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SPECIAL : विश्व विरासत जयपुर के कुछ ऐसे हिस्से...जो यादों के झरोखों में सिमट कर रह गये - History of Jaipur

जयपुर शहर अपनी विरासतों के लिए विश्व विख्यात है. इस विरासत के कुछ पन्ने अब यादों के झरोखों में सिमट कर रह गए हैं. यूं तो राजधानी का परकोटा, आमेर किला और जंतर-मंतर विश्व विरासत सूची में शामिल हैं. लेकिन शहर में कई इमारतें और संपत्तियां ऐसी भी हैं जिन्हें राज्य सरकार बिसरा चुकी है.

The historical heritage of Jaipur is being ignored
विश्व विरासत जयपुर की धरोहर
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Published : Jun 1, 2021, 6:10 PM IST

जयपुर. सवाई जयसिंह द्वितीय ने जब 1727 में जयपुर शहर की नींव रखी थी, तब मुख्य उद्देश्य यही था कि यह शहर विश्व स्तर पर बसावट का एक मानक बने. इसी कारण यहां 9 चौकड़ी, 8 दरवाजे और 3 चौपड़ों की स्थापना की गई. आज भी जयपुर के कई स्मारक विश्व धरोहर का हिस्सा हैं. हालांकि कुछ स्थल ऐसे भी हैं, जहां पर्यटक तो पहुंचते हैं लेकिन राज्य सरकार उनको बिसरा चुकी है. जयपुर की अद्वितीय विरासतों की देख-रेख के बारे में ईटीवी भारत से खास बातचीत की इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने.

विश्व विरासत जयपुर को संभालने की जरूरत (भाग 1)

जयपुर का परकोटा

इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत के अनुसार जयपुर के चारों तरफ जो विशाल दीवार (परकोटा) बनी है, उसे विश्व विरासत में शामिल किया गया है. परकोटे का पिछला हिस्सा जो नाहरगढ़ की तलहटी में है, उसके बारे में राज्य सरकार सुध नहीं ले रही है. कहीं कहीं से यह परकोटा बिल्कुल छिन्न-भिन्न हो चुका है. इसी परकोटे पर अनेक स्थान पर अतिक्रमण कर लिया गया है.

The historical heritage of Jaipur is being ignored
अश्वमेघ यज्ञ के पांच मंदिरों में से एक- गढ़ गणेश

अश्वमेघ के पांचों मंदिर

सवाई जयसिंह के जीवन से जुड़ी प्रमुख घटनाओं में से एक है अश्वमेध यज्ञ. आधुनिक भारत में पहली बार यह यज्ञ करवाया गया था. अश्वमेध यज्ञ में पंच देव की उपासना की गई थी. इसी उपलक्ष्य में भगवान गणेश का गढ़ गणेश, दुर्गा माता का मंदिर सिटी पैलेस, सूर्य भगवान का मंदिर गलता जी, विष्णु जी का स्वरूप वर्धराज जी मंदिर और भगवान शिव का जागेश्वर महादेव मंदिर बनवाया गया. इनमें वर्धराज जी यज्ञ भूमि पर ही है. जिसे लोग जानते तक नहीं. यज्ञ भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है. यहां तक कि यहां मौजूद यज्ञ स्तूप तक को नहीं छोड़ा गया.

पढ़ें- Special: कोरोना की दूसरी लहर ने बिगाड़ा टूर एंड ट्रेवल्स उद्योग का गणित

गलताजी से भगवान सूर्य का मूल विग्रह चोरी हो चुका है. यह स्थान अपना प्राचीन स्वरूप भी खोता जा रहा है. सिटी पैलेस में दुर्गा माता मंदिर का कहीं जिक्र नहीं है. गढ़ गणेश मंदिर पर विनायक स्वरूप वाले गणेश जी की स्थापना की गई थी. ताकि भगवान गणेश की दृष्टि सदैव जयपुर पर पड़े. जागेश्वर महादेव मंदिर भी शहर की घिच-पिच में दब गया है. अश्वमेध यज्ञ के ये पांच विग्रह हैं जिन पर राज्य सरकार का ध्यान तक नहीं है.

The historical heritage of Jaipur is being ignored
कल्कि मंदिर- बड़ी चौपड़ जयपुर

कल्कि मंदिर

राजधानी जयपुर में विश्व विरासत जैसे कई स्मारक हैं. लेकिन सरकार का उन पर उचित ध्यान नहीं है. कल्कि मंदिर विश्व का एकमात्र मंदिर है, जो भगवान विष्णु के दसवें अवतार का मंदिर है. जिसमें भगवान कल्कि का अश्व भी है. वो मंदिर जयपुर के बीच यानी बड़ी चौपड़ के करीब होने के बावजूद उसके बारे में जानकारी न के बराबर है. ये मंदिर कब और क्यों बनाया गया था, इस तक की जानकारी उपलब्ध नहीं है.

