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'जय माई की' के घोष से दूर होते हैं सारे कष्ट, चामुंडा माता के दर्शन को उमड़ रहे भक्त...मंदिर में लग रही कतार

अजमेर के फायसागर रोड स्थित बोराज गांव की पहाड़ी पर स्थित चामुंडा माता मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. नवरात्र के चलते इन दिनों माता के मंदिर में दर्शन के लिए रोजाना श्रद्धालुओं की कतार लग रही है.

चामुंडा माता मंदिर,  नवरात्र पर्व, Chamunda Mata Temple, Navratri festival
चामुंडा माई के दर्शन को उमड़ रहे भक्त
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Published : Oct 9, 2021, 7:09 PM IST

अजमेर. अजमेर को चौहानवंश के तेइसवें राजा अजयराज ने 1112 ईसवी में बसाया था. चौहान वंश के राजा आदिशक्ति माता चामुंडा की आराधना किया करते थे. अजमेर के फाय सागर रोड स्थित बोराज की पहाड़ी पर स्थित चामुंडा माता मंदिर चौहान वंश के राजाओं की आराध्य देवी है. बताया जाता है कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने इस मंदिर की स्थापना की थी और स्वंय यहां पूजा-अर्चना करते थे. मंदिर की स्थापना सन 1160 में की गई थी और तब से लेकर आज तक चामुंडा माता मंदिर में नित्य पूजा-अर्चना होती है. नवरात्र पर यहां भक्तों का जमावड़ा लगता है.

अजमेर के फायसागर रोड स्थित बोराज गांव की पहाड़ी पर मौजूद मंदिर में चामुंडा माता विराजमान हैं. स्थानीय लोग इसे चामुंडा माई के नाम से पुकारते हैं. सदियों पुराना यह मंदिर माता के भक्तों के लिए बड़ा आस्था का केंद्र रहा है. अजमेर के स्थापत्य के समय से ही चौहान वंश की आराध्य देवी चामुंडा रही हैं. बताया जाता है कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान माता के अनन्य भक्त थे. यह वही स्थान है जहां आदि शक्ति माता ने साक्षात सम्राट पृथ्वीराज चौहान को दर्शन दिए थे. तब सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने इस स्थान पर चामुंडा माता मंदिर की स्थापना की थी. तब से लेकर आज तक माता के भक्तों ने अलग-अलग काल खंडों में माता के मंदिर का विस्तार किया.

चामुंडा माई के दर्शन को उमड़ रहे भक्त

पढ़ें. सीएम गहलोत ने की जगदंबे भवानी मंदिर में मां अंबे की सपरिवार पूजा-अर्चना, प्रदेशवासियों को दी शुभकामनाएं

मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त के दुख-दर्द माता हर लेती हैं और मनोवांछित फल प्रदान करतीं हैं. मंदिर प्रांगण में गंगा मैया का भी मंदिर है. यहां एक छोटा सा जलकुंड है. ऐसा माना जाता है कि गंगा मैया के कुंड से कितना भी जल निकाल लो लेकिन यह कभी खाली नहीं होता. कुंड का जल गंगा नदी के समान ही पवित्र माना जाता है. मंदिर प्रांगण में ही भगवान भोलेनाथ का मंदिर भी है. जहां भगवान शिव शंकर शिवलिंग के रूप में विराजमान है. इसके अलावा मंदिर प्रांगण में हनुमान जी का भी मंदिर है. चामुंडा माता मंदिर की व्यवस्थाएं मंदिर के सेवादार ही संभालते हैं.

पढ़ें. त्योहारी सीजन में बाजार गुलजार, नवरात्र के पहले दिन जयपुर में 100 करोड़ का कारोबार

बोराज गांव से मंदिर समिति के पदाधिकारी बीरम सिंह रावत बताते हैं कि चामुंडा माता मंदिर चौहान वंश की आराध्य देवी हैं. यहां चामुंडा माता की पूजा-अर्चना करने के लिए सम्राट पृथ्वीराज चौहान भी आया करते थे. उन्होंने बताया कि राजस्थान के विभिन्न जिलों से ही नहीं बल्कि देश के कई कोनों से यहां माता के भक्तों दर्शनों के लिए आते हैं. समिति के एक अन्य पदाधिकारी राम सिंह बताते हैं कि नवरात्र के पावन पर्व पर माता के दर्शनों के लिए सुबह से ही भक्तों का आना जाना लगा रहता है. शक्ति स्वरूपा माता के दर्शनों से भक्तों को अपने जीवन में नई ऊर्जा और शक्ति मिलती है. यही वजह है कि जो एक बार माता के दर्शन के लिए आता है, वह बार-बार यहां आने की इच्छा रखता है.

