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महिला सशक्तिकरण के लिए तीन विभाग आए साथ, कॉमन ऑनलाइन पोर्टल से सुधरेगा महिलाओं के आर्थिक हालात

महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए तीन विभाग एक साथ मिलकर काम करेंगे. राजीविका, महिला एवं बाल विकास और स्वायत्त शासन विभाग अब एक साथ मिलकर महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को लेकर काम करेंगे. इस बीच कॉमन ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की गई.

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महिला सशक्तिकरण के लिए तीन विभाग आए साथ
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Published : Jan 6, 2021, 10:08 PM IST

जयपुर. महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए तीन विभाग एक साथ मिलकर काम करेंगे. राजीविका, महिला एवं बाल विकास और स्वायत्त शासन विभाग अब एक साथ मिलकर महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को लेकर काम करेंगे. स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की गुणवत्ता, ब्रांडिंग और प्रतिस्पर्धात्मक विपणन पर फोकस के साथ बाजार में पकड़ मजबूत करने करने के लिए कॉमन ऑनलाईन पोर्टल बनाया जाएगा. इस संबध में शासन सचिव, महिला एवं बाल विकास कृष्ण कान्त पाठक एवं स्वायत्त शासन सचिव, भवानी सिंह देथा और स्टेट मिशन डायरेक्टर, राजीविका शुचि त्यागी सहित महिला सशक्तिकरण प्रोजेक्ट्स से जुड़े अधिकारियों के साथ अह्म बैठक की.

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए ग्रामीण एवं शहरी स्वंय सहायता समूहों की ओर से बनाए गए उत्पादों की गुणवत्ता, ब्रांडिगं और प्रतिस्पर्धात्मक विपणन के लिए बाजार उपलब्ध करवाने के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के तहत राजीविका, महिला एवं बाल विकास और स्वायत्त शासन विभाग मिलकर समन्वित प्रयास करेंगे. अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने बैठक में स्वयं सहायता समूहों की समस्त गतिविधियों के लिए और बाजार में पैठ मजबूत बनाने के लिए एक कॉमन ऑनलाईन पोर्टल बनाए जाने वाले बिन्दुओं जैसे स्वयं सहायता समूहों के गठन के लिए ऑनलाईन आवेदन, विशिष्ठ योजनाएं, प्रशिक्षण, वित्त, मार्केटिंग, मूल्यांकन, रिर्पोटिंग, फेसिलिटेटर्स, नवाचार, प्रारूप, उत्पाद, परिवेदनाएं और हेल्पलाइन पर विस्तृत चर्चा की.

उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूहों की ओर से तैयार उत्पादों के विपणन के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव कृष्णकान्त पाठक की ओर से तैयार प्रस्तुतिकरण को भी देखा. पाठक ने अपने प्रस्तुतिकरण में बताया कि आन्ध्रप्रदेश, कुडुम्बश्री सहित देश के विभिन्न राज्यों में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं. राजस्थान राज्य में भी महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में उल्लेखनीय काम हुआ है. उन्होंने बताया कि महिला स्वंय सहायता समूहाें के रिकार्ड संधारण के लिए केवल एक रजिस्टर से लेकर उनसे जुड़ी सभी गतिविधियों के लिए एक ऑनलाईन पोर्टल आवश्यक है. अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि राजीविका के तहत गठित महिला स्वंय सहायता समूहों की ओर से अधिकतर कार्य कृषि से जुड़े हुए हैं.

यह भी पढ़ें- प्रतापगढ़ ACB की बड़ी कार्रवाई, 2500 की रिश्वत लेते पटवारी रंगे हाथ गिरफ्तार

उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है कि ये स्वंय सहायता समूह फार्म सैक्टर से गैर कृषि क्षेत्र (नॉन फार्म सैक्टर) से जुड़ें, ताकि उनकी आजिविका में पर्याप्त बढ़ोतरी हो और वैल्यू एडिशन बढ़ सके. स्वंय सहायता समूहों की ओर से तैयार उत्पाद गुणवत्तापूर्ण होने के बावजूद पैंकिगं की गुणवत्ता के अभाव में उनके उत्पादों का विक्रय उचित मूल्य पर नहीं हो पाता. इसके समाधान के लिए उन्होंने तीनों विभागों ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के तहत राजीविका, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं स्वायत्त शासन विभाग के तहत एनयूएलएम के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता प्रतिपादित की. जिस पर महिला एवं बाल विकास विभाग एवं स्वायत्त शासन विभाग की पहल पर सहमत हो गए.

