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राजस्थान में खत्म होगा कोयला संकट....केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कोल मंत्रालय को की अनुशंसा, ब्रिज लिंकेज के तहत मिलेगा कोयला - etv bharat rajasthan news

राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के लिए राहत भरी खबर है. केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने राजस्थान के तापीय विद्युत गृहों के लिए ब्रिंज लिंकेज और तात्कालिक लिंकेज के तहत कोयला उपलब्ध कराने की अनुशंसा (Union Power Ministry recommends Coal Ministry) कर दी है. जिसके बाद अब प्रदेश की तापीय विद्युत गृहों के लिए कोयला उपलब्ध होने की राह प्रशस्त हो गई है.

Union Power Ministry recommends Coal Ministry
केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कोल मंत्रालय को की अनुशंसा
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Published : Mar 14, 2022, 8:05 PM IST

जयपुर. केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने ब्रिंज लिंकेज और तात्कालिक लिंकेज के तहत राजस्थान के तापीय विद्युत गृहों के लिए कोयला उपलब्ध कराने की अनुशंसा (Union Power Ministry recommends Coal Ministry) कर दी है. जिसके बाद अब प्रदेश की तापीय विद्युत गृहों के लिए कोयला उपलब्ध होने की राह आसान हो गई है. अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री गहलोत उच्चस्तरीय बैठकों में ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी, एसीएस एनर्जी और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को केन्द्र और छत्तीसगढ़ सरकार से समन्वय बनाते हुए हल निकालने के निर्देश देते रहे हैं.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री गहलोत के निर्देश पर ही पिछले दिनों ऊर्जा मंत्री भाटी और एसीएस एनर्जी डॉ. अग्रवाल ने दिल्ली में केन्द्रीय मंत्री और संबंधित सचिव से चर्चा करके राजस्थान का पक्ष रखा है. इसी का परिणाम है कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कोल मंत्रालय को 24.4 मिलियन मैट्रिक टन कोयला प्रतिवर्ष उपलब्ध कराने की अनुशंसा कर दी है. भाटी ने केन्द्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय की अनुशंसा को बड़ी सफलता और प्रदेश के लिए राहत भरी खबर बताया है. उन्होंने बताया कि इससे प्रदेश के प्रभावित चारों तापीय विद्युत उत्पादन गृहों में बिजली का निर्बाध उत्पादन जारी रह सकेगा.

पढे़ं-छत्तीसगढ़ सरकार से अब तक नहीं मिली मंजूरी, कोयला संकट का दिख सकता है असर...सरकार को घेरने की तैयारी में भाजपा

एसीएस एनर्जी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के छबड़ा की 1320 और 500 मेगावाट की इकाई, सूरतगढ़ की 1320 मेगावाट इकाई और कालीसिंध की 1200 मेगावाट की इकाई यानी कुल 4340 मेगावाट इकाइयों के लिए राज्य सरकार की केप्टिव माइन परसा ईस्ट और केंटा बेसिन से कोयला आ रहा था. उन्होंने बताया कि परसा ईस्ट और केंटा बेसिन ब्लॉक के दूसर चरण और परसा कोल ब्लॉक और केंटा एक्सटेंसन कोल ब्लॉक में खनन कार्य आरंभ होने के कारण, छत्तीसगढ़ सरकार से आवश्यक अनुमति मिलने में हो रही देरी को देखते हुए राज्य की इन इकाइयों के सामने कोयले का संकट आ गया है.

पढ़ें- सिंगरेनी कोलियरीज में कोयला खदान हादसे में तीन लोगों की मौत

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रभावी तरीके से राज्य का पक्ष रखते हुए केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय से राजस्थान के लिए कोयले की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए 24.4 मिलियन मैट्रिक टन प्रतिवर्ष कोयला आवंटित करने का आग्रह किया है. उन्होंने बताया कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार के आग्रह को मानते हुए कोयला मंत्रालय को अनुशंसा करना और एक साल के लिए कोयला उपलब्ध कराना राज्य के लिए बड़ी राहत है. उन्होंने आशा व्यक्त की हैं कि आगामी दिनों में कोयला मंत्रालय की होने वाली बैठक में राजस्थान को अतिरिक्त कोयला आवंटित कर दिया जाएगा.

जयपुर. केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने ब्रिंज लिंकेज और तात्कालिक लिंकेज के तहत राजस्थान के तापीय विद्युत गृहों के लिए कोयला उपलब्ध कराने की अनुशंसा (Union Power Ministry recommends Coal Ministry) कर दी है. जिसके बाद अब प्रदेश की तापीय विद्युत गृहों के लिए कोयला उपलब्ध होने की राह आसान हो गई है. अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री गहलोत उच्चस्तरीय बैठकों में ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी, एसीएस एनर्जी और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को केन्द्र और छत्तीसगढ़ सरकार से समन्वय बनाते हुए हल निकालने के निर्देश देते रहे हैं.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री गहलोत के निर्देश पर ही पिछले दिनों ऊर्जा मंत्री भाटी और एसीएस एनर्जी डॉ. अग्रवाल ने दिल्ली में केन्द्रीय मंत्री और संबंधित सचिव से चर्चा करके राजस्थान का पक्ष रखा है. इसी का परिणाम है कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कोल मंत्रालय को 24.4 मिलियन मैट्रिक टन कोयला प्रतिवर्ष उपलब्ध कराने की अनुशंसा कर दी है. भाटी ने केन्द्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय की अनुशंसा को बड़ी सफलता और प्रदेश के लिए राहत भरी खबर बताया है. उन्होंने बताया कि इससे प्रदेश के प्रभावित चारों तापीय विद्युत उत्पादन गृहों में बिजली का निर्बाध उत्पादन जारी रह सकेगा.

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एसीएस एनर्जी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के छबड़ा की 1320 और 500 मेगावाट की इकाई, सूरतगढ़ की 1320 मेगावाट इकाई और कालीसिंध की 1200 मेगावाट की इकाई यानी कुल 4340 मेगावाट इकाइयों के लिए राज्य सरकार की केप्टिव माइन परसा ईस्ट और केंटा बेसिन से कोयला आ रहा था. उन्होंने बताया कि परसा ईस्ट और केंटा बेसिन ब्लॉक के दूसर चरण और परसा कोल ब्लॉक और केंटा एक्सटेंसन कोल ब्लॉक में खनन कार्य आरंभ होने के कारण, छत्तीसगढ़ सरकार से आवश्यक अनुमति मिलने में हो रही देरी को देखते हुए राज्य की इन इकाइयों के सामने कोयले का संकट आ गया है.

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डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रभावी तरीके से राज्य का पक्ष रखते हुए केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय से राजस्थान के लिए कोयले की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए 24.4 मिलियन मैट्रिक टन प्रतिवर्ष कोयला आवंटित करने का आग्रह किया है. उन्होंने बताया कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार के आग्रह को मानते हुए कोयला मंत्रालय को अनुशंसा करना और एक साल के लिए कोयला उपलब्ध कराना राज्य के लिए बड़ी राहत है. उन्होंने आशा व्यक्त की हैं कि आगामी दिनों में कोयला मंत्रालय की होने वाली बैठक में राजस्थान को अतिरिक्त कोयला आवंटित कर दिया जाएगा.

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