जयपुर. प्रदेश भाजपा में अगले मुख्यमंत्री के चेहरे की लड़ाई तो अंदर खाने में चल ही रही थी, लेकिन गतिरोध निचले स्तर के नेताओं के बीच भी कम नहीं है. भाजपा संगठन (Rajasthan BJP News) में नेताओं के बीच खींचतान के चलते जयपुर देहात दक्षिण भाजपा में एक ही पद पर दो अलग-अलग नेताओं की नियुक्ति कर दी गई. आलम यह रहा कि आपसी खींचतान का ये मामला सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया. इससे भाजपा पार्टी की भी फजीहत हो रही है.
ऐसे हुई एक पद पर 2 व्यक्तियों की नियुक्ति: मामला भाजपा मुहाना मंडल किसान मोर्चा अध्यक्ष का है. पद एक है, लेकिन इस पर नियुक्ति दो व्यक्तियों की कर दी गई. इस पद पर पहली नियुक्ति 2 अप्रैल 2022 को भाजपा किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद कड़वा ने की. कड़वा ने बगरू विधानसभा में आने वाले मुहाना मंडल में गजेंद्र बागड़ा (बालावाला) को मंडल किसान मोर्चा अध्यक्ष पद पर नियुक्ति दी. बकायदा कड़वा ने अपने लेटर हेड पर अन्य नियुक्तियों के साथ इस पद पर भी नियुक्ति पत्र जारी किया, जिसमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, किसान मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष हरिराम रणवा और भाजपा जिला अध्यक्ष रामानंद गुर्जर की अनुशंसा और सहमति की बात भी लिखी गई. नियुक्ति मिलने के बाद गजेंद्र बालावाला भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के निवास भी पहुंचे और उनका आशीर्वाद भी लिया.
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इसी बीच 11 अप्रैल को मुहाना मंडल भाजपा संगठनात्मक अध्यक्ष बाबूलाल यादव ने एक और फरमान जारी कर मुहाना मंडल किसान मोर्चा अध्यक्ष पद पर राजेंद्र शर्मा की नियुक्ति कर दी. इस पत्र पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की अनुशंसा या सहमति की बात तो नहीं लिखी गई, लेकिन किसान मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष हरिराम रणवा और जयपुर देहात दक्षिण जिला अध्यक्ष रामानंद गुर्जर की सहमति की बात लिखी गई.
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नियुक्ति का अधिकार है किसका: दरअसल, मंडल में जो भी नियुक्ति होती है वो स्थानीय जिला अध्यक्ष पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की सहमति से करता है. जिसमें स्थानीय मंडल अध्यक्ष की राय भी ली जाती है, लेकिन यहां जिले के किसान मोर्चा अध्यक्ष ने अपने स्तर पर और मंडल के संगठनात्मक अध्यक्ष ने अपने स्तर पर मंडल मोर्चा अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी. खास बात यह रही की पहली नियुक्ति की जानकारी मुहाना संगठनात्मक मंडल अध्यक्ष बाबूलाल यादव को थी, बावजूद इसके दूसरी नियुक्ति की गई. यह तभी संभव है जब स्थानीय संगठनात्मक जिला अध्यक्ष की सहमति ली गई हो या फिर नेताओं के बीच आपसी खींचतान के चलते भी ऐसा हो सकता है.