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कोरोना काल में बेरोजगार हुए टूरिस्ट गाइड

कोरोना का कहर इन दिनों देश का हर वर्ग झेल रहा है. ऐसे में शहर के टूरिस्ट गाइड कर्ज तले जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं. टूरिस्ट गाइड बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं. जिससे गाइडो के घर खर्च भी मुश्किल हो रहे हैं. बता दें कि इंटरनेशनल फ्लाइट बंद होने से विदेशी मेहमान नहीं आ रहे है. जिससे उनका काम बंद पड़ा है, वहीं सरकार की ओर भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है.

टूरिस्ट गाइड परेशान, Tourist guide upset
टूरिस्ट गाइडो का छिना रोजगा
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Published : Oct 24, 2020, 4:30 PM IST

जयपुर. एक तरफ जहां कोरोना के कहर ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ दिया है. वहीं दूसरी तरफ कोरोना अपने साथ कई दूसरी समस्याएं भी साथ लेकर आया है. इन्हीं में से एक है बेरोजगारी. इस बेरोजगारी का दृश्य राजधानी के वह टूरिस्ट गाइड झेल रहे हैं, जो शहर की विरासत और संस्कृति का परिचय उन अनजान मुसाफिरों के सामने करते हैं, जो अपने साथ शहर की यादों को संजोंकर अपने देश लेकर जाते हैं.

टूरिस्ट गाइडो का छिना रोजगा

आज शहर के प्रमुख पर्यटन स्थल अल्बर्ट हॉल, हवा महल, आमेर फोर्ट, नाहरगढ़ फोर्ट पर्यटन स्थलों पर विदेशी मेहमान नहीं है, कारण साफ है इंटरनेशनल फ्लाइट्स अभी बंद हैं. विदेशी मेहमान शहर में आ नहीं रहे हैं. ऐसे में शहर के टूरिस्ट गाइड कर्ज तले जिंदगी गुजारने को मजबूर है. टूरिस्ट गाइड बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं. जिसे गाइड का घर खर्च भी मुश्किल हो रहा है.

पढ़ेंः प्रदेश में स्कूल खोलने को लेकर 26 अक्टूबर को होगी अहम बैठक, शिक्षा मंत्री रहेंगे मौजूद

टूरिस्ट गाइड महेश कुमार शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी से हर प्रोफेशन प्रभावित हुआ है. टूरिस्ट गाइड के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब लॉकडाउन लगा था तभी से प्रभावित हो रहे हैं और आगे आने वाले समय में भी कब तक प्रभावित रहेंगे, यह भी कोई पता नहीं. टूरिस्ट गाइड 12 महीने में केवल 6 महीने ही काम करते हैं, क्योंकि सीजन केवल 6 माह ही चलता है.

खर्चे कभी कम नहीं होते. कुछ गाइड्स की तो यह स्थिति है कि वह अच्छी लैंग्वेज की नॉलेज रखने के बावजूद भी खेती करने लग गए. कुछ गाइड अपने गांव से जानवरों का चारा लाकर शहर में बेच रहे हैं. इसी तरह गाइडों पर बहुत ही विकट परिस्थिति बनी हुई है. गाइड अपने देश का संस्कृति राजदूत होता है. गाइड कल्चरल एंबेसडर है. सरकार की तरफ से भी टूरिस्ट गाइड्स को कोई सहायता नहीं मिल पा रही है.

पढ़ेंः नगर निगम चुनाव 2020: भाजपा के ब्लैक पेपर के बाद कांग्रेस ने जारी किया 41 बिंदुओं का संकल्प पत्र

ऐसे में गाइड्स की सहायता के नाम पर विदेशी मेहमानों के सामने भी बोलने के लिए कुछ नहीं है. राजस्थान वीर योद्धाओं की भूमि है. राजस्थान में विदेशी मेहमान किले और महल देखने के लिए आते हैं. पत्थर बोलते नहीं है लेकिन गाइड एक-एक पत्थर को अपनी जबान देता है. किसी भी पत्थर की क्या स्थापत्य कला है, क्या इतिहास और क्या उसकी सुंदरता है इन सभी बातों की जानकारी एक गाइड देता है. अपने देश के शौर्य, कला और संस्कृति को एक गाइड पूरी दुनिया में रू-ब-रू करवाता है. टूरिस्ट गाइड्स का कहना है कि सरकार टूरिज्म के विज्ञापन पर खर्च होने वाला पैसा गाइड्स पर खर्च करे, तो इससे टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा और गाइड की भी सहायता हो सकती है. सरकार टूरिस्ट गाइड्स को प्रमोट करेगी तो गाइड टूरिज्म को प्रमोट करेंगे.

