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कैसे रखें वरूथिनी एकादशी का व्रत, जानें पूजा विधि

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का काफी ज्यादा महत्व है. ऐसे में शनिवार को वरूथिनी एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और इस व्रत को करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है.

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आज वरूथिनी एकादशी का व्रत है
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Published : Apr 18, 2020, 1:04 PM IST

जयपुर. हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का काफी ज्यादा महत्व रहता है. ऐसे में आज वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी है. आज के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और इस व्रत को करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है.

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आज के दिन व्रती स्नानादि के बाद भगवान मधुसूदन और विष्णु के वराह अवतार की पूजा करें. साथ में माता लक्ष्मी और कुबेर के देवता की भी आराधना जरूर करें. वहीं इस दिन विष्णु सहस्रनाम का जाप करें और पूजा खत्म होने के बड़प एकादशी व्रत की कथा जरूर सुने. देर रात भगवान का सुमिरन करते हुए जागरण करें. वहीं व्रती भोजन ना करके निराहार रहें और फलाहार का ही सेवन करें.

यह भी पढ़ें- 'गहलोत सरकार भी दूसरे राज्यों में फंसे अपने लोगों को लाएगी राजस्थान, कुछ घंटों में हो सकता है अंतिम निर्णय'

वरूथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त शनिवार रात 10.15 बजे तक रहेगा. वहीं द्वादशी यानी की रविवार को ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद व्रत खोले. व्रत खोलने का रविवार सुबह 5.50 से 8.26 AM तक ही रहेगा. इस व्रत को करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती हैं. कथाओं के अनुसार वरूथिनी एकादशी पृथ्वी लोक के साथ-साथ परलोक में भी सौभाग्य प्राप्त करने वाली एकादशी है.

जयपुर. हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का काफी ज्यादा महत्व रहता है. ऐसे में आज वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी है. आज के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और इस व्रत को करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है.

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आज के दिन व्रती स्नानादि के बाद भगवान मधुसूदन और विष्णु के वराह अवतार की पूजा करें. साथ में माता लक्ष्मी और कुबेर के देवता की भी आराधना जरूर करें. वहीं इस दिन विष्णु सहस्रनाम का जाप करें और पूजा खत्म होने के बड़प एकादशी व्रत की कथा जरूर सुने. देर रात भगवान का सुमिरन करते हुए जागरण करें. वहीं व्रती भोजन ना करके निराहार रहें और फलाहार का ही सेवन करें.

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वरूथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त शनिवार रात 10.15 बजे तक रहेगा. वहीं द्वादशी यानी की रविवार को ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद व्रत खोले. व्रत खोलने का रविवार सुबह 5.50 से 8.26 AM तक ही रहेगा. इस व्रत को करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती हैं. कथाओं के अनुसार वरूथिनी एकादशी पृथ्वी लोक के साथ-साथ परलोक में भी सौभाग्य प्राप्त करने वाली एकादशी है.

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