The historical heritage of Jaipur is being ignored
मानसिंह टाउन हॉल यानी पुरानी विधानसभा

सवाई मानसिंह टाउन हॉल

लंदन म्यूजियम के पैटर्न पर बना है जयपुर का सवाई मानसिंह टाउन हॉल. आमतौर पर जयपुर में भवन निर्माण में इमारतों में क्लासिकल गोलाई झलकती है. लेकिन टाउनहॉल पहला भवन था जिसके कोने हैं. बरसों तक यहां राजस्थान विधानसभा चलती रही. जैसे ही विधानसभा शिफ्ट हुई, उसके बाद से मानसिंह टाउन हॉल भी उजड़ गया. यहां एक म्यूजियम बनाने की लंबे समय से बात की जा रही है. लेकिन उसे धरातल पर नहीं उतारा गया.

पढ़ें-कोरोना के चलते जैसलमेर का पर्यटन व्यवसाय लॉक

गैटोर की छतरियां और महारानी की छतरियां

जयपुर के प्रोटेक्टिव मॉन्यूमेंट में शामिल गैटोर की छतरियां विश्व पटल पर ख्याति रखती हैं. लेकिन स्थानीय लोग तक इसके बारे में पूरी तरह से नहीं जानते. सवाई जयसिंह की समाधि स्थल पर उन से जुड़े कई चित्र बने हुए हैं, जिन का रखरखाव तक नहीं किया जाता. इसी तरह महारानी की छतरियां जहां राजमाता गायत्री देवी का अंतिम संस्कार किया गया था, उस दौरान ये छतरियां इंटरनेशनल मीडिया का केंद्र रहीं. उसके बाद वहां कभी-कभार विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं. जो जानने के इच्छुक होते हैं कि यहां कौन-कौन सी रानियों की छतरियां हैं. लेकिन कोई संतुष्टि पूर्ण जवाब नहीं मिल पाता.

The historical heritage of Jaipur is being ignored
गैटोर की छतरियां- पुरानी बस्ती जयपुर

जनाना ड्योढ़ी

जयपुर की जनाना ड्योढ़ी विश्व प्रसिद्ध रही है. मान्यता रही है कि चाइना के राज दरबार और मुगल हरम से भी बड़ी जयपुर की जनाना ड्योढ़ी थी. जिसमें बारहमासा के मंदिर थे और ऐसा मंदिर भी था जहां महिलाएं ही पुजारन होती थीं. वहां के भित्ति चित्र कंगूरे प्रसिद्ध थे. लेकिन विश्व विरासत में जुड़ने के बाद भी उनका कोई धणी-धोरी नहीं है.

राजधानी में न-न करते भी 108 से ज्यादा ऐसे मॉन्यूमेंट हैं, जिन का संरक्षण किया जाना चाहिए. विदेशी पर्यटक इन में रुचि दिखाता है, जयपुर से बाहर के पर्यटक इसमें रूचि दिखाते हैं. लेकिन सरकार की दृष्टि वहां तक नहीं पहुंच पाती.

जयपुर. सवाई जयसिंह द्वितीय ने जब 1727 में जयपुर शहर की नींव रखी थी, तब मुख्य उद्देश्य यही था कि यह शहर विश्व स्तर पर बसावट का एक मानक बने. इसी कारण यहां 9 चौकड़ी, 8 दरवाजे और 3 चौपड़ों की स्थापना की गई. आज भी जयपुर के कई स्मारक विश्व धरोहर का हिस्सा हैं. हालांकि कुछ स्थल ऐसे भी हैं, जहां पर्यटक तो पहुंचते हैं लेकिन राज्य सरकार उनको बिसरा चुकी है. जयपुर की अद्वितीय विरासतों की देख-रेख के बारे में ईटीवी भारत से खास बातचीत की इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने.

विश्व विरासत जयपुर को संभालने की जरूरत (भाग 1)

जयपुर का परकोटा

इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत के अनुसार जयपुर के चारों तरफ जो विशाल दीवार (परकोटा) बनी है, उसे विश्व विरासत में शामिल किया गया है. परकोटे का पिछला हिस्सा जो नाहरगढ़ की तलहटी में है, उसके बारे में राज्य सरकार सुध नहीं ले रही है. कहीं कहीं से यह परकोटा बिल्कुल छिन्न-भिन्न हो चुका है. इसी परकोटे पर अनेक स्थान पर अतिक्रमण कर लिया गया है.

The historical heritage of Jaipur is being ignored
अश्वमेघ यज्ञ के पांच मंदिरों में से एक- गढ़ गणेश

अश्वमेघ के पांचों मंदिर

सवाई जयसिंह के जीवन से जुड़ी प्रमुख घटनाओं में से एक है अश्वमेध यज्ञ. आधुनिक भारत में पहली बार यह यज्ञ करवाया गया था. अश्वमेध यज्ञ में पंच देव की उपासना की गई थी. इसी उपलक्ष्य में भगवान गणेश का गढ़ गणेश, दुर्गा माता का मंदिर सिटी पैलेस, सूर्य भगवान का मंदिर गलता जी, विष्णु जी का स्वरूप वर्धराज जी मंदिर और भगवान शिव का जागेश्वर महादेव मंदिर बनवाया गया. इनमें वर्धराज जी यज्ञ भूमि पर ही है. जिसे लोग जानते तक नहीं. यज्ञ भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है. यहां तक कि यहां मौजूद यज्ञ स्तूप तक को नहीं छोड़ा गया.

