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सदन में उठा जंगली जानवरों से फसलों के बर्बाद होने का मुद्दा, वन मंत्री ने दिया ये जावब

राजस्थान विधानसभा में आज रोजड़ों, नीलगाय और जंगली जानवरों से किसानों की फसलों को बचाने के सवाल पर मंत्री सुखराम विश्नोई घिरते हुए नजर आए. उदयपुर ग्रामीण में जंगली जानवरों की ओर से फसलों के नुकसान पहुंचाए जाने के सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि इस संबंध में कोई भी शिकायत उन्हें नहीं मिली है. किसानों की फसलों को रोजड़े और जंगली जानवरों से बचाने के लिए तारबंदी जैसे प्रावधान किए गए हैं.

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Published : Mar 5, 2021, 3:54 PM IST

राजस्थान विधानसभा कार्यवाही, Rajasthan Politics
सदन में वन मंत्री ने सवालों का दिया जवाब

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में आज रोजड़ों, नीलगाय और जंगली जानवरों से किसानों की फसलों को बचाने के सवाल पर मंत्री सुखराम विश्नोई घिरते हुए नजर आए. उदयपुर ग्रामीण में जंगली जानवरों की ओर से फसलों के नुकसान पहुंचाए जाने के सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि इस संबंध में कोई भी शिकायत उन्हें नहीं मिली है. किसानों की फसलों को रोजड़े और जंगली जानवरों से बचाने के लिए प्रावधान किए गए हैं.

सदन में वन मंत्री ने सवालों का दिया जवाब

कृषि विभाग से मिली सूचना के अनुसार रोजड़ा, नीलगाय और आवारा पशुओं से बचाने के लिए के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत सामुदायिक आधार पर कांटेदार तारबंदी कार्यक्रम किया जा रहा है, इसमें कृषकों को लागत का 50 फीसदी या अधिकतम 40000 तक अनुदान देय होता है. इस पर विधायक ने पूछा की मंत्री कह रहे हैं, हमारे पास शिकायत नहीं है. शिकायत वन विभाग वाले लेते नहीं हैं, गांव वाले और जनप्रतिनिधियों ने कलेक्टर को शिकायत दे दी, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके अलावा तारबंदी का कार्यक्रम लिया जा रहा है, यह कब लिया जा रहा है और 50 फीसदी या 40000 से कम राशि होगी, उसको देंगे पहले तो यह बताएं कि यह राशि कौन देगा किस विभाग से मिलेगी.

यह भी पढ़ेंः सदन में उठा सवाई चक भूमि पर पट्टे काटने का मामला, राजस्व मंत्री ने दिया यह जवाब

इस पर मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग की ओर से प्रदेश में 33 जिलों में 6 करोड़ 48 लाख का प्रावधान कर 6 लाख 48000 मीटर के तार का प्रावधान किया गया है, इसके तहत 372000 मीटर में तारबंदी कर दी गई है. इसपर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि काश्तकार किस विभाग को अप्लाई करें, ये सवाल है. इस पर मंत्री ने कहा कि वह कृषि विभाग को अप्लाई करें. इस पर नेता प्रतिपक्ष कटारिया खड़े हो गए जिन्होंने कहा कि यह सुविधा आपने तय की है कि वह तारबंदी करना चाहे तो 50 फीसदी या 40 हज़ार दिए जाएं, जब आपने जिले में कैंप लगा दिया कि इस जिले में इतना ही पैसे की तारबंदी कर सकते हैं, तो क्या सभी किसानों को मिलेगा.

जवाब में मंत्री ने कहा कि जो टारगेट और लक्ष्य दिया गया है, उसके हिसाब से पालना होगी. इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि टारगेट के हिसाब से रोजड़े आएंगे क्या? किसान के लिए तो रोजड़े किसी भी तरफ में आ सकते हैं. आपका टारगेट है कि यहां फेंसिंग करेंगे तो फिर उस फेंसिंग के अलावा किसान क्या करेगा? इस पर मंत्री ने कहा कि डिमांड आएगी तो देंगे. राज्य और भारत सरकार ने इसमें 40-60 का रेस्यो है ये जवाब देते समय फिर स्पीकर सीपी जोशी ने उन्हें टोका तो मंत्री सकपका गए.

