जयपुर. राजधानी के परकोटा क्षेत्र की करीब 5200 गलियां गंदगी से अटी हुई हैं. इन गलियों की सफाई की जिम्मेदारी से बीवीजी कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए हैं. वहीं शहर में इंदौर की तर्ज पर मैकेनाइज्ड रोड स्वीपिंग शुरू की गई थी. लेकिन ये मशीनें टेंडर पर थी. टेंडर खत्म होने के बाद से शहर में मैकेनाइज्ड रोड स्वीपिंग बंद हो गई. हालांकि अब SBM 2.0 की गाइडलाइन को फॉलो करते हुए स्मार्ट सिटी के जरिए दो रोड स्वीपर खरीदे जा रहे हैं. जयपुर की गंदी गलियां साफ हों, इसके लिए नया एक्शन प्लान (New action plan for cleaning of Jaipur streets) भी तैयार किया जा रहा है.
यूनेस्को ने परकोटे को विश्व विरासत के खिताब से नवाजा. परकोटे में कई धरोहर हैं, जिन्हें निहारने के लिए हर साल हजारों सैलानी यहां पहुंचते हैं. लेकिन इसी परकोटे में किशनपोल, हवामहल और आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न वार्डों में करीब 5200 गंदी गलियां है, जिनकी सफाई की जिम्मेदारी डोर टू डोर कचरा संग्रहण कर रही बीवीजी कंपनी की है. लेकिन कंपनी इसमें रुचि नहीं दिखा रही.
उधर, शहर को स्मार्ट बनाने की तर्ज पर साल 2017 में मैकेनाइज्ड रोड स्वीपिंग की शुरुआत की गई थी. उस वक्त रोड स्वीपर मशीन किराए पर ली गई थी. जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आने के बावजूद आज शहर में महज एक ट्रक माउंटेड रोड स्वीपर संचालित है. बढ़ते शहर और दो निगम बनने के बावजूद रोड स्वीपिंग का अधिकतम काम मैनुअली हो रहा है.
स्मार्ट सिटी सीईओ अवधेश मीणा ने बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण और एसडीएम 2.0 में गाइडलाइन है कि रोड स्वीपिंग मैकेनाइज्ड होनी चाहिए. ऐसे में इस स्मार्ट सिटी के जरिए मुख्य मार्गों और परकोटे की गलियों के लिए दो मैकेनाइज्ड रोड स्वीपर खरीदे जा रहे हैं. ये इक्विपमेंट अपनी क्लास में सबसे बेस्ट होंगे. इसमें करीब 4.5 करोड़ रुपए खर्चे किए जाएंगे. वहीं गंदी गलियां अब तक बीवीजी कंपनी के स्कोप में थी. लेकिन अब नया एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है. कोशिश यही है कि किसी दूसरी एजेंसी को हायर कर गंदी गलियों को प्राथमिकता से साफ कराया जाए और इसमें जो खर्च होगा, उसकी कॉस्ट कटिंग बीवीजी कंपनी के पेमेंट से करने की प्लानिंग है.
आपको बता दें कि शहर के दोनों नगर निगम में मई 2021 तक 8 रोड स्वीपर संचालित थे. ये सभी कॉन्ट्रैक्ट पर थे. इनमें 7 ट्रैक्टर ट्रेल्ड और एक ट्रक माउंटेड शामिल था. हेरिटेज निगम क्षेत्र में तीन जबकि ग्रेटर नगर क्षेत्र में पांच मशीनें संचालित थी. हर महीने 2.10 लाख प्रति ट्रैक्टर ट्रेल्ड निगम भुगतान करता था. जबकि ट्रक माउंटेड के 13.44 लाख रुपए चुकाता रहा है. नगर निगम का ये प्रयोग सफल भी रहा. बावजूद इसके ट्रैक्टर ट्रेल्ड का कॉन्ट्रैक्ट मई में खत्म होने के बाद, रिन्यू नहीं किया गया. हालांकि देर से ही सही अब 2 मैकेनाइज्ड रोड स्वीपर खरीदे जा रहे हैं.