जयपुर. एक तरफ जहां कोरोना के कहर ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ दिया है. वहीं दूसरी तरफ कोरोना अपने साथ कई दूसरी समस्याएं भी साथ लेकर आया है. इन्हीं में से एक है बेरोजगारी. इस बेरोजगारी का दृश्य राजधानी के वह टूरिस्ट गाइड झेल रहे हैं, जो शहर की विरासत और संस्कृति का परिचय उन अनजान मुसाफिरों के सामने करते हैं, जो अपने साथ शहर की यादों को संजोंकर अपने देश लेकर जाते हैं.

टूरिस्ट गाइडो का छिना रोजगा

आज शहर के प्रमुख पर्यटन स्थल अल्बर्ट हॉल, हवा महल, आमेर फोर्ट, नाहरगढ़ फोर्ट पर्यटन स्थलों पर विदेशी मेहमान नहीं है, कारण साफ है इंटरनेशनल फ्लाइट्स अभी बंद हैं. विदेशी मेहमान शहर में आ नहीं रहे हैं. ऐसे में शहर के टूरिस्ट गाइड कर्ज तले जिंदगी गुजारने को मजबूर है. टूरिस्ट गाइड बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं. जिसे गाइड का घर खर्च भी मुश्किल हो रहा है.

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टूरिस्ट गाइड महेश कुमार शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी से हर प्रोफेशन प्रभावित हुआ है. टूरिस्ट गाइड के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब लॉकडाउन लगा था तभी से प्रभावित हो रहे हैं और आगे आने वाले समय में भी कब तक प्रभावित रहेंगे, यह भी कोई पता नहीं. टूरिस्ट गाइड 12 महीने में केवल 6 महीने ही काम करते हैं, क्योंकि सीजन केवल 6 माह ही चलता है.

खर्चे कभी कम नहीं होते. कुछ गाइड्स की तो यह स्थिति है कि वह अच्छी लैंग्वेज की नॉलेज रखने के बावजूद भी खेती करने लग गए. कुछ गाइड अपने गांव से जानवरों का चारा लाकर शहर में बेच रहे हैं. इसी तरह गाइडों पर बहुत ही विकट परिस्थिति बनी हुई है. गाइड अपने देश का संस्कृति राजदूत होता है. गाइड कल्चरल एंबेसडर है. सरकार की तरफ से भी टूरिस्ट गाइड्स को कोई सहायता नहीं मिल पा रही है.

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ऐसे में गाइड्स की सहायता के नाम पर विदेशी मेहमानों के सामने भी बोलने के लिए कुछ नहीं है. राजस्थान वीर योद्धाओं की भूमि है. राजस्थान में विदेशी मेहमान किले और महल देखने के लिए आते हैं. पत्थर बोलते नहीं है लेकिन गाइड एक-एक पत्थर को अपनी जबान देता है. किसी भी पत्थर की क्या स्थापत्य कला है, क्या इतिहास और क्या उसकी सुंदरता है इन सभी बातों की जानकारी एक गाइड देता है. अपने देश के शौर्य, कला और संस्कृति को एक गाइड पूरी दुनिया में रू-ब-रू करवाता है. टूरिस्ट गाइड्स का कहना है कि सरकार टूरिज्म के विज्ञापन पर खर्च होने वाला पैसा गाइड्स पर खर्च करे, तो इससे टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा और गाइड की भी सहायता हो सकती है. सरकार टूरिस्ट गाइड्स को प्रमोट करेगी तो गाइड टूरिज्म को प्रमोट करेंगे.

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