जयपुर. जीएसटी कंपनसेशन के तहत मिलने वाली प्रदेश की हिस्सा राशि की एक किश्त 1500 करोड़ केन्द्र सरकार ने जारी कर दी है. लेकिन अभी भी राज्य का 1700 करोड़ रुपए का हिस्सा अटका हुआ है.
हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जीएसटी कंपनसेशन के मद में मिलने वाले राज्य सरकार के हिस्से को लेकर मांग की थी. उन्होंने कहा था कि पैसा नहीं मिलने की वजह से राज्यों को अपनी स्कीमें लागू करने में दिक्कत हो रही है. वहीं, सीएसएस के तहत केंद्र से मिलने वाली हिस्सा राशि में 60:40 का अनुपात करने के बाद राजस्थान को 11 हजार करोड़ रुपए की कटौती झेलनी पड़ेगी.
अब प्रदेश के मुख्य सचिव डी बी गुप्ता ने भी कहा है कि जीएसटी कंपनसेशन के तहत 1500 करोड़ रुपए राज्य को मिल गए हैं लेकिन अब भी प्रदेश का सत्रह सौ करोड़ रूपए अटका हुआ है. जीएसटी काउंसिल में भी राजस्थान नेतृत्व ने अन्य राज्यों के साथ मिलकर इस मुद्दे को उठाया है ताकि रुका हुआ पैसा प्रदेश को जल्द मिल सके और राज्यों की स्कीमें किसी तरीके से प्रभावित ना हो.
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मुख्य सचिव ने कहा कि केंद्र ने सीधे तरीके से तो राज्यों को मिलने वाले मद में कोई कटौती नहीं की है लेकिन जिस तरह से केन्द्र द्वारा संचालित स्कीम में प्रदेश को पहले पूरा 100 फीसदी या कहीं कहीं 90 फीसदी हिस्सा केन्द्र से ही मिलता था. लेकिन अब उसमें केंद्र 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राज्य की हिस्सेदारी तय कर दी है. जिससे प्रदेशों में दिक्कत आ गई हैं.
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मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश को केंद्र से 3 मदों में पैसा मिलता है. जिनमें से एक सेंटर स्पॉन्सर्ड स्कीम, दूसरी जीएसटी कंपनसेशन और टैक्स में शेयर होता है इसका काफी पैसा रुका हुआ है. अगर यह पैसा समय पर मिल जाए तो प्रदेश को वित्तिय दिक्कतों से जूझना नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल में इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से रखा जाएगा.