जयपुर. प्रदेश में अगले साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं. क्योंकि छात्रसंघ चुनाव (student union elections) में प्रदेश के दोनों बड़े राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच सीधा मुकाबला होता है, ऐसे में इस चुनाव को विधानसभा चुनाव का आईना भी कहा जाता है. इन चुनावों में ये भी पता चलता है कि हवा का रुख किस तरफ है.
प्रदेश में 11 सरकारी विश्वविद्यालय और 439 सरकारी कॉलेजों में 8 लाख से ज्यादा वोटर हैं. ये सभी विधानसभा चुनाव में वोट डालने के लिए अधिकृत हैं. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों राजनीतिक दलों का इन चुनावों पर (political parties on student union election) फोकस है. दोनों दल अपने-अपने संगठनों को सपोर्ट भी करने में लगे हैं.
पढ़ें. RUSU Election 2022, शॉर्ट वीडियो और रील्स से सोशल मीडिया पर प्रचार
राजस्थान यूनिवर्सिटी सहित प्रदेश की विभिन्न यूनिवर्सिटी और कॉलेजों ने देश की राजनीति को कई दिग्गज राजनेता दिए हैं. कुछ ऐसे हैं जो वर्तमान सरकार में मंत्री पद पर भी हैं और कुछ पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे हैं. 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने के लिए ये जी जान लगा रहे हैं, लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि राजस्थान विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के दूसरे विश्वविद्यालय और कॉलेजों में होने वाले छात्रसंघ चुनाव विधानसभा चुनाव की तस्वीर भी कापी हद तक साफ कर देते हैं. ये बात तय है कि युवाओं का वोट ही राजनीतिक दल की हार या जीत की गणित तय करता है. ऐसे में प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दल छात्रसंघ चुनाव पर टकटकी लगाए बैठे हैं.
कैम्पस की सरकार को देश का भविष्य चुनकर तैयार करेगा
राजस्थान में छात्र राजनीति के लिये शुक्रवार का दिन अहम साबित होने वाला है. कैम्पस की सरकार को देश का भविष्य चुनकर तैयार करेगा. साल 2023 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में इस मर्तबा और अगली दफा होने वाले चुनाव अगले पांच साल में राजस्थान की सियासत का आईना बनकर पेश होंगे. जाहिर है कि ऐसे दौर में राजनीतिक दलों की दिलचस्पी भी इन चुनावों में होगी. खास तौर पर भारतीय जनता पार्टी के अग्रिम छात्र संगठन ABVP, कांग्रेस के NSUI के साथ ही राजस्थान में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही जननायक जनता पार्टी INSO और वामदलों के SFI ने अपनी नुमाइंदगी के लिये चेहरे और मोहरे मैदान पर बैठा दिए हैं. इन सबके बीच अब नेताओं का इंतजार है कि ये दल नतीजों के जरिये आगे की राजनीति की राह को तैयार करें. कुछ ने सीधे तौर पर एंट्री लेकर इन छात्र संघों के चुनावों में दिलचस्पी दिखाना शुरु कर दिया है, तो कुछ ने पर्दे के पीछे बैठकर किंग मेकर की भूमिका को चुना है.
ये दिग्गज मैदान में
इन चुनावों की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी होता है कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया खुलकर वोट अपील कर रहे हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे और आरसीए अध्यक्ष वैभव गहलोत भी प्रचार मैदान में हैं. विधायक मुकेश भाकर निर्दलीय प्रत्याशी को रणनीति समझा रहे हैं तो वहीं मंत्री मुरारीलाल मीणा की बेटी निहारिका अपनी राजनीति रूपरेखा को संवारने में जुटी हुई है. इसी तरह राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल ने भी आरयू के कैंपस में अपनी दिलचस्पी दिखाई है.
प्रदेश की इन यूनिवर्सिटी और कॉलेज के मतदान पर ज्यादा फोकस
यूनिवर्सिटी या कॉलेज का नाम | कुल मतदाता |
राजस्थान यूनिवर्सिटी | 20770 |
जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर | 17400 |
मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी उदयपुर | 13572 |
बाबू शोभाराम कला महाविद्यालय अलवर | 6200 |
महारानी श्री जया कॉलेज भरतपुर | 5950 |
महारानी कॉलेज जयपुर | 4940 |
डूंगर कॉलेज बीकानेर | 9134 |
गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज कोटा | 6959 |
जेडीबी आर्ट्स कॉलेज कोटा | 4848 |
सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय अजमेर | 7135 |
एसके गर्ल्स कॉलेज सीकर | 4897 |
इन यूनिवर्सिटी में एक नगर पालिका की जनसंख्या से ज्यादा मतदाता हैं. वहीं कॉलेजों में ग्राम पंचायत की जनसंख्या से ज्यादा वोटर हैं. खास बात ये है कि ये सभी मतदाता एक ही आयु वर्ग के हैं, युवा हैं और जो देश का भविष्य कहलाते हैं. या यूं कहें कि ये युवा शक्ति राजनीतिक तराजू के जिस पलड़े पर बैठती है. सत्ता की कुर्सी उसी तरफ झुक जाती है. ऐसे में 27 अगस्त को प्रदेश के इन 11 यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के छात्रसंघ चुनाव परिणाम पर न सिर्फ छात्र संगठनों की बल्कि राजनीतिक दलों की भी बराबर नजरें गड़ी रहेंगी.
छात्रसंघ चुनाव में खर्च हो रहे लाखों
छात्रसंघ चुनाव में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के मद्देनजर प्रत्याशी अधिकतम ₹5000 ही खर्च कर सकता है, लेकिन विश्वविद्यालय में चुनाव के दौरान गाड़ियों के रेले से लेकर चुनाव कार्यालय और वहां लग रहे लंगर पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. यही नहीं छात्र नेता मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए उनके मनोरंजन पर भी खर्च कर रहे हैं. फिर चाहे रिसॉर्ट और पिकनिक स्पॉट पर ले जाना हो, या फिर मल्टीप्लेक्स में मूवी दिखाना. छात्र नेता खुद भले ही अभी एक टाइम का भोजन कर रहे हों लेकिन समर्थकों को दोनों टाइम देसी घी में बना भोजन करा रहे हैं. एक प्रत्याशी के लंगर में तो समर्थकों को हुक्का भी परोसा गया.
छात्रसंघ चुनाव में उम्मीदवारों के चुनाव कार्यालयों पर समर्थकों के लिए लंगर चल रहे हैं. जिस प्रत्याशी के लिए उसके समर्थक दिन रात एक कर वोट मांग रहे हैं उनके लिए खाने-पीने की भी यहां व्यवस्था रहती है. यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों ने पंडालों में कई दिन से लंगर चला रखें हैं. हर दिन सुबह-शाम 1000-1200 छात्रों के लिए नाश्ता, लंच और डिनर बन रहा है. यही नहीं इन्हीं लंगर में से वोटर्स तक को भी टिफिन पैक होकर पहुंच रहे हैं.