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Prashasan Shahron Ke Sang Abhiyan: जानिए! कैसे मिल सकता है ₹1 में 300 वर्ग गज तक का पट्टा

प्रशासन शहरों के संग अभियान (Prashasan Shahron Ke Sang Abhiyan) के तहत राज्य सरकार (Rajasthan Government) ने महज 1 रुपए में 300 वर्ग गज तक का पट्टा देने का फैसला किया है. पुरानी आबादी के पट्टों में दो प्रावधान किेए गए हैं जिससे इस सोच को ग्राउंड पर उतारा जा रहा है.

Prashasan Shahron Ke Sang Abhiyan
जानिए! कैसे मिल सकता है ₹1 में 300 वर्ग गज तक का पट्टा
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Published : Nov 20, 2021, 10:21 AM IST

Updated : Nov 20, 2021, 2:25 PM IST

जयपुर. प्रशासन शहरों के संग अभियान (Prashasan Shahron Ke Sang Abhiyan) के तहत राज्य सरकार (Rajasthan Government) स्ट्रीट ग्रांट एक्ट 1961 (Street Grant Act 1961) के तहत पट्टे बांट रही है. पुरानी आबादी के पट्टों में सरकार ने दो प्रावधान किए हैं.

इस प्रावधान के तहत अभियान के दौरान सामान्य वर्ग के व्यक्तियों के लिए 1990 से पूर्व का कब्जा साबित करने पर पट्टा देने का प्रावधान तय किया है. जबकि अनुसूचित जाति (Schedule Cast) अनुसूचित जनजाति (Schedule Tribe) के लोगों के लिए 1996 से पूर्व का कब्जा साबित करने पर पट्टा देने का प्रावधान किया गया है. खास बात ये है कि ये पट्टा महज ₹1 के शुल्क पर दिया जाना है.

पढ़ें-World Toilet Day : वर्ल्ड हेरिटेज सिटी जयपुर में नहीं है महिलाओं के लिए टॉयलेट...संकोच और शर्मिंदगी से लोग परेशान लेकिन प्रशासन को फर्क नहीं पड़ता

इस एक्ट के तहत 300 वर्ग गज तक का पट्टा ही देने का प्रावधान है. साथ ही 40 साल पहले से, संबंधित व्यक्ति कम से कम 30% प्लॉट एरिया (Plot Area) में कच्चा या पक्का निर्माण (Kachha Pakka) कर निवास करते हुए रह रहा हो. हेरिटेज नगर निगम (Heritage Nagar Nigam) में बड़ी संख्या में आवेदन भी आ रहे हैं. लेकिन गैर मुमकिन पहाड़ क्षेत्र स्वामित्व दस्तावेज नहीं होने और दूसरे कारणों से अब तक 500 से ज्यादा आवेदन निरस्त किए जा चुके हैं, और महज 175 पट्टे ही बांटे जा सके हैं. इनमें 50 फीसदी अकेले हवामहल-आमेर जोन (Hawamahal-Amer Zone) से दिए गए हैं.

Prashasan Shahron Ke Sang Abhiyan
राजस्थान स्टेट गारमेंट ग्रान्ट एक्ट 1961 (Rajasthan Street Grant Act 1961) में 40 वर्ष से पुराने कब्जों को पांच रुपये पर 300 वर्गमीटर तक के कच्चे-पक्के निर्माण को नियमन करने का प्रावधान था. जबकि अनुसूचित जाति/जनजाति के 20 वर्ष पुराने कब्जों को पांच रुपए नाममात्र का शुल्क वसूल करके पट्टा जारी करने का प्रावधान है.

पढ़ें-Panchayat Sahayak Warns Government: नहीं मानी मांग तो सड़क पर उतरेंगे सभी संविदाकर्मी

हालांकि राज्य सरकार (Rajasthan Government) ने प्रशासन शहरों के संग अभियान 2021 (Prashasan Shahron Ke Sang Abhiyan) के दौरान नियमों में राहत देते हुए सामान्य वर्ग के आवेदक का कब्जा 1 जनवरी 1990 से पहले का होना, और अनुसूचित जाति / जनजाति के आवेदक का कब्जा 1 जनवरी 1996 से पूर्व का होना निर्धारित किया गया. साथ ही 300 वर्गमीटर क्षेत्रफल तक एक रुपये टोकन दर पर आवासीय पट्टा जारी करने का निर्णय लिया गया. न्यूनतम 30 प्रतिशत भाग मौके पर निर्मित होने की शर्त पहले की तरह लागू रखी गई है.

