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ताल छापर अभ्यारण में बनेगा प्रशिक्षण केंद्र, ग्रास लैंड डेवलपमेंट और रेस्क्यू ऑपरेशन का दिया जाएगा प्रशिक्षण - रेस्क्यू ऑपरेशन का प्रशिक्षण

ताल छापर (Tal Chhapar Sanctuary) में प्रदेश का बड़ा प्रशिक्षण केंद्र बनने वाला है. जहां प्रशिक्षण केंद्र में ग्रास लैंड डेवलपमेंट और रेस्क्यू ऑपरेशन का प्रशिक्षण कराया जाएगा. बता दें कि वन विभाग के स्टाफ को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से केंद्र स्थापित किया जाएगा.

ताल छापर अभ्यारण में बनेगा प्रशिक्षण केंद्र, Training center will be built in Tal Chhapar Sanctuary
ताल छापर अभ्यारण में बनेगा प्रशिक्षण केंद्र
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Published : Jul 31, 2021, 2:04 PM IST

जयपुर. प्रदेश के ताल छापर अभ्यारण (Tal Chhapar Sanctuary) में प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाएगा. ताल छापर अभ्यारण कृष्ण मृग के लिए प्रसिद्ध है. यहां पर कई प्रकार के बर्ड्स पहुंचते हैं. प्रशिक्षण केंद्र में ग्रास लैंड डेवलपमेंट और रेस्क्यू ऑपरेशन का प्रशिक्षण कराया जाएगा. वन विभाग के स्टाफ को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से केंद्र स्थापित किया जाएगा.

कई बार रेप्टाइल्स लोगों के घरों में घुस जाते हैं, जिसकी वजह से वन विभाग को रेस्क्यू के लिए दूरदराज से रेस्क्यू करने वाले एक्सपोर्ट्स बुलाने पड़ते हैं. इसी समस्या को देखते हुए अब वन विभाग के स्टाफ को भी रेस्क्यू के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत लोगों को सेवा मिल सके. प्रशिक्षण केंद्र के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा की थी.

ताल छापर अभ्यारण में बनेगा प्रशिक्षण केंद्र

वन विभाग के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक मोहन लाल मीणा ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में मुख्यमंत्री की ओर से बहुत महत्वपूर्ण बजट घोषणा की गई. जिसमें ताल छापर अभ्यारण में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा. ताल छापर अभ्यारण कृष्ण मृगों के लिए प्रसिद्ध है. इसके साथ ही कई बर्ड्स भी बड़ी संख्या में आते हैं. यहां रेप्टाइल्स भी अच्छी संख्या में मौजूद है. प्रशिक्षण केंद्र मुख्य रूप से ग्रास लैंड डेवलपमेंट के प्रशिक्षण के लिए होगा. इसमें वन विभाग के स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाएगा.

पढ़ें- कोरोना के बाद हो रहा ब्रेन हैमरेज, न्यूरोसर्जन ने कहा- इस समस्या को सुलझाने पर जोर देना चाहिए

प्रशिक्षण 3 दिन से लेकर 5 दिन तक के होंगे. कार्यक्रम बनाकर फील्ड स्टाफ को प्रशिक्षण केंद्र में रखा जाएगा और प्रशिक्षित किया जाएगा. इस बात का प्रशिक्षण दिया जाएगा कि रेप्टाइल्स को किस तरह से रेस्क्यू किया जाए और किस तरह से छोड़ा जाए. प्रदेश में रेस्क्यू से संबंधित कई घटनाएं होती है, जिसके लिए रेस्क्यू करने वालों को ढूंढना पड़ता है. अगर वन विभाग का स्टाफ प्रशिक्षित होगा, तो लोगों को तुरंत सेवा मिल सकेगी.

