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भारत में निर्मित स्वदेशी हार्ट वाल्व के प्रत्यारोपण का लाइव टेलीकास्ट हुआ फ्रांस में, देश में इस तरह का पहला मामला - जयपुर चिकित्सा न्यूज

अमेरिका में निर्मित वाल्व काम में लेने वाले दुनिया भर के कार्डियोलॉजिस्ट ने पहली बार भारत में इजाद किए गए हार्ट वाल्व का बिना सर्जरी के प्रत्यारोपण का लाइव टेलीकास्ट जयपुर के डॉक्टर के जरिए देखा. दुनिया में कृत्रिम हार्ट वाल्व के अविष्कारक डॉ. एलन क्रिबियर ने फ्रांस में अपने सेंटर पर लाइव ऑपरेशन दिखाने के लिए जयपुर को चुना.

Heart Valve Transplant, जयपुर न्यूज
भारत में निर्मित स्वदेशी हार्ट वाल्व के प्रत्यारोपण का लाइव टेलीकास्ट हुआ फ्रांस में
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Published : Dec 11, 2019, 4:16 AM IST

जयपुर. गुलाबी नगर जयपुर चिकित्सा के क्षेत्र में हर दिन नए आयाम पेश कर रहा है. इसी क्रम में भारत में निर्मित स्वदेशी हार्ट वाल्व के प्रत्यारोपण का लाइव टेलीकास्ट फ्रांस के डॉक्टर्स ने देखा.

भारत में निर्मित स्वदेशी हार्ट वाल्व के प्रत्यारोपण का लाइव टेलीकास्ट हुआ फ्रांस में

दुनिया में कृत्रिम हार्ट वाल्व के अविष्कारक डॉ. एलन क्रिबियर ने फ्रांस में अपने सेंटर पर लाइव ऑपरेशन दिखाने के लिए जयपुर को चुना. गौरव की बात यह रही कि अमेरिका में निर्मित वाल्व काम में लेने वाले दुनिया भर के कार्डियोलॉजिस्ट ने पहली बार भारत में इजाद किए गए हार्ट वाल्व का बिना सर्जरी के प्रत्यारोपण का लाइव टेलीकास्ट जयपुर के डॉक्टर के जरिए देखा.

भारतीय वॉल्व के इम्प्लांटेशन के केस को दूसरे देश में स्टडी के रूप में लिए जाने का यह देश का पहला मामला है. जयपुर के सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. रवींद्र सिंह राव द्वारा पिछले दिनों टावी तकनीक से भारतीय हार्ट वॉल्व के इम्पलांटेशन का केस यहां एक निजी अस्पताल में किया गया. जिसका लाइव टेलीकास्ट फ्रांस में हुआ.

इसमें खास बात यह है कि बिना सर्जरी के हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट या रिपेयर करने की टावी तकनीक और विश्व का पहला कृत्रिम हार्ट वॉल्व इजाद करने वाले फ्रांस के डॉ. एलन क्रिबियर ने इस तकनीक में भारतीय डॉक्टरों की कुशलता को अपने मेडिकल स्टूडेंट्स को दिखाने के लिए जयपुर को चुना.

केस जयपुर में और लाइव दिखाया फ्रांस में

हाल ही में फ्रांस के रूइन शहर में आयोजित हुई इंटरनेशनल वर्कशॉप में टावी तकनीक समझाने के लिए लाइव केस दिखाने का विशेष सत्र रखा गया था. इसके लिए टावी तकनीक विशेषज्ञ जयपुर के सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. रवींद्र सिंह राव को चुना गया. डॉ. राव ने भारत में कुछ महीनों पहले ही निर्मित स्वदेशी हार्ट वॉल्व के इम्प्लांटेशन का लाइव केस जयपुर में किया. केस में महाराष्ट्र के एक 72 वर्षीय वृद्ध का हार्ट वॉल्व टावी तकनीक से रिप्लेस किया गया था. यह केस जयपुर से फ्रांस में लाइव चला.

क्यों खास है केस?

डॉ. रविन्द्र राव ने बताया कि यह केस इसीलिए खास था, क्योंकि अभी तक यूएसए में बने वॉल्व ही दुनियाभर में हार्ट पेशेंट को लगाए जाते थे. लेकिन अब इंडियन वॉल्व भी उपयोग में लिये जाने लगे हैं. उन्होंने बताया कि ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन (टावी) तकनीक से बिना ओपन हार्ट सर्जरी के वाल्व रिपलेसमेंट किया जाता है. इसमें पैर की नस के जरिए वाल्व हार्ट में ले जाया जाकर ठीक किया जाता है.