पढ़ें- Special: कोरोना की दूसरी लहर ने बिगाड़ा टूर एंड ट्रेवल्स उद्योग का गणित

गलताजी से भगवान सूर्य का मूल विग्रह चोरी हो चुका है. यह स्थान अपना प्राचीन स्वरूप भी खोता जा रहा है. सिटी पैलेस में दुर्गा माता मंदिर का कहीं जिक्र नहीं है. गढ़ गणेश मंदिर पर विनायक स्वरूप वाले गणेश जी की स्थापना की गई थी. ताकि भगवान गणेश की दृष्टि सदैव जयपुर पर पड़े. जागेश्वर महादेव मंदिर भी शहर की घिच-पिच में दब गया है. अश्वमेध यज्ञ के ये पांच विग्रह हैं जिन पर राज्य सरकार का ध्यान तक नहीं है.

The historical heritage of Jaipur is being ignored
कल्कि मंदिर- बड़ी चौपड़ जयपुर

कल्कि मंदिर

राजधानी जयपुर में विश्व विरासत जैसे कई स्मारक हैं. लेकिन सरकार का उन पर उचित ध्यान नहीं है. कल्कि मंदिर विश्व का एकमात्र मंदिर है, जो भगवान विष्णु के दसवें अवतार का मंदिर है. जिसमें भगवान कल्कि का अश्व भी है. वो मंदिर जयपुर के बीच यानी बड़ी चौपड़ के करीब होने के बावजूद उसके बारे में जानकारी न के बराबर है. ये मंदिर कब और क्यों बनाया गया था, इस तक की जानकारी उपलब्ध नहीं है.

The historical heritage of Jaipur is being ignored
मानसिंह टाउन हॉल यानी पुरानी विधानसभा

सवाई मानसिंह टाउन हॉल

लंदन म्यूजियम के पैटर्न पर बना है जयपुर का सवाई मानसिंह टाउन हॉल. आमतौर पर जयपुर में भवन निर्माण में इमारतों में क्लासिकल गोलाई झलकती है. लेकिन टाउनहॉल पहला भवन था जिसके कोने हैं. बरसों तक यहां राजस्थान विधानसभा चलती रही. जैसे ही विधानसभा शिफ्ट हुई, उसके बाद से मानसिंह टाउन हॉल भी उजड़ गया. यहां एक म्यूजियम बनाने की लंबे समय से बात की जा रही है. लेकिन उसे धरातल पर नहीं उतारा गया.

पढ़ें-कोरोना के चलते जैसलमेर का पर्यटन व्यवसाय लॉक

गैटोर की छतरियां और महारानी की छतरियां

जयपुर के प्रोटेक्टिव मॉन्यूमेंट में शामिल गैटोर की छतरियां विश्व पटल पर ख्याति रखती हैं. लेकिन स्थानीय लोग तक इसके बारे में पूरी तरह से नहीं जानते. सवाई जयसिंह की समाधि स्थल पर उन से जुड़े कई चित्र बने हुए हैं, जिन का रखरखाव तक नहीं किया जाता. इसी तरह महारानी की छतरियां जहां राजमाता गायत्री देवी का अंतिम संस्कार किया गया था, उस दौरान ये छतरियां इंटरनेशनल मीडिया का केंद्र रहीं. उसके बाद वहां कभी-कभार विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं. जो जानने के इच्छुक होते हैं कि यहां कौन-कौन सी रानियों की छतरियां हैं. लेकिन कोई संतुष्टि पूर्ण जवाब नहीं मिल पाता.

The historical heritage of Jaipur is being ignored
गैटोर की छतरियां- पुरानी बस्ती जयपुर

जनाना ड्योढ़ी

जयपुर की जनाना ड्योढ़ी विश्व प्रसिद्ध रही है. मान्यता रही है कि चाइना के राज दरबार और मुगल हरम से भी बड़ी जयपुर की जनाना ड्योढ़ी थी. जिसमें बारहमासा के मंदिर थे और ऐसा मंदिर भी था जहां महिलाएं ही पुजारन होती थीं. वहां के भित्ति चित्र कंगूरे प्रसिद्ध थे. लेकिन विश्व विरासत में जुड़ने के बाद भी उनका कोई धणी-धोरी नहीं है.

राजधानी में न-न करते भी 108 से ज्यादा ऐसे मॉन्यूमेंट हैं, जिन का संरक्षण किया जाना चाहिए. विदेशी पर्यटक इन में रुचि दिखाता है, जयपुर से बाहर के पर्यटक इसमें रूचि दिखाते हैं. लेकिन सरकार की दृष्टि वहां तक नहीं पहुंच पाती.

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