यह भी पढ़ेंः इशारों ही इशारों में गहलोत की पायलट को नसीहत, CM बनना है तो करनी होगी वैल्यू आधारित राजनीति

इस पर विधायक फूल सिंह मीणा ने कहा कि सरकार गोलमाल जवाब दे रही है, इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि क्या उनके विधानसभा क्षेत्र के लोगों की पेंडेंसी है. उन्होंने जो ज्ञापन दिया कि रोजड़े आने की उसपर क्या कार्यवाही होगी और टारगेट फिक्स करके तारबंदी करने का मतलब है. तारबंदी करके आदमी आपके पास आएगा और पैसे ले जाएगा, इससे रोजड़े नहीं रुकेंगे. काश्तकार की जरूरत के आधार पर आप करोगे या इसे टारगेट के आधार पर करोगे, इसलिए इसे रिवाइज करें कि टारगेट बनाने से तो रोजड़े नहीं मिल पाएंगे. इस प्रैक्टिकल समस्या को समझने के लिए आप विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग करें और कहें कि तारबंदी करने से अच्छी बात है, लेकिन उससे पूरा समाधान नहीं है. जब तक सभी काश्तकारों को इसमें राहत नहीं होगी. ऐसे में इस मामले में विभाग के अधिकारियों से चर्चा करें और उनसे निर्णय लें.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में आज रोजड़ों, नीलगाय और जंगली जानवरों से किसानों की फसलों को बचाने के सवाल पर मंत्री सुखराम विश्नोई घिरते हुए नजर आए. उदयपुर ग्रामीण में जंगली जानवरों की ओर से फसलों के नुकसान पहुंचाए जाने के सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि इस संबंध में कोई भी शिकायत उन्हें नहीं मिली है. किसानों की फसलों को रोजड़े और जंगली जानवरों से बचाने के लिए प्रावधान किए गए हैं.

सदन में वन मंत्री ने सवालों का दिया जवाब

कृषि विभाग से मिली सूचना के अनुसार रोजड़ा, नीलगाय और आवारा पशुओं से बचाने के लिए के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत सामुदायिक आधार पर कांटेदार तारबंदी कार्यक्रम किया जा रहा है, इसमें कृषकों को लागत का 50 फीसदी या अधिकतम 40000 तक अनुदान देय होता है. इस पर विधायक ने पूछा की मंत्री कह रहे हैं, हमारे पास शिकायत नहीं है. शिकायत वन विभाग वाले लेते नहीं हैं, गांव वाले और जनप्रतिनिधियों ने कलेक्टर को शिकायत दे दी, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके अलावा तारबंदी का कार्यक्रम लिया जा रहा है, यह कब लिया जा रहा है और 50 फीसदी या 40000 से कम राशि होगी, उसको देंगे पहले तो यह बताएं कि यह राशि कौन देगा किस विभाग से मिलेगी.

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इस पर मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग की ओर से प्रदेश में 33 जिलों में 6 करोड़ 48 लाख का प्रावधान कर 6 लाख 48000 मीटर के तार का प्रावधान किया गया है, इसके तहत 372000 मीटर में तारबंदी कर दी गई है. इसपर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि काश्तकार किस विभाग को अप्लाई करें, ये सवाल है. इस पर मंत्री ने कहा कि वह कृषि विभाग को अप्लाई करें. इस पर नेता प्रतिपक्ष कटारिया खड़े हो गए जिन्होंने कहा कि यह सुविधा आपने तय की है कि वह तारबंदी करना चाहे तो 50 फीसदी या 40 हज़ार दिए जाएं, जब आपने जिले में कैंप लगा दिया कि इस जिले में इतना ही पैसे की तारबंदी कर सकते हैं, तो क्या सभी किसानों को मिलेगा.

जवाब में मंत्री ने कहा कि जो टारगेट और लक्ष्य दिया गया है, उसके हिसाब से पालना होगी. इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि टारगेट के हिसाब से रोजड़े आएंगे क्या? किसान के लिए तो रोजड़े किसी भी तरफ में आ सकते हैं. आपका टारगेट है कि यहां फेंसिंग करेंगे तो फिर उस फेंसिंग के अलावा किसान क्या करेगा? इस पर मंत्री ने कहा कि डिमांड आएगी तो देंगे. राज्य और भारत सरकार ने इसमें 40-60 का रेस्यो है ये जवाब देते समय फिर स्पीकर सीपी जोशी ने उन्हें टोका तो मंत्री सकपका गए.

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इस पर विधायक फूल सिंह मीणा ने कहा कि सरकार गोलमाल जवाब दे रही है, इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि क्या उनके विधानसभा क्षेत्र के लोगों की पेंडेंसी है. उन्होंने जो ज्ञापन दिया कि रोजड़े आने की उसपर क्या कार्यवाही होगी और टारगेट फिक्स करके तारबंदी करने का मतलब है. तारबंदी करके आदमी आपके पास आएगा और पैसे ले जाएगा, इससे रोजड़े नहीं रुकेंगे. काश्तकार की जरूरत के आधार पर आप करोगे या इसे टारगेट के आधार पर करोगे, इसलिए इसे रिवाइज करें कि टारगेट बनाने से तो रोजड़े नहीं मिल पाएंगे. इस प्रैक्टिकल समस्या को समझने के लिए आप विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग करें और कहें कि तारबंदी करने से अच्छी बात है, लेकिन उससे पूरा समाधान नहीं है. जब तक सभी काश्तकारों को इसमें राहत नहीं होगी. ऐसे में इस मामले में विभाग के अधिकारियों से चर्चा करें और उनसे निर्णय लें.

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