जयपुर. कोरोना ने प्रदेश के हजारों लोगों का रोजगार छीन लिया है. वहीं, प्राइवेट सेक्टर में कुछ को 50 फीसदी तो कुछ को न के बराबर भुगतान हो रहा है. हालांकि, लॉकडाउन के बाद कुछ सरकार पर निर्भर हैं तो कुछ रोजगार का इंतजार छोड़ हुनर के दम पर दोबारा अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं.
कोरोना के कारण बेरोजगारों की संख्या में इजाफा...
कोरोना वायरस के कारण देश में बेरोजगारों की बड़ी फौज खड़ी हो गई है. कोरोना ने लोगों की आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया है. इस महामारी का सबसे ज्यादा असर लोगों के रोजगार पर पड़ा है. कई ऐसे सेक्टर हैं जो लॉकडाउन के बाद भी अब तक खड़े नहीं हो पाए हैं. टूरिज्स, कंस्ट्रक्शन, मैन्यूफैक्चरिंग, हॉस्पिटैलिटी, टेंट/कैटरिंग और आईटी/मैनेजमेंट से जुड़े प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी तो इन विपरीत परिस्थितियों में जीवन यापन के लिए 'संजीवनी' खोजने में जुटे हुए हैं.
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स्कूल टीचर भी हुए बेरोजगार...
यही नहीं, स्कूल-कॉलेज बंद होने के कारण प्राइवेट स्कूल टीचर भी बेरोजगार हो गए हैं. वहीं, बड़ी संख्या में मजदूरों ने भी पलायन किया है जो फिलहाल अपने गृह राज्य में रोजगार की तलाश कर रहे हैं. राज्य सरकार ऐसे मजदूरों का डाटा तैयार करने में लगी हुई है. बताया जा रहा है कि देश में करीब 30 लाख प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से वापस अपने गृह राज्य लौटे हैं. इनमें बड़ी संख्या में स्किल्ड लेबर भी शामिल हैं, जिसका सीधा असर सरकारी और प्राइवेट प्रोजेक्ट पर पड़ रहा है.
प्राइवेट सेक्टर ने समेटा रोजगार...
इस संबंध में अर्थशास्त्री प्रोफेसर जेपी यादव ने बताया कि कॉमर्स का सीधा सा सिद्धांत है, किसी भी व्यक्ति या कंपनी को प्रॉफिट नहीं होगा तो वो अपने एंप्लाइज को क्या दे पाएगी. कोरोना की वजह से प्राइवेट सेक्टर ने अपने रोजगार को सिमटा लिया है और कर्मचारियों की छंटनी करना शुरू कर दिया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक कोरोना संक्रमण की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक किसी भी इंडस्ट्री और कंपनी का दोबारा उठना संभव नहीं है.
उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर में वर्क फ्रॉम होम हो रहा है. ऐसे में कई लोगों का रोजगार तो लगभग खत्म हो गया है. वहीं, प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा. ऐसे में मजदूरों के साथ-साथ अब शिक्षित बेरोजगारों की भी एक बड़ी फौज खड़ी हो गई है.
सरकार को अटकी हुई भर्तियां पूरी करनी चाहिए...
बेरोजगार संघ के संयोजक उपेन यादव ने कहा कि कोरोना काल में बेरोजगारी बढ़ी है. ऐसे में अब राजनीतिक दलों को रोजगार सृजन करने का रास्ता निकालना होगा और अटकी हुई भर्तियों को भी पूरा करना चाहिए. वहीं, सरकार यदि कृषि पर्यवेक्षक की 1 हजार 832 पदों की भर्ती प्रक्रिया पूरी करती है तो इससे बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा ही. साथ ही टिड्डियों से प्रभावित किसानों को भी ये पर्यवेक्षक मदद कर सकेंगे.
राज्य स्तर पर खुले ट्रेनिंग सेंटर...
उपेन यादव ने कहा कि प्रदेश में किसी को ड्राइवर, किसी को नर्सिंग कर्मी, तो किसी को कुक की आवश्यकता होती है. सरकार को राज्य स्तर पर एक ट्रेनिंग सेंटर खोलना चाहिए, ताकि जॉब का सृजन हो और प्रदेश की जनता को वैरिफाइड एंप्लॉय मिल पाएंगे. थणी-ठेला संचालक से लेकर बड़ी-बड़ी आईटी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी घर पर बैठे हैं. उनके पास कोई रोजगार नहीं है.
प्राइवेट सेक्टर हुआ है प्रभावित...
ऑल इंडिया मेडिकल स्टूडेंट एसोसिएशन यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष भरत बेनीवाल ने कहा कि सरकारी खेमे को छोड़कर प्राइवेट सेक्टर पूरी तरह प्रभावित हुआ है. ऐसे में राज्य सरकार को पहल करते हुए मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन लाइन को मजबूत करना होगा, ताकि मजदूर वर्ग को कम से कम रोजगार मिलना शुरू हो. वहीं युवा और किसानों के लिए ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जानी चाहिए.
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हालांकि, अब राजस्थान में बेरोजगारी की दर घटकर लॉकडाउन से पहले के स्तर पर आ गई है. कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण लाखों लोग बेरोजगार हो गए थे. अप्रैल-मई में देश में बेरोजगारी की दर 23.5 फीसदी तक पहुंच गई थी, जो अब 8.5 फीसदी रह गई है. साफ है कि बेरोजगारों ने अपनी नई राह तलाशी है. जरूरत है कि सरकार भी नई भर्तियां निकाल कर बेरोजगारों के लिए रोजगार का सृजन करे.