इस संबध में एक प्रस्ताव तत्काल तैयार कर मुख्यमंत्री, राजस्थान से अनुमोदन के लिए भेजने पर भी सहमति बन गई है. अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि तीनों विभागों की इस समन्वित पहल से महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पाद बाजार में उपलब्ध ब्रांडेड उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा में टिक सकेंगे और बाजार में अपनी भागीदारी बढ़ा सकेंगे. इसके साथ-साथ इन समन्वित प्रयासों से महिला स्वयं सहायता समूहों के बीच विभिन्न नवाचारों को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में संचालित स्वंय सहायता समूहों का भेद मिटेगा.

राजीविका के विक्रय कॉर्नर की शुरूआत

हस्तकला, हस्तशिल्प, मीनाकारी और अन्य राजस्थानी उत्पादों के लिए गुलाबी नगरी जयपुर में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच मशहूर 'राजस्थली' शौरूम में बुधवार को यहां राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) के विक्रय कॉर्नर की शुरूआत हुई है. कोविड से बचाव के लिए इस बार दिपावली पर गोबर के दीपक बनाकर प्रदूषण मुक्त दिपावली की अलख जगाने की पहल करने वाले महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य बगरू खुर्द की कोमल ने इस बिक्री काउंटर का फीता काटकर शुभारम्भ किया.

राजीविका के तहत महिला स्वंय सहायता समूहों के इस बिक्री काउंटर के शुभारम्भ के मौके पर ठेठ ग्रामीण महिलाओं की हौसला अफजाई करने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह एवं ग्रामीण विकास विभाग के शासन सचिव एवं मनरेगा आयुक्त पीसी किशन और राजीविका की स्टेट मिशन डायरेक्टर शुचि त्यागी भी पहुंचे और फीता काटने के पश्चात्त अधिकारियों ने महिला स्वंय सहायता समूह की इस पहल के लिए मनोबल बढ़ाया. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने राजीविका के बिक्री काउंटर में प्रदश्रित मीनाकारी, कशीदाकारी, बून्दी बंधेज, काष्ठ कला चर्म शिल्प, टेराकोटा, ब्ल्यू पॉटरी, हेण्डलूम आदि उत्पादों को देखा और उनके बारे में महिला स्वंय सहायता समूहाें की सदस्यों से उत्पादों को बनाने की विधियों, तकनीकों और राजीविका की निदेशक शुचि त्यागी और राज्य परियोजना प्रबंधक (नॉन फार्म) मोना दवे से विस्तार से जानकारी ली.

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उन्होंने स्टेट मिशन निदेशक, राजीविका शुचि त्यागी को निर्देश दिए कि इस बिक्री काउंटर में उन महिला स्वंय सहायता समूहों की सदस्यों के फोटो लगाएं जाए, जिनकी ओर से उत्पाद बनाए गए हैं. साथ ही उनकी कला और तकनीकी और प्रक्रिया आदि की भी जानकारी प्रदर्शित की जाए, ताकि आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को राजस्थान की बहुआयामी प्रतिभाओं और उनकी विधाओं एवं कलाओं के बारे में जानकारी मिल सके. स्टेट मिशन निदेशक, राजीविका शुचि त्यागी ने बताया कि विक्रय कॉर्नर में ब्लू पॉटरी, पेपर प्रोडक्टस, गोटा-पत्तती की साड़ियां, लकड़ी से बने खिलौने और अन्य कला कृतियां, सवाई माधोपुर की ब्लैक पॉटरी, राजसमंद की मोलेला पॉटरी, मीनाकारी आर्टिकल्स, भरतपुर के जूट प्रोडेक्टस, दौसा की दरियां, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, चमड़े की जूतियां और बैग्स, चूरू और बूंदी बंधेज के दुपट्टे, उदयपुर के साफे, हर्बल साबुन आदि प्रदर्शित किए गए हैं.

