जयपुर. राजधानी से ट्रांसपोर्ट नगर को बाहर शिफ्ट की योजना 16 वर्ष से लंबित पड़ी है. इस संबंध में गुरुवार को जयपुर विकास प्राधिकरण में ट्रांसपोर्टर्स और जेडीए अधिकारियों के बीच बैठक में बात नहीं बनी और ट्रांसपोर्टर्स बैठक छोड़कर चले गए.
बता दें कि बैठक में बाहरी लोगों को बुलाने और उनके दखल देने के कारण ट्रांसपोर्टर्स नाराज हो गए और बैठक बीच में ही छोड़ कर चले गए. बैठक में ट्रांसपोर्ट से जुड़े 11 एसोसिएशन के प्रतिनिधि शामिल हुए. इसमें योजना रिजर्व प्राइज को लेकर बीच का रास्ता निकाला जाना था, लेकिन इसमें बाहरी लोगों को बुलाने और उनके बीच में चिल्लाने से ट्रांसपोर्टर नाराज हो गए.
ट्रांस्पोर्टर्स की नाराजगी के बाद बैठक खत्म
जेडीए के अतिरिक्त आयुक्त गिरीश पाराशर की अध्यक्षता में ये बैठक शुरू हुई थी लेकिन कुछ देर बाद ही ट्रांसपोर्टर्स के नाराज होने के बाद बैठक खत्म भी हो गई. जयपुर ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल आनंद ने बताया कि शांतिपूर्ण वातावरण में बैठक शुरू हुई. कुछ लोग बैठक के बीच में ही चिल्लाने लग गए जबकि उनका इस मामले से कोई सम्बन्ध भी नहीं था ना ही योजना में उनके प्लॉट हैं. बैठक में शामिल होने वाले सभी प्रतिनिधियों की रोजी रोटी इसी ट्रांसपोर्ट नगर योजना से जुड़ी हुई है. इन सभी ने 2004 में आवेदन किया था.
अनिल आनंद ने कहा कि जेडीए अधिकारियों से अभी बात हुई है और एक-दो दिन में इस विवाद को निपटारा करने का फिर प्रयास किया जाएगा. हम चाहते हैं कि शांतिपूर्ण माहौल में इस योजना को लेकर बात हो ताकि कुछ निर्णय हो सके.
अनिल आनंद ने बताया कि 2004 में ट्रांसपोर्ट नगर योजना में 1,111 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से आवेदन मांगे गए थे. योजना के दो फेज कैसे बने, 13,500 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर कहां से आई, योजना 16 साल से क्यो लंबित है? इन सब सवालों के जवाब जेडीए ही देगा. योजना में मूलभूत सुविधाओं का विकास भी नहीं हो पाया है. सदस्यों को नोटिस भी दिए गए इसका जवाब भी जेडीए देगा. 4 महीने पहले नोटिस देने के बावजूद भी अभी तक बिजली नहीं पहुंची है.
पढ़ें- रिश्वत मामला: APO किए गए बारां जिला कलेक्टर का मोबाइल जब्त, PA के पास मिली अकूत संपत्ति
अनिल आनंद ने इस बात को लेकर काफी नाराजगी जताई कि योजना में मूलभूत सुविधाओं का विकास नहीं हुआ. पानी बिजली की व्यवस्था नहीं है. इसके बावजूद भी दबाव बनाया जा रहा है कि वहां मकान बनाए जाएं जो सही नहीं है.
बता दें कि 2004 में आगरा रोड, अजमेर रोड और सीकर रोड पर नए ट्रांसपोर्ट नगर बसाने की योजना सरकार की ओर से बनाई गई थी. 2007 में 2200 भूखंडों की लॉटरी निकाली गई, लेकिन विकास कार्य नहीं होने के कारण ट्रांसपोर्टर्स वहां नहीं गए. 2017 में 972 भूखंडों की लॉटरी निकाली और इस बार रिजर्व प्राइज बढ़ा दी. इस मामले में सफल आवंटी कोर्ट चले गए.