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छोटी काशी में मनाया जा रहा राधा अष्टमी का पर्व, सुहागिनों ने रखा व्रत

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Published : Sep 14, 2021, 9:57 AM IST

Updated : Sep 14, 2021, 2:02 PM IST

छोटी काशी में आज राधा अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में राधा जी का पंचामृत अभिषेक किया गया. महिलाओं ने अखंड सौभाग्य और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखा.

Govinddevji Temple, Festival of Radha Ashtami in Jaipur
छोटी काशी में मनाया जा रहा राधा अष्टमी का पर्व

जयपुर. छोटी काशी में आज राधा अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में राधा जी का पंचामृत अभिषेक किया गया. मंदिर में फूल बांदरवाल और गुब्बारों से सजावट की गई. साथ ही बधाई गान के साथ उछाल लुटाई गई. वहीं, महिलाओं ने अखंड सौभाग्य और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखा.

पढ़ें- Radha Ashtami 2021 आज: श्री कृष्ण की कृपा का बनना है पात्र तो धरें राधे रानी का ध्यान , जानिए Shubh Muhurat और जन्म से जुड़ी कथा

भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा अष्टमी यानी राधा रानी के प्राकट्य दिवस के रूप में आज शहर के कृष्ण मंदिरों में मनाया जा रहा है. द्वापर युग में इस तिथि पर देवी राधा का जन्म हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार राधाजी का जन्म माता के गर्भ से नहीं बल्कि वृषभानु जी की तपोभूमि से प्रकट हुई थी.

छोटी काशी में मनाया जा रहा राधा अष्टमी का पर्व

राधाष्टमी पर्व के मौके पर जयपुर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में विशेष साज-सज्जा के साथ राधा रानी का पंचामृत अभिषेक किया गया और आरती की गई. वहीं सुहागिनों ने व्रत भी रखा. मान्यता के अनुसार कृष्ण प्रिया राधा रानी के प्राकट्य दिवस पर व्रत रखने से भगवान कृष्ण भी प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल प्रदान करते हैं. इस व्रत को करने से धन की कमी नहीं होती और घर में बरकत बनी रहती है.

बता दें कि महिलाएं राधाजी की पूजा मध्याह्न के वक्त करती हैं. पूजन के बाद उपवास कर एक समय ही भोजन करती हैं. अगले दिन सुहागिन महिलाओं और ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद ही खुद प्रसाद के रूप में भोजन कर व्रत पूरा करती हैं.

जयपुर. छोटी काशी में आज राधा अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में राधा जी का पंचामृत अभिषेक किया गया. मंदिर में फूल बांदरवाल और गुब्बारों से सजावट की गई. साथ ही बधाई गान के साथ उछाल लुटाई गई. वहीं, महिलाओं ने अखंड सौभाग्य और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखा.

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भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा अष्टमी यानी राधा रानी के प्राकट्य दिवस के रूप में आज शहर के कृष्ण मंदिरों में मनाया जा रहा है. द्वापर युग में इस तिथि पर देवी राधा का जन्म हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार राधाजी का जन्म माता के गर्भ से नहीं बल्कि वृषभानु जी की तपोभूमि से प्रकट हुई थी.

छोटी काशी में मनाया जा रहा राधा अष्टमी का पर्व

राधाष्टमी पर्व के मौके पर जयपुर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में विशेष साज-सज्जा के साथ राधा रानी का पंचामृत अभिषेक किया गया और आरती की गई. वहीं सुहागिनों ने व्रत भी रखा. मान्यता के अनुसार कृष्ण प्रिया राधा रानी के प्राकट्य दिवस पर व्रत रखने से भगवान कृष्ण भी प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल प्रदान करते हैं. इस व्रत को करने से धन की कमी नहीं होती और घर में बरकत बनी रहती है.

बता दें कि महिलाएं राधाजी की पूजा मध्याह्न के वक्त करती हैं. पूजन के बाद उपवास कर एक समय ही भोजन करती हैं. अगले दिन सुहागिन महिलाओं और ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद ही खुद प्रसाद के रूप में भोजन कर व्रत पूरा करती हैं.

Last Updated : Sep 14, 2021, 2:02 PM IST
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