पढ़ें- गहलोत 'राज' 1 साल: राजस्थान में कैसा रहा चिकित्सा विभाग का ये साल, देखिए स्पेशल रिपोर्ट

दुनिया में कृत्रिम वाल्व व टावी तकनीक के आविष्कारक द्वारा भारतीय वॉल्व की कार्यप्रणाली समझाने और भारतीय डॉक्टर्स की कुशलता को दुनियाभर के कार्डियोलॉजिस्ट को दिखाने के लिए आमंत्रित करना गर्व की बात है और जयपुर इसका गवाह बना, जिससे यह केस और खास बन गया.

जयपुर. गुलाबी नगर जयपुर चिकित्सा के क्षेत्र में हर दिन नए आयाम पेश कर रहा है. इसी क्रम में भारत में निर्मित स्वदेशी हार्ट वाल्व के प्रत्यारोपण का लाइव टेलीकास्ट फ्रांस के डॉक्टर्स ने देखा.

भारत में निर्मित स्वदेशी हार्ट वाल्व के प्रत्यारोपण का लाइव टेलीकास्ट हुआ फ्रांस में

दुनिया में कृत्रिम हार्ट वाल्व के अविष्कारक डॉ. एलन क्रिबियर ने फ्रांस में अपने सेंटर पर लाइव ऑपरेशन दिखाने के लिए जयपुर को चुना. गौरव की बात यह रही कि अमेरिका में निर्मित वाल्व काम में लेने वाले दुनिया भर के कार्डियोलॉजिस्ट ने पहली बार भारत में इजाद किए गए हार्ट वाल्व का बिना सर्जरी के प्रत्यारोपण का लाइव टेलीकास्ट जयपुर के डॉक्टर के जरिए देखा.

भारतीय वॉल्व के इम्प्लांटेशन के केस को दूसरे देश में स्टडी के रूप में लिए जाने का यह देश का पहला मामला है. जयपुर के सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. रवींद्र सिंह राव द्वारा पिछले दिनों टावी तकनीक से भारतीय हार्ट वॉल्व के इम्पलांटेशन का केस यहां एक निजी अस्पताल में किया गया. जिसका लाइव टेलीकास्ट फ्रांस में हुआ.

इसमें खास बात यह है कि बिना सर्जरी के हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट या रिपेयर करने की टावी तकनीक और विश्व का पहला कृत्रिम हार्ट वॉल्व इजाद करने वाले फ्रांस के डॉ. एलन क्रिबियर ने इस तकनीक में भारतीय डॉक्टरों की कुशलता को अपने मेडिकल स्टूडेंट्स को दिखाने के लिए जयपुर को चुना.

केस जयपुर में और लाइव दिखाया फ्रांस में

हाल ही में फ्रांस के रूइन शहर में आयोजित हुई इंटरनेशनल वर्कशॉप में टावी तकनीक समझाने के लिए लाइव केस दिखाने का विशेष सत्र रखा गया था. इसके लिए टावी तकनीक विशेषज्ञ जयपुर के सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. रवींद्र सिंह राव को चुना गया. डॉ. राव ने भारत में कुछ महीनों पहले ही निर्मित स्वदेशी हार्ट वॉल्व के इम्प्लांटेशन का लाइव केस जयपुर में किया. केस में महाराष्ट्र के एक 72 वर्षीय वृद्ध का हार्ट वॉल्व टावी तकनीक से रिप्लेस किया गया था. यह केस जयपुर से फ्रांस में लाइव चला.

क्यों खास है केस?

डॉ. रविन्द्र राव ने बताया कि यह केस इसीलिए खास था, क्योंकि अभी तक यूएसए में बने वॉल्व ही दुनियाभर में हार्ट पेशेंट को लगाए जाते थे. लेकिन अब इंडियन वॉल्व भी उपयोग में लिये जाने लगे हैं. उन्होंने बताया कि ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन (टावी) तकनीक से बिना ओपन हार्ट सर्जरी के वाल्व रिपलेसमेंट किया जाता है. इसमें पैर की नस के जरिए वाल्व हार्ट में ले जाया जाकर ठीक किया जाता है.

