जयपुर. कोरोना संक्रमण के इस दौर में आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए केंद्र सरकार ने किसानों के लिए आर्थिक राहत पैकेज में से कई घोषणाएं की हैं. 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज में से किसान वर्ग के लिए हुई इन बड़ी घोषणाओं में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों को आर्थिक मदद मुहैया करवाने का रास्ता खोल दिया है. वहीं कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि किसान को कुछ अन्य सुझाव के साथ-साथ धरातल पर सहयोग की आवश्यकता है. जिनके जरिए सशक्त कृषक उन्नत होकर देश के विकास में भागीदार बन सकता है. वहीं ईटीवी भारत ने कृषि विशेषज्ञ शरद शर्मा से बात की, जिन्होंने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं.
भारत कृषि के साथ-साथ पशुपालक आधारित अर्थव्यवस्था पर भी टिका हुआ है. राजस्थान के लिहाज से बात की जाए तो पशुपालन में प्रदेश देश में अव्वल स्थान रखता है. लिहाजा, किसान की आर्थिक तरक्की का रास्ता पशुपालन के जरिए भी खुलता है, लेकिन लॉकडाउन के इस दौर में पशुधन आधारित व्यवसाय भी घाटे का सौदा साबित हो रहा है. पशुओं से मिलने वाले दुग्ध उत्पादों की बिक्री नहीं होने के कारण किसान घाटे को झेल रहे हैं.
अपने स्तर पर ही दुग्ध उत्पादों की करें प्रोसेसिंग कर विक्रय
इसी तरह से पशुपालन के अन्य जरिए भी फिलहाल, मंदी की मार का सामना कर रहे हैं. ऐसे में कृषि विशेषज्ञ शरद शर्मा का सुझाव है कि किसानों को अपने स्तर पर ही दुग्ध उत्पादों की प्रोसेसिंग करके उनका विक्रय करना चाहिए. जिससे उन पर मंदी की मार देखने को ना मिले. दूध के जरिए भी दही और छाछ का किसान आसानी से उत्पादन कर सकते हैं. इसी प्रकार से पनीर भी तैयार किया जा सकता है और किसान इसे नजदीक के बाजार में खुले में बेचकर भी अपने घाटे की भरपाई कर सकते हैं.
उन फसलों को बोएं, जिनका भंडारण आसान
शरद शर्मा का कहना है कि किसानों को मौजूदा व्यवस्था के बीच खरीफ की फसल के लिए अगर तैयारी करनी है तो इस बार सब्जी और व्यवसायिक फसलों की जगह खाद्यान्न आधारित उन फसलों को बोने के लिए तवज्जो देनी होगी. जो आसानी से भंडारण का हिस्सा बन सकती है. साथ ही जिन फसलों का लंबे समय तक खराब होने का डर नहीं रहता है. उन्होंने बताया कि बाजरे के साथ-साथ किसान को खरीफ की फसल के लिए मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, दलहन में मूंग, मोठ और गवार का उत्पादन करना चाहिए. यह फसलें सरकारी रेट पर खरीदी भी जा सकेंगी.
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इनका आसानी से किसान अपने घर में भी भंडारण कर सकते हैं. फिर भी अगर जगह की कमी है तो राज्य या केंद्र के भंडारण निगम में इन्हें रखकर किसान खराब होने से बचा सकता है. शरद शर्मा ने सुझाव दिया कि पशुधन के लिए यह सब फसलें चारा उपलब्ध करवाने का जरिया भी बन सकती है. जिससे किसान की लागत भी कम हो जाएगी और मुनाफे में इजाफा होगा.
सरकार किसानों पर दे विशेष ध्यान
शर्मा ने बताया कि सरकार को किसान पर विशेष ध्यान देना चाहिए. खासतौर पर अब जब मंडियां बंद हैं तो काश्तकर अपने जींस को बेचने के लिए परेशानी झेल रहे हैं. इस साल रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. ऐसे में सरकार को कम से कम एमएसपी पर एक लाख मैट्रिक टन अनाज की खरीद करनी चाहिए.
साथ ही खरीफ की फसल के लिए मिलने वाले मुफ्त बीच की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जाए. साथ ही बाजार में उपलब्ध बीज कम से कम दामों में किसान को उपलब्ध हो, इसका भी विशेष तौर पर ध्यान रखा जाए. साथ ही साथ समय-समय पर सरकार द्वारा बीज वितरण की मॉनिटरिंग की व्यवस्था भी की जाए.