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सदन में उठा सवाई चक भूमि पर पट्टे काटने का मामला, राजस्व मंत्री ने दिया यह जवाब - Jaipur News

राजस्थान विधानसभा में भाजपा विधायक ज्ञानचंद पारख ने एक बार फिर रोहट तहसील के कुछ गांव की गैर आबादी भूमि को आबादी भूमि में परिवर्तित कर लंबित प्रकरणों के निस्तारण का मामला उठाया. साथ ही इन भूमि पर बसे अनुसूचित जाति, जनजाति और भील समाज के लोगों को पट्टा जारी करने का आग्रह भी किया.

राजस्थान विधानसभा, Rajasthan Politics
सदन में हुए सवाल जवाब
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Published : Mar 5, 2021, 3:28 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में भाजपा विधायक ज्ञानचंद पारख ने एक बार फिर रोहट तहसील के कुछ गांव की गैर आबादी भूमि को आबादी भूमि में परिवर्तित कर लंबित प्रकरणों के निस्तारण का मामला उठाया. साथ ही इन भूमि पर बसे अनुसूचित जाति, जनजाति और भील समाज के लोगों को पट्टा जारी करने का आग्रह भी किया. जवाब में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने इस मामले में नियमों में शिथिलता देने की बात कही, लेकिन इसका लाभ भू माफिया को ना मिले इसे भी बड़ी चुनौती बताया.

सदन में बोले विधायक ज्ञानचंद पारख

शून्य काल में लगे इस ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में राजस्व मंत्री ने कहा कि 13 गांवों की भूमि प्रतिबंधित है, जबकि यहां बसे 9 गांव डीएमआईसी में आ गए हैं. ऐसे में उनकी जमीन कन्वर्ट नहीं की जा सकती है. हालांकि, 33 गांवों की आबादी को परिवर्तित किया जा सकता है, लेकिन ये कब तक होगा इसका जवाब उन्होंने नहीं दिया. इस पर विधायक ज्ञानचंद पारख ने कहा कि गैर आबादी भूमि पर जो बसता है वो बहुत गरीब लोग होते हैं और इनमें अधिकतर अनुसूचित जाति, जनजाति और भील समाज के लोग होते हैं. ऐसे में सरकार गोचर पर बसे इन परिवारों को नियमों में शिथिलता देकर पट्टे मुहैया कराए.

मंत्री हरीश चौधरी ने सदन में सवालों का दिया जवाब

यह भी पढ़ेंः इशारों ही इशारों में गहलोत की पायलट को नसीहत, CM बनना है तो करनी होगी वैल्यू आधारित राजनीति

पारख ने यह भी कहा कि सरकार शहरी क्षेत्र में सिवाय चक जमीन पर बसे परिवारों को भी जमीन में परिवर्तन कर पट्टे देती है, जबकि वहां तो भूमि में ही होती है, लेकिन गांव की जमीन तो सस्ती होती है और यहां पर जो लोग बसते हैं वह गरीब किस्म के लोग होते हैं जिसके बदौलत आज कांग्रेस सत्ता में है. जवाब में राजस्व मंत्री ने कहा कि 2 साल पहले भी यह मामला सदन में आया था और हमने गोचर के मामले में नियमों में शिथिलता भी दी थी. राजस्व मंत्री ने कहा कि बिना आबादी में कन्वर्ट किए गए पट्टे जारी करना भी नियमों के विरुद्ध है और जिन ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों ने ऐसा किया है उसका अब तक सर्वे नहीं कराया, लेकिन इसका अलग से सर्वे कराया जाएगा.

राजस्व मंत्री ने इस काम में देरी के लिए कोरोना काल का भी हवाला दिया और सदन को आश्वस्त किया कि इस मामले को जल्द ही पूरा करवाया जाएगा. हालांकि, इस दौरान मंत्री ने यह भी कहा कि नियमों में शिथिलता देकर वास्तविक में जो गरीब हैं, उन्हें पट्टे दिलाए जाने का प्रयास सरकार कर रही है, लेकिन इसका फायदा भू माफिया भी उठा लेंगे जो एक बड़ी चुनौती है. मंत्री ने यह कहने से भी नहीं चूके कि यह सबको मालूम है कि जो सबसे गरीब होता है उसके बजाय प्रभावशाली लोगों को पट्टे पहले मिल जाते हैं, जबकि सरकार चाहती है कि गरीबों को ही पहले फायदा मिले.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान विधानसभा बजट सत्र: अशोक गहलोत ने चिकित्सा, शिक्षा, खेल, कृषि और दूसरे क्षेत्रों के लिए की अहम घोषणाएं