पढ़ें- गहलोत 'राज' 1 साल: राजस्थान में कैसा रहा चिकित्सा विभाग का ये साल, देखिए स्पेशल रिपोर्ट

दुनिया में कृत्रिम वाल्व व टावी तकनीक के आविष्कारक द्वारा भारतीय वॉल्व की कार्यप्रणाली समझाने और भारतीय डॉक्टर्स की कुशलता को दुनियाभर के कार्डियोलॉजिस्ट को दिखाने के लिए आमंत्रित करना गर्व की बात है और जयपुर इसका गवाह बना, जिससे यह केस और खास बन गया.

Intro:जयपुर। गुलाबी नगर जयपुर चिकित्सा के क्षेत्र में हर दिन नए आयाम पेश कर रखा है और इसी के तहत भारत में निर्मित स्वदेशी हॉट वाल्व के प्रत्यारोपण का लाइव टेलीकास्ट फ्रांस के डॉक्टर्स ने देखा. Body:दुनिया में कृत्रिम हार्ट वाल्व के अविष्कारक डॉ. एलन क्रिबियर ने फ्रांस में अपने सेंटर पर लाइव ऑपरेशन दिखाने के लिए जयपुर को चुना। गौरव की बात यह रही कि अमेरिका में निर्मित वाल्व काम में लेने वाले दुनिया भर के कार्डियोलॉजिस्ट ने पहली बार भारत में इजाद किए गए हार्ट वाल्व का बिना सर्जरी के प्रत्यारोपण का लाइव टेलीकास्ट जयपुर के डॉक्टर के जरिए देखा। भारतीय वॉल्व के इम्प्लांटेशन के केस को दूसरे देश में स्टडी के रूप में लिये जाने का यह देश का पहला मामला है। जयपुर के सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. रवींद्र सिंह राव द्वारा पिछले दिनो टावी तकनीक से भारतीय हार्ट वॉल्व के इम्पलांटेशन का केस यहां एक निजी अस्पताल में किया गया जिसका लाइव टेलीकास्ट फ्रांस में हुआ। इसमें खास बात यह है कि बिना सर्जरी के हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट या रिपेयर करने की टावी तकनीक और विश्व का पहला कृत्रिम हार्ट वॉल्व इजाद करने वाले फ्रांस के डॉ. एलन क्रिबियर ने इस तकनीक में भारतीय डॉक्टरों की कुशलता को अपने मेडिकल स्टूडेंट्स को दिखाने के लिए जयपुर को चुना।

केस जयपुर में और लाइव दिखाया फ्रांस में --

हाल ही में फ्रांस के रूइन शहर में आयोजित हुई इंटरनेशनल वर्कशॉप में टावी तकनीक समझाने के लिए लाइव केस दिखाने का विशेष सत्र रखा गया था। इसके लिए टावी तकनीक विशेषज्ञ जयपुर के सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. रवींद्र सिंह राव को चुना गया। डॉ. राव ने भारत में कुछ महीनों पहले ही निर्मित स्वदेशी हार्ट वॉल्व के इम्प्लांटेशन का लाइव केस जयपुर में किया। केस में महाराष्ट्र के एक 72 वर्षीय वृद्ध का हार्ट वॉल्व टावी तकनीक से रिप्लेस किया गया था। यह केस जयपुर से फ्रांस में लाइव चला।

क्यों खास है केस --

डॉ. रविन्द्र राव ने बताया कि यह केस इसीलिए खास था क्योंकि अभी तक यूएसए में बने वॉल्व ही दुनियाभर में हार्ट पेशेंट को लगाए जाते थे लेकिन अब इंडियन वॉल्व भी उपयोग में लिये जाने लगे हैं। उन्होंने बताया कि, ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन (टावी) तकनीक से बिना ओपन हार्ट सर्जरी के वाल्व रिपलेसमेंट किया जाता है। इसमें पैर की नस के जरिए वाल्व हार्ट में ले जाया जाकर ठीक किया जाता है। दुनिया में कृत्रिम वाल्व व टावी तकनीक के आविष्कारक द्वारा भारतीय वॉल्व की कार्यप्रणाली समझाने और भारतीय डॉक्टर्स की कुशलता को दुनियाभर के कार्डियोलॉजिस्ट को दिखाने के लिए आमंत्रित करना गर्व की बात है और जयपुर इसका गवाह बना, जिससे यह केस और खास बन गया।

बाईट- डॉ रविंद्र राव कार्डियोलॉजिस्टConclusion:
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