जयपुर. प्रदेश में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए 19 अप्रैल को जेल प्रशासन द्वारा कैदियों की उनके परिजनों से होने वाली फेस टू फेस मुलाकात को लेकर बड़ा निर्णय लिया जा सकता है. सूत्रों की माने तो जेल प्रशासन द्वारा 19 अप्रैल को एक रिव्यू बैठक की जानी है, जिसमें आगामी एक माह के लिए कैदियों के उनके परिजनों से फेस टू फेस मुलाकात को बंद रखने का फैसला लिया जाएगा. 5 अप्रैल को फलोदी जेल से 16 बंदियों के फरार होने के बाद जेल प्रशासन द्वारा 19 अप्रैल तक बंदियों और परिजनों की मुलाकात पर रोक लगा दी गई थी. वहीं अब इस रोक को कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए 1 माह तक बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है.
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कोरोना की पहली लहर में भी प्रदेश की 140 से भी अधिक जेलों में बंद करीब 600 से ज्यादा बंदी, जेल कर्मचारी और अधिकारी कोरोना संक्रमित हुए थे. ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए जेल प्रशासन किसी भी तरह का रिस्क नहीं उठाना चाहता है और बंदियों की उनके परिजनों से फेस टू फेस मुलाकात बंद कर बाहर से जेल के अंदर आने वाले संक्रमण को रोकने के लिए कठोर कदम उठा सकता है. हालांकि जेल में बंद बंदी ई-मुलाकात के जरिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से और टेलिफोनिक मुलाकात के जरिए अपने परिजनों से रूबरू हो सकेंगे.
लॉरेंस बिश्नोई को प्रोडक्शन वारंट पर सौंपने से जेल प्रशासन का इनकार
अजमेर हाई सिक्योरिटी जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार कर दिल्ली ले जाने के लिए दिल्ली पुलिस अजमेर पहुंची लेकिन दिल्ली पुलिस के हाथ निराशा लगी. दरअसल लॉरेंस बिश्नोई दिल्ली में फायरिंग और मर्डर के मामलों में वांछित चल रहा है, जिसे लेकर दिल्ली पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर लॉरेंस बिश्नोई को गिरफ्तार कर अपने साथ ले जाने के लिए अजमेर हाई सिक्योरिटी जेल पहुंची. हालांकि लॉरेंस बिश्नोई के खिलाफ राजस्थान में अनेक संगीन प्रकरण दर्ज हैं और अनेक प्रकरण न्यायालयों में विचाराधीन है. ऐसे में प्रकरणों में इन्वेस्टिगेशन पूरी नहीं होने और कोर्ट के आर्डर का हवाला देकर जेल प्रशासन ने लॉरेंस बिश्नोई को दिल्ली पुलिस को सौंपने से इंकार कर दिया, जिस पर दिल्ली पुलिस बैरंग वापस लौट गई.