जयपुर. प्रदेश के 20 जिलों के 90 निकायों में निकाय प्रमुखों के चुनाव रविवार को होंगे. रविवार शाम को इसके परिणाम भी आ जाएंगे. ये परिणाम बीजेपी और कांग्रेस के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा और साख से जुड़े हैं. खास तौर पर पिछले चुनाव में बीजेपी के पास 90 में से 60 निकाय थे. अब यदि निकाय प्रमुखों की संख्या इससे कम होती है तो जहां बोर्ड नहीं बना वहां से जुड़े भाजपा के प्रमुख नेताओं का सियासी कद कम होना तय है.
पार्षदों के चुनाव में बहुत कुछ कर दिया है साफ
हाल ही में हुए इन निकायों में वार्डों के चुनाव परिणाम ने बहुत कुछ साफ कर दिया. किस निकाय में किसका बोर्ड और निकाय प्रमुख बनेगा. लेकिन 90 में से 24 निकायों में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिला था और कांग्रेस को इससे भी कम निकायों में बहुमत मिला. मतलब बचे हुए अधिकतर निकायों में निर्दलीय ही निकाय प्रमुख किसे बनाना है यह भूमिका निभाएंगे. मतलब साफ है कि 7 फरवरी की शाम को यह जगजाहिर हो जाएगा कि किस निकाय में किसका बोर्ड और निकाय प्रमुख है.
अधिकतर निकायों में है भाजपा का कब्जा
ऐसे भी वर्तमान में जिन 90 निकायों में बोर्ड और निकाय प्रमुख की बात हो रही है, पिछले चुनाव की यदि बात की जाए तो इनमें से 1 नगर निगम सहित 60 निकायों में भाजपा का कब्जा था. जबकि 25 निकायों में कांग्रेस और 5 निकायों में निर्दलीय का कब्जा था. जिन नगर निकायो में भाजपा का कब्जा रहा था वो इस प्रकार हैं.
नगर निगम : अजमेर नगर निगम के चुनाव में भाजपा का कब्जा था.
नगर परिषद : भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, राजसमंद, डूंगरपुर, बूंदी और किशनगढ़ नगर परिषद में भाजपा ने पिछले चुनाव में कब्जा किया था.
नगर पालिका : देशनोक, श्रीडूंगरगढ़, संगरिया, रतनगढ़, सरदार शहर, बिदासर, तारानगर, छापर, राजलदेसर, खेतड़ी, बगड़, उदयपुरवाटी, मंडावा, सूरजगढ़, चिड़ावा,फतेहपुर शेखावटी, श्रीमाधोपुर, केकड़ी, सरवाड़, डेगाना, लाडनूं, कुचामन सिटी, नावा, मुंडवा, देवली, मालपुरा, निवाई, टोडारायसिंह, मांडलगढ़, आसींद, गुलाबपुरा, सांचौर, बाली, फालना, स्टेशन, रानी खुर्द, तखतगढ़, सोजत, फतेहनगर, सलूंबर, छोटी सादड़ी, बड़ी सादड़ी, कपासन, बेंगू, कुशलगढ़, सागवाड़ा,पिड़ावा, भवानी मंडी, अकलेरा, केशवरायपाटन, लाखेरी, इंदरगढ़, कापरेन, नैनवां नगर पालिकाओं में भाजपा का कब्जा था.
मौजूदा 90 नगर निकायों में होने वाले निकाय प्रमुख के चुनाव 20 लोकसभा सीट और 70 विधानसभा सीटों को प्रभावित करेगा. इनमें यदि विधानसभा सीटों की बात की जाए तो 70 में से 27 पर भाजपा का कब्जा है. वहीं 20 लोकसभा सीटों में से 19 पर बीजेपी के सांसद भी हैं. मतलब साफ है की भाजपा के इन विधायक और सांसदों की तो प्रतिष्ठा सीधे तौर पर इन चुनाव पर दांव पर है.
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भाजपा के इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
यूं तो किस निकाय में किसका बोर्ड बनेगा इस पर से अधिकतर बादल 31 जनवरी को ही वार्डों के चुनाव परिणाम के बाद साफ हो गए थे. लेकिन छोटे चुनाव में निकाय प्रमुख के लिए पार्षदों की जिस तरह बाड़ेबंदी हुई है. उससे निकाय प्रमुख के कई निकायों में परिणाम बदलने की संभावना भी है. क्योंकि कई पार्षद अपने हित के लिए दल बदलने में देरी नहीं लगाते और निर्दलीय चुनाव लड़का जीतने वाले पार्षद तो फ्री हैं.
कई निकायों में उनके समर्थन से ही निकाय प्रमुख बनाए जाने हैं. यही कारण है कि इन क्षेत्रों में आने वाले बीजेपी के कई बड़े चेहरे जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के साथ ही केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, कैलाश चौधरी के साथ ही कई सांसद और विधायक की प्रतिष्ठा भी दांव पर है.
ऐसे में रविवार शाम 90 निकायों के प्रमुख के चुनाव का आने वाला परिणाम बहुत कुछ साफ कर देगा. यह तय हो जाएगा कि भाजपा के किस नेता का सियासी कद बढ़ा और किसका कम हुआ.