अन्य शर्तें :

नगरपालिका में निर्माण स्वीकृति के लिए पात्रता को निर्धारित तिथि से पूर्व आवेदन पत्र पेश किया हो, जिस पर भवन निर्माण स्वीकृति नगर पालिका की ओर से प्रदान की गई हो.

किसी भवन पर तत्कालीन समय में राजस्थान नगर पालिका (भूमि एवं भवन कर) नियम 1961 के ठीक बाद इसे संशोधन करते हुए गृहकर और नगरीय विकास कर के नाम से जाना जाता है. इस नियम (1961) के अन्तर्गत पात्रता के लिए निर्धारित तिथि से पूर्व किसी निजी भवन पर अदा किये गये कर को आधार माना जाता है.

यदि किसी नगरपालिका के रिकार्ड में पात्रता के लिए निर्धारित तिथि से पूर्व किसी भी संदर्भ के तहत स्वामी और मकान की प्रविष्टि अंकित हो तो उसे भी ग्राहा किया जा सकता है. राजस्थान स्टेट ग्रान्ट एक्ट 1961 के अन्तर्गत पट्टा पति और पत्नि दोनों के नाम जारी किये जाएंगे.

स्टेट ग्रान्ट एक्ट 1961 (Rajasthan Street Grant Act 1961) के अन्तर्गत नियमित भूखण्ड को पट्टाधारी, विधि अनुसार हस्तान्तरण विक्रय रहन और वसीयत करने के लिए स्वतंत्र होंगे.

क्या है सिस्टम?

आपको बता दें कि पात्र व्यक्ति के आवेदन के 7 दिन के अंदर एक विज्ञापन जारी होता है. उसी दौरान मौके की रिपोर्ट करा ली जाती है, और 8 से 10 दिन में पट्टा जारी किया जा रहा है. स्टेट ग्रांट एक्ट (Street Grant Act) के तहत हजारों आवेदन प्राप्त हुए हैं. लेकिन इनमें से अधिकतर गैर मुमकिन पहाड़ क्षेत्र, कृषि खातेदारी भूमि, गैर मुमकिन रास्ता, तालाब में, स्वामित्व दस्तावेज नहीं होने के कारण, वन विभाग की भूमि, गैर मुमकिन कब्रिस्तान, सीलिंग की गई जमीन, गैर मुमकिन नाला में होने की वजह से निरस्त कर दिए गए. इस बीच आम जनता को जागरूक करने के लिए घर-घर सर्वे कर फॉर्म बंटवाये गए हैं.

जयपुर. प्रशासन शहरों के संग अभियान (Prashasan Shahron Ke Sang Abhiyan) के तहत राज्य सरकार (Rajasthan Government) स्ट्रीट ग्रांट एक्ट 1961 (Street Grant Act 1961) के तहत पट्टे बांट रही है. पुरानी आबादी के पट्टों में सरकार ने दो प्रावधान किए हैं.

इस प्रावधान के तहत अभियान के दौरान सामान्य वर्ग के व्यक्तियों के लिए 1990 से पूर्व का कब्जा साबित करने पर पट्टा देने का प्रावधान तय किया है. जबकि अनुसूचित जाति (Schedule Cast) अनुसूचित जनजाति (Schedule Tribe) के लोगों के लिए 1996 से पूर्व का कब्जा साबित करने पर पट्टा देने का प्रावधान किया गया है. खास बात ये है कि ये पट्टा महज ₹1 के शुल्क पर दिया जाना है.

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इस एक्ट के तहत 300 वर्ग गज तक का पट्टा ही देने का प्रावधान है. साथ ही 40 साल पहले से, संबंधित व्यक्ति कम से कम 30% प्लॉट एरिया (Plot Area) में कच्चा या पक्का निर्माण (Kachha Pakka) कर निवास करते हुए रह रहा हो. हेरिटेज नगर निगम (Heritage Nagar Nigam) में बड़ी संख्या में आवेदन भी आ रहे हैं. लेकिन गैर मुमकिन पहाड़ क्षेत्र स्वामित्व दस्तावेज नहीं होने और दूसरे कारणों से अब तक 500 से ज्यादा आवेदन निरस्त किए जा चुके हैं, और महज 175 पट्टे ही बांटे जा सके हैं. इनमें 50 फीसदी अकेले हवामहल-आमेर जोन (Hawamahal-Amer Zone) से दिए गए हैं.

