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ग्राउंड रिपोर्ट: हिंगोनिया गौशाला में सुधरे हालात, बाड़ों में ईंटों का प्लेटफार्म और पर्याप्त चारा भी...

जयपुर की सबसे बड़ी हिंगोनिया गौशाला में गायों के हालात सुधरते दिखाई दे रहै हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल में गायों के लिए तमाम तरह की सुविधाएं देखी गई. हालांकि गायों के मरने का क्रम लगातार जारी है, लेकिन मृत्यु दर में कमी देखी गई है.

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Published : Aug 25, 2019, 11:59 PM IST

Updated : Aug 26, 2019, 1:29 AM IST

जयपुर. जिले की सबसे बड़ी हिंगोनिया गौशाला की व्यवस्थाएं पहले से बेहतर हुई है. यहां बाड़ों में ईटों का प्लेटफार्म लगाया गया है, तो वहीं चारे की भी उचित व्यवस्था की जा रही है. हालांकि यहां आईसीयू में अभी भी हर दिन करीब 50 गाय दम तोड़ रही हैं, और सैकड़ों गाय खुले बाड़ों में विचरण कर रही हैं. जिन्होंने कुछ सवाल जरूर खड़े किए हैं.

हिंगोनिया गौशाला में सुधरे हालात

बीते वित्तीय वर्ष में चारे की कमी से हुई गायों की मौत और निगम प्रशासन की ओर से भुगतान नहीं किए जाने के मामले को लेकर जयपुर की सबसे बड़ी हिंगोनिया गौशाला सुर्खियों में आई. लेकिन अब यहां हालात पहले से काफी सुधर गए हैं. ईटीवी भारत हिंगोनिया गौशाला में व्यवस्थाओं की पड़ताल करने पहुंचा. यहां मानसून के दौरान अमूमन बाड़ों में कीचड़ होने की स्थिति बन जाती है. जिसमें फंसकर और फिसल कर गोवंश घायल भी हो जाते हैं, तो कुछ की मौत भी हो जाती है. लेकिन इस बार जिन बाड़ों को काल का मुख्य द्वार कहा जाता था, वहां ईटों से बना प्लेटफार्म मिला. वहीं गायों की स्थिति भी पहले से काफी बेहतर नजर आई.

पढ़ें: जेटली के निधन पर छलका वसुंधरा का दर्द, कहा- वे मेरे राजनीतिक गुरु थे, हमेशा कमी खलेगी

यहां चारे की गोदाम भी भरे मिले. हालांकि गायों की मौत का आंकड़ा अभी भी 50 के करीब है. जिसकी मुख्य वजह जानने के लिए ईटीवी भारत ने यहां काम देख रही अक्षय पात्र ट्रस्ट से बात की. उन्होंने बताया यहां बूढ़ी, दुर्घटनाग्रस्त और प्लास्टिक खाई हुई गाय ज्यादा पहुंचती हैं. जो आईसीयू में इलाज के दौरान दम तोड़ देती हैं. उन्होंने बताया कि मानसून में जिन बाड़ों की हालात खराब रहती थी, उनमें ईंट लगाकर दुरुस्त किया गया है. वहीं चारे की भी पर्याप्त व्यवस्था है. यही वजह है कि अब बाड़े में मृत्यु दर का आंकड़ा बहुत कम हो गया है. वहीं उन्होंने ये भी साफ किया कि अब निगम से भी समय समय पर भुगतान मिल जाता है.

हालांकि यहां गोवंश की संख्या बीते 5 महीनों में कई गुना बढ़ी है. ऐसे में उनके लिए पर्याप्त शेड की व्यवस्था देखने को नहीं मिली. जिसके चलते सैकड़ों गाय अभी भी खुले बाड़ों में विचरण कर रही है. देखना होगा कि अब निगम प्रशासन और अक्षय पात्र ट्रस्ट इस क्रम में किस तरह के कदम उठाता है.

जयपुर. जिले की सबसे बड़ी हिंगोनिया गौशाला की व्यवस्थाएं पहले से बेहतर हुई है. यहां बाड़ों में ईटों का प्लेटफार्म लगाया गया है, तो वहीं चारे की भी उचित व्यवस्था की जा रही है. हालांकि यहां आईसीयू में अभी भी हर दिन करीब 50 गाय दम तोड़ रही हैं, और सैकड़ों गाय खुले बाड़ों में विचरण कर रही हैं. जिन्होंने कुछ सवाल जरूर खड़े किए हैं.

हिंगोनिया गौशाला में सुधरे हालात

बीते वित्तीय वर्ष में चारे की कमी से हुई गायों की मौत और निगम प्रशासन की ओर से भुगतान नहीं किए जाने के मामले को लेकर जयपुर की सबसे बड़ी हिंगोनिया गौशाला सुर्खियों में आई. लेकिन अब यहां हालात पहले से काफी सुधर गए हैं. ईटीवी भारत हिंगोनिया गौशाला में व्यवस्थाओं की पड़ताल करने पहुंचा. यहां मानसून के दौरान अमूमन बाड़ों में कीचड़ होने की स्थिति बन जाती है. जिसमें फंसकर और फिसल कर गोवंश घायल भी हो जाते हैं, तो कुछ की मौत भी हो जाती है. लेकिन इस बार जिन बाड़ों को काल का मुख्य द्वार कहा जाता था, वहां ईटों से बना प्लेटफार्म मिला. वहीं गायों की स्थिति भी पहले से काफी बेहतर नजर आई.

