ली. इस लिहाज से माना जा रहा है कि मसला सिर्फ स्टेडियम के निर्माण का नहीं है, बल्कि क्रिकेट से देश में नाम कमाने का है.
ऐसे में वैभव गहलोत ने नींव के साथ ही इतना इशारा किया कि हम हर मायने में अतीत की उपलब्धियों के आगे रहेंगे. इसमें स्टेडियम के लिये खुद बिजली तैयार करना, भविष्य में पानी की उपलब्धता को चुनौती मानकर वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को तैयार करना, मोटेरा का मुकाबले तेज और बेहतर पिच बनाना जैसे मुद्दों को जाहिर भी किया गया. लेकिन सवाल इससे भी आगे चला जाता है जिनमें क्रिकेट मैदान वैभव और जय के बीच किसका चुनावी भविष्य तय करेगा, किसका सपना देश के सिर चढ़कर बोलेगा, कौन असल मायनों में 22 गज की पिच पर तेज दौड़ेगा और कौन रन आउट हो जाएगा? खैर सवाल कल के पहलु से निकलकर आएंगे, तब तक इंतजार ही ये जवाब तैयार करेगा कि गहलोत-शाह की दूसरी पीढ़ी में कौन खेल के मैदान पर बाजी मारकर खुद को सिकंदर साबित करेगा.