जयपुर. ग्रेटर नगर निगम में जिस 276 करोड़ बकाया भुगतान को लेकर बवाल मचा हुआ है, असल में BVG कंपनी पर लगाई गई पेनल्टी का पैसा भी इसी में शामिल है. अब जब ग्रेटर नगर निगम की ओर से कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाने का मन बना लिया गया है, तब कंपनी ने पेनल्टी सहित बिलों को पास कराने के लिए पेश कर दिया.
दरअसल, साल 2017 में तत्कालीन महापौर अशोक लाहोटी ने राजधानी में BVG कंपनी के जरिए डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने की योजना की शुरुआत की थी. तभी से इस व्यवस्था का विवादों के साथ चोली दामन का साथ रहा, जो अब तक जारी है. बीते कुछ महीनों से तो विवाद और गर्मा सा गया है. राजधानी में करीब 527 डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियां संचालित हैं. इनमें से BVG की गाड़ियां महज 106 हैं, जबकि 421 गाड़ियां उन वेंडर्स की हैं जिन्हें BVG ने सबलेट किया है, जोकि नियम विरुद्ध है.
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वहीं, 100 फीसदी डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन, हूपर्स में ट्रैकिंग सिस्टम, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाकर मैकेनाइज सिस्टम से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने और शहर में ओपन कचरा डिपो हटाने जैसी शर्तों के साथ, BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन की ओर से काम सौंपा गया था, लेकिन इन शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए.
वहीं, पूर्व में पेश बिलों की जांच के लिए निगम की ओर से गठित इंडिपेंडेंट इंजिनियर्स की रिपोर्ट में पेनल्टी लगाई गई थी, लेकिन उनका टेंडर खत्म होने के साथ ही कंपनी ने दोबारा दबाव बनाना शुरू कर दिया. जबकि बदहाल सफाई व्यवस्था के कारण बीवीजी को 482 नोटिस भी थमाए गए.
बता दें, BVG कंपनी देश के 70 से ज्यादा शहरों में काम कर रही है और जिसका सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ से ज्यादा का है. कंपनी का दावा है कि निगम पर 302 करोड़ का बकाया है, लेकिन लूप पोल ये है कि 2 वर्षों से कंपनी के काम की थर्ड पार्टी से निगरानी ही नहीं हुई. ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब बिलों का वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ है, तो उसका भुगतान कैसे हो रहा है.