जयपुर. महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए तीन विभाग एक साथ मिलकर काम करेंगे. राजीविका, महिला एवं बाल विकास और स्वायत्त शासन विभाग अब एक साथ मिलकर महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को लेकर काम करेंगे. स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की गुणवत्ता, ब्रांडिंग और प्रतिस्पर्धात्मक विपणन पर फोकस के साथ बाजार में पकड़ मजबूत करने करने के लिए कॉमन ऑनलाईन पोर्टल बनाया जाएगा. इस संबध में शासन सचिव, महिला एवं बाल विकास कृष्ण कान्त पाठक एवं स्वायत्त शासन सचिव, भवानी सिंह देथा और स्टेट मिशन डायरेक्टर, राजीविका शुचि त्यागी सहित महिला सशक्तिकरण प्रोजेक्ट्स से जुड़े अधिकारियों के साथ अह्म बैठक की.

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए ग्रामीण एवं शहरी स्वंय सहायता समूहों की ओर से बनाए गए उत्पादों की गुणवत्ता, ब्रांडिगं और प्रतिस्पर्धात्मक विपणन के लिए बाजार उपलब्ध करवाने के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के तहत राजीविका, महिला एवं बाल विकास और स्वायत्त शासन विभाग मिलकर समन्वित प्रयास करेंगे. अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने बैठक में स्वयं सहायता समूहों की समस्त गतिविधियों के लिए और बाजार में पैठ मजबूत बनाने के लिए एक कॉमन ऑनलाईन पोर्टल बनाए जाने वाले बिन्दुओं जैसे स्वयं सहायता समूहों के गठन के लिए ऑनलाईन आवेदन, विशिष्ठ योजनाएं, प्रशिक्षण, वित्त, मार्केटिंग, मूल्यांकन, रिर्पोटिंग, फेसिलिटेटर्स, नवाचार, प्रारूप, उत्पाद, परिवेदनाएं और हेल्पलाइन पर विस्तृत चर्चा की.

उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूहों की ओर से तैयार उत्पादों के विपणन के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव कृष्णकान्त पाठक की ओर से तैयार प्रस्तुतिकरण को भी देखा. पाठक ने अपने प्रस्तुतिकरण में बताया कि आन्ध्रप्रदेश, कुडुम्बश्री सहित देश के विभिन्न राज्यों में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं. राजस्थान राज्य में भी महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में उल्लेखनीय काम हुआ है. उन्होंने बताया कि महिला स्वंय सहायता समूहाें के रिकार्ड संधारण के लिए केवल एक रजिस्टर से लेकर उनसे जुड़ी सभी गतिविधियों के लिए एक ऑनलाईन पोर्टल आवश्यक है. अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि राजीविका के तहत गठित महिला स्वंय सहायता समूहों की ओर से अधिकतर कार्य कृषि से जुड़े हुए हैं.

यह भी पढ़ें- प्रतापगढ़ ACB की बड़ी कार्रवाई, 2500 की रिश्वत लेते पटवारी रंगे हाथ गिरफ्तार

उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है कि ये स्वंय सहायता समूह फार्म सैक्टर से गैर कृषि क्षेत्र (नॉन फार्म सैक्टर) से जुड़ें, ताकि उनकी आजिविका में पर्याप्त बढ़ोतरी हो और वैल्यू एडिशन बढ़ सके. स्वंय सहायता समूहों की ओर से तैयार उत्पाद गुणवत्तापूर्ण होने के बावजूद पैंकिगं की गुणवत्ता के अभाव में उनके उत्पादों का विक्रय उचित मूल्य पर नहीं हो पाता. इसके समाधान के लिए उन्होंने तीनों विभागों ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के तहत राजीविका, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं स्वायत्त शासन विभाग के तहत एनयूएलएम के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता प्रतिपादित की. जिस पर महिला एवं बाल विकास विभाग एवं स्वायत्त शासन विभाग की पहल पर सहमत हो गए.