स्पीकर सीपी जोशी ने दिया सुझाव

डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि जो लोग गांव में रह रहे हैं, वह मनरेगा की मजदूरी करते हैं, उनका टाइटल तो क्लियर है कि वो गरीब हैं, ऐसे लोगों को भी हम कैंप लगाकर प्रदेश भर में पट्टे दे सकते हैं. जोशी ने कहा कि जिन ग्रामीणों ने पिछले 3 साल में 50 दिन मनरेगा में काम किया हो उन्हें हम कैंप के जरिए नियमों में शिथिलता देकर फायदा दे सकते हैं, क्योंकि वह तो रिकॉर्ड में ही गरीब होते हैं. इस पर राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि स्पीकर साहब के दिए गए सुझाव पर अमल करते हुए नियमों को बनाते समय इसे शामिल किया जाएगा.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में भाजपा विधायक ज्ञानचंद पारख ने एक बार फिर रोहट तहसील के कुछ गांव की गैर आबादी भूमि को आबादी भूमि में परिवर्तित कर लंबित प्रकरणों के निस्तारण का मामला उठाया. साथ ही इन भूमि पर बसे अनुसूचित जाति, जनजाति और भील समाज के लोगों को पट्टा जारी करने का आग्रह भी किया. जवाब में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने इस मामले में नियमों में शिथिलता देने की बात कही, लेकिन इसका लाभ भू माफिया को ना मिले इसे भी बड़ी चुनौती बताया.

सदन में बोले विधायक ज्ञानचंद पारख

शून्य काल में लगे इस ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में राजस्व मंत्री ने कहा कि 13 गांवों की भूमि प्रतिबंधित है, जबकि यहां बसे 9 गांव डीएमआईसी में आ गए हैं. ऐसे में उनकी जमीन कन्वर्ट नहीं की जा सकती है. हालांकि, 33 गांवों की आबादी को परिवर्तित किया जा सकता है, लेकिन ये कब तक होगा इसका जवाब उन्होंने नहीं दिया. इस पर विधायक ज्ञानचंद पारख ने कहा कि गैर आबादी भूमि पर जो बसता है वो बहुत गरीब लोग होते हैं और इनमें अधिकतर अनुसूचित जाति, जनजाति और भील समाज के लोग होते हैं. ऐसे में सरकार गोचर पर बसे इन परिवारों को नियमों में शिथिलता देकर पट्टे मुहैया कराए.

मंत्री हरीश चौधरी ने सदन में सवालों का दिया जवाब

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पारख ने यह भी कहा कि सरकार शहरी क्षेत्र में सिवाय चक जमीन पर बसे परिवारों को भी जमीन में परिवर्तन कर पट्टे देती है, जबकि वहां तो भूमि में ही होती है, लेकिन गांव की जमीन तो सस्ती होती है और यहां पर जो लोग बसते हैं वह गरीब किस्म के लोग होते हैं जिसके बदौलत आज कांग्रेस सत्ता में है. जवाब में राजस्व मंत्री ने कहा कि 2 साल पहले भी यह मामला सदन में आया था और हमने गोचर के मामले में नियमों में शिथिलता भी दी थी. राजस्व मंत्री ने कहा कि बिना आबादी में कन्वर्ट किए गए पट्टे जारी करना भी नियमों के विरुद्ध है और जिन ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों ने ऐसा किया है उसका अब तक सर्वे नहीं कराया, लेकिन इसका अलग से सर्वे कराया जाएगा.

राजस्व मंत्री ने इस काम में देरी के लिए कोरोना काल का भी हवाला दिया और सदन को आश्वस्त किया कि इस मामले को जल्द ही पूरा करवाया जाएगा. हालांकि, इस दौरान मंत्री ने यह भी कहा कि नियमों में शिथिलता देकर वास्तविक में जो गरीब हैं, उन्हें पट्टे दिलाए जाने का प्रयास सरकार कर रही है, लेकिन इसका फायदा भू माफिया भी उठा लेंगे जो एक बड़ी चुनौती है. मंत्री ने यह कहने से भी नहीं चूके कि यह सबको मालूम है कि जो सबसे गरीब होता है उसके बजाय प्रभावशाली लोगों को पट्टे पहले मिल जाते हैं, जबकि सरकार चाहती है कि गरीबों को ही पहले फायदा मिले.

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स्पीकर सीपी जोशी ने दिया सुझाव

डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि जो लोग गांव में रह रहे हैं, वह मनरेगा की मजदूरी करते हैं, उनका टाइटल तो क्लियर है कि वो गरीब हैं, ऐसे लोगों को भी हम कैंप लगाकर प्रदेश भर में पट्टे दे सकते हैं. जोशी ने कहा कि जिन ग्रामीणों ने पिछले 3 साल में 50 दिन मनरेगा में काम किया हो उन्हें हम कैंप के जरिए नियमों में शिथिलता देकर फायदा दे सकते हैं, क्योंकि वह तो रिकॉर्ड में ही गरीब होते हैं. इस पर राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि स्पीकर साहब के दिए गए सुझाव पर अमल करते हुए नियमों को बनाते समय इसे शामिल किया जाएगा.

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