Prashasan Shahron Ke Sang Abhiyan
राजस्थान स्टेट गारमेंट ग्रान्ट एक्ट 1961 (Rajasthan Street Grant Act 1961) में 40 वर्ष से पुराने कब्जों को पांच रुपये पर 300 वर्गमीटर तक के कच्चे-पक्के निर्माण को नियमन करने का प्रावधान था. जबकि अनुसूचित जाति/जनजाति के 20 वर्ष पुराने कब्जों को पांच रुपए नाममात्र का शुल्क वसूल करके पट्टा जारी करने का प्रावधान है.

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हालांकि राज्य सरकार (Rajasthan Government) ने प्रशासन शहरों के संग अभियान 2021 (Prashasan Shahron Ke Sang Abhiyan) के दौरान नियमों में राहत देते हुए सामान्य वर्ग के आवेदक का कब्जा 1 जनवरी 1990 से पहले का होना, और अनुसूचित जाति / जनजाति के आवेदक का कब्जा 1 जनवरी 1996 से पूर्व का होना निर्धारित किया गया. साथ ही 300 वर्गमीटर क्षेत्रफल तक एक रुपये टोकन दर पर आवासीय पट्टा जारी करने का निर्णय लिया गया. न्यूनतम 30 प्रतिशत भाग मौके पर निर्मित होने की शर्त पहले की तरह लागू रखी गई है.

अन्य शर्तें :

नगरपालिका में निर्माण स्वीकृति के लिए पात्रता को निर्धारित तिथि से पूर्व आवेदन पत्र पेश किया हो, जिस पर भवन निर्माण स्वीकृति नगर पालिका की ओर से प्रदान की गई हो.

किसी भवन पर तत्कालीन समय में राजस्थान नगर पालिका (भूमि एवं भवन कर) नियम 1961 के ठीक बाद इसे संशोधन करते हुए गृहकर और नगरीय विकास कर के नाम से जाना जाता है. इस नियम (1961) के अन्तर्गत पात्रता के लिए निर्धारित तिथि से पूर्व किसी निजी भवन पर अदा किये गये कर को आधार माना जाता है.

यदि किसी नगरपालिका के रिकार्ड में पात्रता के लिए निर्धारित तिथि से पूर्व किसी भी संदर्भ के तहत स्वामी और मकान की प्रविष्टि अंकित हो तो उसे भी ग्राहा किया जा सकता है. राजस्थान स्टेट ग्रान्ट एक्ट 1961 के अन्तर्गत पट्टा पति और पत्नि दोनों के नाम जारी किये जाएंगे.

स्टेट ग्रान्ट एक्ट 1961 (Rajasthan Street Grant Act 1961) के अन्तर्गत नियमित भूखण्ड को पट्टाधारी, विधि अनुसार हस्तान्तरण विक्रय रहन और वसीयत करने के लिए स्वतंत्र होंगे.

क्या है सिस्टम?

आपको बता दें कि पात्र व्यक्ति के आवेदन के 7 दिन के अंदर एक विज्ञापन जारी होता है. उसी दौरान मौके की रिपोर्ट करा ली जाती है, और 8 से 10 दिन में पट्टा जारी किया जा रहा है. स्टेट ग्रांट एक्ट (Street Grant Act) के तहत हजारों आवेदन प्राप्त हुए हैं. लेकिन इनमें से अधिकतर गैर मुमकिन पहाड़ क्षेत्र, कृषि खातेदारी भूमि, गैर मुमकिन रास्ता, तालाब में, स्वामित्व दस्तावेज नहीं होने के कारण, वन विभाग की भूमि, गैर मुमकिन कब्रिस्तान, सीलिंग की गई जमीन, गैर मुमकिन नाला में होने की वजह से निरस्त कर दिए गए. इस बीच आम जनता को जागरूक करने के लिए घर-घर सर्वे कर फॉर्म बंटवाये गए हैं.

Last Updated : Nov 20, 2021, 2:25 PM IST
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