जयपुर. जन स्वास्थ्य और अभियंत्रिकी विभाग में बड़ा फेरबदल किया गया है. नए साल पर विभाग में 2 अतिरिक्त मुख्य अभियंता, 14 अधीक्षण अभियंता और 72 अधिशाषी अभियंताओं के तबादले किए गए हैं. पीएचईडी में एक लंबे समय बाद इतने बड़े स्तर पर तबादले हुए हैं.
अधिशाषी अभियंताओं में एक नाम पवन अग्रवाल का भी है. पवन अग्रवाल पहले जिस जगह पर थे वहां उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और एक बार फिर उनका ट्रांसफर उसी विद्याधर नगर स्थित पीएचईडी दफ्तर में कर दिया गया है.
PHED विभाग में बड़े अधिकारियों के अलावा 108 कनिष्ठ अभियंताओं, 133 सहायक अभियंताओं और 109 मंत्रालयिक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के भी तबादले किए गए हैं. अतिरिक्त मुख्य अभियंता भगवान सहाय मीणा को अतिरिक्त मुख्य अभियंता कार्यालय मुख्य अभियंता (विशेष परियोजना) जयपुर और ललित किशोर करोल को अतिरिक्त मुख्य अभियंता एनसीआर अलवर लगाया गया है.
अधीक्षण अभियंताओं की बात की जाए तो महेंद्र प्रसाद सोनी को अधीक्षण अभियंता पीआईयू फर्स्ट नागौर, जगत तिवारी को अधीक्षण अभियंता वृत्त डूंगरपुर, उदयभानू माहेश्वरी को अधीक्षण अभियंता पीएमयू नागौर, अजय एरन को अधीक्षण अभियंता वृत्त झालावाड़, सुरेश चंद्र जैन को अधीक्षण अभियंता वृत्त बाड़मेर, विपिन जैन अधीक्षण अभियंता वृत्त उदयपुर, विनोद भारती अधीक्षण अभियंता परियोजना वृत्त पोकरण, जगदीश चंद्र व्यास को अधीक्षण अभियंता परियोजना वृत्त जोधपुर, मुकेश गोयल वृत्त अलवर, मुकेश कुमार बंसल अधीक्षण अभियंता फर्स्ट कार्यालय मुख्य अभियंता (तकनीकि) एवं तकनीकी सहायक जयपुर, राजेश कुमार लुहाडिया वृत्त सिरोही, राजीव गुर्टू को वृत्त चित्तौड़गढ़, प्रधुम्न कुमार को अधीक्षण अभियंता वृत्त बारां मोहनलाल सैनी वृत्त प्रतापगढ़ लगाया गया है.
मंत्रालयिक और चतुर्थ श्रेणी के तहत एक अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी, दो सहायक प्रशासनिक अधिकारी, 46 वरिष्ठ सहायक, 51 कनिष्ठ सहायक, 3 शीघ्र लिपिक और छह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तबादले किए गए. अधिशाषी अभियंताओं की बात की जाए तो इसमें एक नाम चौंकाने वाला है. कुछ दिनों पहले अधिशाषी अभियंता पवन अग्रवाल का झालावाड़ ट्रांसफर किया गया था. पवन अग्रवाल विद्याधर नगर PHED ऑफिस में कार्यरत थे. पवन अग्रवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.
दरअसल, ढेहर का बालाजी के सामने एक पानी की टंकी बनाई जा रही थी. इस पानी की टंकी के निर्माण को लेकर ही अग्रवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. ये मामला विभाग के प्रमुख शासन सचिव के पास भी पहुंचा था. इसके बाद पवन अग्रवाल का ट्रांसफर झालावाड़ किया गया, लेकिन एक बार फिर पवन अग्रवाल ने अपनी राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल कर वापस अपना ट्रांसफर विद्याधर नगर स्थित कार्यालय में करा लिया जहां वे पहले कार्यरत थे.