पढ़ें: जेटली के निधन पर छलका वसुंधरा का दर्द, कहा- वे मेरे राजनीतिक गुरु थे, हमेशा कमी खलेगी

यहां चारे की गोदाम भी भरे मिले. हालांकि गायों की मौत का आंकड़ा अभी भी 50 के करीब है. जिसकी मुख्य वजह जानने के लिए ईटीवी भारत ने यहां काम देख रही अक्षय पात्र ट्रस्ट से बात की. उन्होंने बताया यहां बूढ़ी, दुर्घटनाग्रस्त और प्लास्टिक खाई हुई गाय ज्यादा पहुंचती हैं. जो आईसीयू में इलाज के दौरान दम तोड़ देती हैं. उन्होंने बताया कि मानसून में जिन बाड़ों की हालात खराब रहती थी, उनमें ईंट लगाकर दुरुस्त किया गया है. वहीं चारे की भी पर्याप्त व्यवस्था है. यही वजह है कि अब बाड़े में मृत्यु दर का आंकड़ा बहुत कम हो गया है. वहीं उन्होंने ये भी साफ किया कि अब निगम से भी समय समय पर भुगतान मिल जाता है.

हालांकि यहां गोवंश की संख्या बीते 5 महीनों में कई गुना बढ़ी है. ऐसे में उनके लिए पर्याप्त शेड की व्यवस्था देखने को नहीं मिली. जिसके चलते सैकड़ों गाय अभी भी खुले बाड़ों में विचरण कर रही है. देखना होगा कि अब निगम प्रशासन और अक्षय पात्र ट्रस्ट इस क्रम में किस तरह के कदम उठाता है.

Intro:जयपुर की सबसे बड़ी हिंगोनिया गौशाला की व्यवस्थाएं पहले से बेहतर हुई है। यहां बाड़ों में ईटों का प्लेटफार्म लगाया गया है, तो वहीं चारे की भी उचित व्यवस्था की जा रही है। हालांकि यहां आईसीयू में अभी भी हर दिन करीब 50 गाय दम तोड़ रही हैं, और सैकड़ों गाय खुले बाड़ों में विचरण कर रही हैं। जिन्होंने कुछ सवाल जरूर खड़े किए हैं।


Body:बीते वित्तीय वर्ष में चारे की कमी से हुई गायों की मौत, और निगम प्रशासन की ओर से भुगतान नहीं किए जाने के मामले को लेकर जयपुर की सबसे बड़ी हिंगोनिया गौशाला सुर्खियों में आई। लेकिन अब यहां हालात पहले से काफी सुधर गए हैं। ईटीवी भारत हिंगोनिया गौशाला में व्यवस्थाओं की पड़ताल करने पहुंचा। यहां मानसून के दौरान अमूमन बाड़ों में कीचड़ होने की स्थिति बन जाती है। जिसमें फंसकर और फिसल कर गोवंश घायल भी हो जाते हैं, तो कुछ की मौत भी हो जाती है। लेकिन इस बार जिन बाड़ों को काल का मुख्य द्वार कहा जाता था, वहां ईटों से बना प्लेटफार्म मिला। वहीं गायों की स्थिति भी पहले से काफी बेहतर नजर आई। यहां चारे की गोदाम भी भरे मिले। हालांकि गायों की मौत का आंकड़ा अभी भी 50 के करीब है। जिसकी मुख्य वजह जानने के लिए ईटीवी भारत ने यहां काम देख रही अक्षय पात्र ट्रस्ट से बात की। उन्होंने बताया यहां बूढ़ी, दुर्घटनाग्रस्त और प्लास्टिक खाई हुई गाय ज्यादा पहुंचती हैं। जो आईसीयू में इलाज के दौरान दम तोड़ देती हैं। उन्होंने बताया कि मानसून में जिन बाड़ों की हालात खराब रहती थी, उनमें ईंट लगाकर दुरुस्त किया गया है। वहीं चारे की भी पर्याप्त व्यवस्था है। यही वजह है कि अब बाड़े में मृत्यु दर का आंकड़ा बहुत कम हो गया है। वहीं उन्होंने ये भी साफ किया कि अब निगम से भी समय समय पर भुगतान मिल जाता है।


Conclusion:हालांकि यहां गोवंश की संख्या बीते 5 महीनों में कई गुना बढ़ी है। ऐसे में उनके लिए पर्याप्त शेड की व्यवस्था देखने को नहीं मिली। जिसके चलते सैकड़ों गाय अभी भी खुले बाड़ों में विचरण कर रही है। देखना होगा कि अब निगम प्रशासन और अक्षय पात्र ट्रस्ट इस क्रम में किस तरह के कदम उठाता है।
Last Updated : Aug 26, 2019, 1:29 AM IST
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