चामुंडा माता मंदिर के पुजारी मदन सिंह ने बताया कि नवरात्र पर माता का विशेष श्रंगार होता है. वहीं दिन में 12 बजे महाआरती होती है. खास बात यह है कि इस विशेष आरती का आयोजन 1 घंटे होता है. इस विशेष महाआरती में शामिल होने के लिए भक्तों की भीड़ लगती है. इस दौरान पुजारी मंदिर आने वाले भक्तों के सकल मनोरथ सिद्ध होने की प्रार्थना माता चामुंडा से करते हैं. लोगों का मानना है कि मंदिर में दर्शन कर '' जय माई की '' कहने मात्र से ही सारी परेशानी दूर हो जाती है.

अजमेर. अजमेर को चौहानवंश के तेइसवें राजा अजयराज ने 1112 ईसवी में बसाया था. चौहान वंश के राजा आदिशक्ति माता चामुंडा की आराधना किया करते थे. अजमेर के फाय सागर रोड स्थित बोराज की पहाड़ी पर स्थित चामुंडा माता मंदिर चौहान वंश के राजाओं की आराध्य देवी है. बताया जाता है कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने इस मंदिर की स्थापना की थी और स्वंय यहां पूजा-अर्चना करते थे. मंदिर की स्थापना सन 1160 में की गई थी और तब से लेकर आज तक चामुंडा माता मंदिर में नित्य पूजा-अर्चना होती है. नवरात्र पर यहां भक्तों का जमावड़ा लगता है.

अजमेर के फायसागर रोड स्थित बोराज गांव की पहाड़ी पर मौजूद मंदिर में चामुंडा माता विराजमान हैं. स्थानीय लोग इसे चामुंडा माई के नाम से पुकारते हैं. सदियों पुराना यह मंदिर माता के भक्तों के लिए बड़ा आस्था का केंद्र रहा है. अजमेर के स्थापत्य के समय से ही चौहान वंश की आराध्य देवी चामुंडा रही हैं. बताया जाता है कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान माता के अनन्य भक्त थे. यह वही स्थान है जहां आदि शक्ति माता ने साक्षात सम्राट पृथ्वीराज चौहान को दर्शन दिए थे. तब सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने इस स्थान पर चामुंडा माता मंदिर की स्थापना की थी. तब से लेकर आज तक माता के भक्तों ने अलग-अलग काल खंडों में माता के मंदिर का विस्तार किया.

चामुंडा माई के दर्शन को उमड़ रहे भक्त

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मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त के दुख-दर्द माता हर लेती हैं और मनोवांछित फल प्रदान करतीं हैं. मंदिर प्रांगण में गंगा मैया का भी मंदिर है. यहां एक छोटा सा जलकुंड है. ऐसा माना जाता है कि गंगा मैया के कुंड से कितना भी जल निकाल लो लेकिन यह कभी खाली नहीं होता. कुंड का जल गंगा नदी के समान ही पवित्र माना जाता है. मंदिर प्रांगण में ही भगवान भोलेनाथ का मंदिर भी है. जहां भगवान शिव शंकर शिवलिंग के रूप में विराजमान है. इसके अलावा मंदिर प्रांगण में हनुमान जी का भी मंदिर है. चामुंडा माता मंदिर की व्यवस्थाएं मंदिर के सेवादार ही संभालते हैं.

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बोराज गांव से मंदिर समिति के पदाधिकारी बीरम सिंह रावत बताते हैं कि चामुंडा माता मंदिर चौहान वंश की आराध्य देवी हैं. यहां चामुंडा माता की पूजा-अर्चना करने के लिए सम्राट पृथ्वीराज चौहान भी आया करते थे. उन्होंने बताया कि राजस्थान के विभिन्न जिलों से ही नहीं बल्कि देश के कई कोनों से यहां माता के भक्तों दर्शनों के लिए आते हैं. समिति के एक अन्य पदाधिकारी राम सिंह बताते हैं कि नवरात्र के पावन पर्व पर माता के दर्शनों के लिए सुबह से ही भक्तों का आना जाना लगा रहता है. शक्ति स्वरूपा माता के दर्शनों से भक्तों को अपने जीवन में नई ऊर्जा और शक्ति मिलती है. यही वजह है कि जो एक बार माता के दर्शन के लिए आता है, वह बार-बार यहां आने की इच्छा रखता है.

चामुंडा माता मंदिर के पुजारी मदन सिंह ने बताया कि नवरात्र पर माता का विशेष श्रंगार होता है. वहीं दिन में 12 बजे महाआरती होती है. खास बात यह है कि इस विशेष आरती का आयोजन 1 घंटे होता है. इस विशेष महाआरती में शामिल होने के लिए भक्तों की भीड़ लगती है. इस दौरान पुजारी मंदिर आने वाले भक्तों के सकल मनोरथ सिद्ध होने की प्रार्थना माता चामुंडा से करते हैं. लोगों का मानना है कि मंदिर में दर्शन कर '' जय माई की '' कहने मात्र से ही सारी परेशानी दूर हो जाती है.

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