इस संबध में एक प्रस्ताव तत्काल तैयार कर मुख्यमंत्री, राजस्थान से अनुमोदन के लिए भेजने पर भी सहमति बन गई है. अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि तीनों विभागों की इस समन्वित पहल से महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पाद बाजार में उपलब्ध ब्रांडेड उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा में टिक सकेंगे और बाजार में अपनी भागीदारी बढ़ा सकेंगे. इसके साथ-साथ इन समन्वित प्रयासों से महिला स्वयं सहायता समूहों के बीच विभिन्न नवाचारों को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में संचालित स्वंय सहायता समूहों का भेद मिटेगा.

राजीविका के विक्रय कॉर्नर की शुरूआत

हस्तकला, हस्तशिल्प, मीनाकारी और अन्य राजस्थानी उत्पादों के लिए गुलाबी नगरी जयपुर में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच मशहूर 'राजस्थली' शौरूम में बुधवार को यहां राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) के विक्रय कॉर्नर की शुरूआत हुई है. कोविड से बचाव के लिए इस बार दिपावली पर गोबर के दीपक बनाकर प्रदूषण मुक्त दिपावली की अलख जगाने की पहल करने वाले महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य बगरू खुर्द की कोमल ने इस बिक्री काउंटर का फीता काटकर शुभारम्भ किया.

राजीविका के तहत महिला स्वंय सहायता समूहों के इस बिक्री काउंटर के शुभारम्भ के मौके पर ठेठ ग्रामीण महिलाओं की हौसला अफजाई करने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह एवं ग्रामीण विकास विभाग के शासन सचिव एवं मनरेगा आयुक्त पीसी किशन और राजीविका की स्टेट मिशन डायरेक्टर शुचि त्यागी भी पहुंचे और फीता काटने के पश्चात्त अधिकारियों ने महिला स्वंय सहायता समूह की इस पहल के लिए मनोबल बढ़ाया. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने राजीविका के बिक्री काउंटर में प्रदश्रित मीनाकारी, कशीदाकारी, बून्दी बंधेज, काष्ठ कला चर्म शिल्प, टेराकोटा, ब्ल्यू पॉटरी, हेण्डलूम आदि उत्पादों को देखा और उनके बारे में महिला स्वंय सहायता समूहाें की सदस्यों से उत्पादों को बनाने की विधियों, तकनीकों और राजीविका की निदेशक शुचि त्यागी और राज्य परियोजना प्रबंधक (नॉन फार्म) मोना दवे से विस्तार से जानकारी ली.

यह भी पढ़ें-बिहार में बेखौफ बदमाशों ने राजस्थान की बेटी से की छेड़खानी, विरोध करने पर मां को मारी गोली

उन्होंने स्टेट मिशन निदेशक, राजीविका शुचि त्यागी को निर्देश दिए कि इस बिक्री काउंटर में उन महिला स्वंय सहायता समूहों की सदस्यों के फोटो लगाएं जाए, जिनकी ओर से उत्पाद बनाए गए हैं. साथ ही उनकी कला और तकनीकी और प्रक्रिया आदि की भी जानकारी प्रदर्शित की जाए, ताकि आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को राजस्थान की बहुआयामी प्रतिभाओं और उनकी विधाओं एवं कलाओं के बारे में जानकारी मिल सके. स्टेट मिशन निदेशक, राजीविका शुचि त्यागी ने बताया कि विक्रय कॉर्नर में ब्लू पॉटरी, पेपर प्रोडक्टस, गोटा-पत्तती की साड़ियां, लकड़ी से बने खिलौने और अन्य कला कृतियां, सवाई माधोपुर की ब्लैक पॉटरी, राजसमंद की मोलेला पॉटरी, मीनाकारी आर्टिकल्स, भरतपुर के जूट प्रोडेक्टस, दौसा की दरियां, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, चमड़े की जूतियां और बैग्स, चूरू और बूंदी बंधेज के दुपट्टे, उदयपुर के साफे, हर्बल साबुन आदि प्रदर्शित किए गए हैं.

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