उन्होंने बताया कि आरएफडब्ल्यूटीआई संस्था परीक्षण केंद्र को इंप्लीमेंट कर रही है. प्रशिक्षण केंद्र के लिए बजट स्वीकृत हो गया है. वन विभाग के पास बिल्डिंग पहले से ही मौजूद है. आरएसआरडीसी के माध्यम से बिल्डिंग की मरम्मत करवाई जाएगी. बिल्डिंग पर बहुत ज्यादा इन्वेस्टमेंट नहीं है. उम्मीद है कि इसी साल प्रशिक्षण केंद्र शुरू हो जाएगा. कई बार सांप, पाटागोह समेत अन्य रेप्टाइल्स घरों में घुस जाते हैं. ऐसी स्थिति में रेप्टाइल्स का रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग के स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाएगा.

जयपुर. प्रदेश के ताल छापर अभ्यारण (Tal Chhapar Sanctuary) में प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाएगा. ताल छापर अभ्यारण कृष्ण मृग के लिए प्रसिद्ध है. यहां पर कई प्रकार के बर्ड्स पहुंचते हैं. प्रशिक्षण केंद्र में ग्रास लैंड डेवलपमेंट और रेस्क्यू ऑपरेशन का प्रशिक्षण कराया जाएगा. वन विभाग के स्टाफ को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से केंद्र स्थापित किया जाएगा.

कई बार रेप्टाइल्स लोगों के घरों में घुस जाते हैं, जिसकी वजह से वन विभाग को रेस्क्यू के लिए दूरदराज से रेस्क्यू करने वाले एक्सपोर्ट्स बुलाने पड़ते हैं. इसी समस्या को देखते हुए अब वन विभाग के स्टाफ को भी रेस्क्यू के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत लोगों को सेवा मिल सके. प्रशिक्षण केंद्र के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा की थी.

ताल छापर अभ्यारण में बनेगा प्रशिक्षण केंद्र

वन विभाग के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक मोहन लाल मीणा ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में मुख्यमंत्री की ओर से बहुत महत्वपूर्ण बजट घोषणा की गई. जिसमें ताल छापर अभ्यारण में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा. ताल छापर अभ्यारण कृष्ण मृगों के लिए प्रसिद्ध है. इसके साथ ही कई बर्ड्स भी बड़ी संख्या में आते हैं. यहां रेप्टाइल्स भी अच्छी संख्या में मौजूद है. प्रशिक्षण केंद्र मुख्य रूप से ग्रास लैंड डेवलपमेंट के प्रशिक्षण के लिए होगा. इसमें वन विभाग के स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाएगा.

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प्रशिक्षण 3 दिन से लेकर 5 दिन तक के होंगे. कार्यक्रम बनाकर फील्ड स्टाफ को प्रशिक्षण केंद्र में रखा जाएगा और प्रशिक्षित किया जाएगा. इस बात का प्रशिक्षण दिया जाएगा कि रेप्टाइल्स को किस तरह से रेस्क्यू किया जाए और किस तरह से छोड़ा जाए. प्रदेश में रेस्क्यू से संबंधित कई घटनाएं होती है, जिसके लिए रेस्क्यू करने वालों को ढूंढना पड़ता है. अगर वन विभाग का स्टाफ प्रशिक्षित होगा, तो लोगों को तुरंत सेवा मिल सकेगी.

उन्होंने बताया कि आरएफडब्ल्यूटीआई संस्था परीक्षण केंद्र को इंप्लीमेंट कर रही है. प्रशिक्षण केंद्र के लिए बजट स्वीकृत हो गया है. वन विभाग के पास बिल्डिंग पहले से ही मौजूद है. आरएसआरडीसी के माध्यम से बिल्डिंग की मरम्मत करवाई जाएगी. बिल्डिंग पर बहुत ज्यादा इन्वेस्टमेंट नहीं है. उम्मीद है कि इसी साल प्रशिक्षण केंद्र शुरू हो जाएगा. कई बार सांप, पाटागोह समेत अन्य रेप्टाइल्स घरों में घुस जाते हैं. ऐसी स्थिति में रेप्टाइल्स का रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग के स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाएगा.

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