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नाइट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आमेर महल और अल्बर्ट हॉल में कत्थक नृत्य का आयोजन

नाइट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग और जयपुर कथक केंद्र आमेर महल और अल्बर्ट हॉल में कत्थक नृत्य का आयोजन किया गया. बड़ी संख्या में देसी-विदेशी सैलानियों ने नृत्य का आनंद लिया.

कत्थक नृत्य का आयोजन
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Published : Mar 22, 2019, 11:20 PM IST

जयपुर. नाइट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग और जयपुर कथक केंद्र आमेर महल और अल्बर्ट हॉल में कत्थक नृत्य का आयोजन किया गया. बड़ी संख्या में देसी-विदेशी सैलानियों ने नृत्य का आनंद लिया.

आमेर महल के दीवान-ए-आम में सबसे पहले गणेश वंदना से कथक नृत्य कार्यक्रम की शुरुआत की गई. इसके बाद कलाकारों ने पारंपरिक तीनताल में बंदिशे पेश की. कलाकारों ने गत, निकास, पावों का काम, चक्कर और लड़ी की बंदिशें भी लोगों के सामने पेश की. आमेर महल में कथक नृत्य गुरु पंडित राजकुमार जवड़ा के निर्देशन में जयपुर घराने का पारंपरिक कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया. कथक नृत्य कार्यक्रम में सैलानियों को निशुल्क प्रवेश दिया गया वहीं कलाकारों की प्रस्तुतियां देख सैलानियों ने भी खूब तालियां बजाई और वहीं पर्यटक कथक नृत्य कलाकारों की इन शानदार प्रस्तुतियों को अपने कैमरे में भी कैद करते नजर आए.

कत्थक नृत्य का आयोजन

अल्बर्ट हॉल में भी कथक नृत्य कार्यक्रम में कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां दी. अल्बर्ट हॉल पर कत्थक नृत्य गुरु डॉ रेखा ठाकुर के निर्देशन में कलाकारों ने शिव वंदना से कार्यक्रम से शुरुआत की.

जयपुर. नाइट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग और जयपुर कथक केंद्र आमेर महल और अल्बर्ट हॉल में कत्थक नृत्य का आयोजन किया गया. बड़ी संख्या में देसी-विदेशी सैलानियों ने नृत्य का आनंद लिया.

आमेर महल के दीवान-ए-आम में सबसे पहले गणेश वंदना से कथक नृत्य कार्यक्रम की शुरुआत की गई. इसके बाद कलाकारों ने पारंपरिक तीनताल में बंदिशे पेश की. कलाकारों ने गत, निकास, पावों का काम, चक्कर और लड़ी की बंदिशें भी लोगों के सामने पेश की. आमेर महल में कथक नृत्य गुरु पंडित राजकुमार जवड़ा के निर्देशन में जयपुर घराने का पारंपरिक कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया. कथक नृत्य कार्यक्रम में सैलानियों को निशुल्क प्रवेश दिया गया वहीं कलाकारों की प्रस्तुतियां देख सैलानियों ने भी खूब तालियां बजाई और वहीं पर्यटक कथक नृत्य कलाकारों की इन शानदार प्रस्तुतियों को अपने कैमरे में भी कैद करते नजर आए.

कत्थक नृत्य का आयोजन

अल्बर्ट हॉल में भी कथक नृत्य कार्यक्रम में कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां दी. अल्बर्ट हॉल पर कत्थक नृत्य गुरु डॉ रेखा ठाकुर के निर्देशन में कलाकारों ने शिव वंदना से कार्यक्रम से शुरुआत की.

Intro:जयपुर
एंकर- नाइट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आमेर महल और अल्बर्ट हॉल में कत्थक नृत्य का आयोजन किया गया। राजस्थान सरकार के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग और जयपुर कथक केंद्र की ओर से कथक नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कथक नृत्य कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां दी। बड़ी संख्या में देसी विदेशी सैलानियों ने भी कत्थक नृत्य का आनंद लिया


Body:नाइट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आमेर महल और अल्बर्ट हॉल में कत्थक नृत्य का आयोजन किया गया। राजस्थान सरकार के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग और जयपुर कथक केंद्र की ओर से कथक नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कथक नृत्य कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां दी। बड़ी संख्या में देसी विदेशी सैलानियों ने भी कत्थक नृत्य का आनंद लिया

आमेर महल के दीवान-ए-आम में सबसे पहले गणेश वंदना से कथक नृत्य कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके बाद कलाकारों ने पारंपरिक तीनताल में बंदिशे पेश की। कलाकारों ने गत, निकास, पावों का काम, चक्कर और लड़ी की बंदिशें भी पेश की। आमेर महल में कथक नृत्य गुरु पंडित राजकुमार जवड़ा के निर्देशन में जयपुर घराने का पारंपरिक कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया। कथक नृत्य कार्यक्रम में सैलानियों को निशुल्क प्रवेश दिया गया। कलाकारों की प्रस्तुतियां देख सैलानियों ने भी खूब तालियां बजाई। वहीं पर्यटक कथक नृत्य कलाकारों की इन शानदार प्रस्तुतियों को अपने कैमरे में भी कैद करते नजर आए।
कलाकार चेतन कुमार जवड़ा, भवदीप जवड़ा, संगीता सेन, अनुष्का मिश्रा और तोशीबा गोठवाल ने शानदार प्रस्तुतियां पेश की। कार्यक्रम में संगतकार कलाकारों में गायन व हारमोनियम पर रमेश मेवाल, तबले पर हनुमान भारती और पढ़ंत पर कथक नृत्य गुरु पंडित राजकुमार जवड़ा रहे।
अल्बर्ट हॉल में भी कथक नृत्य कार्यक्रम में कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां दी। अल्बर्ट हॉल पर कत्थक नृत्य गुरु डॉ रेखा ठाकुर के निर्देशन में कलाकारों ने शिव वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद कलाकारों ने तीन ताल में बंदिशें पेश की।






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