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जयपुर: ठाकुरजी को चांदी के रथ पर विराजमान कर मंदिर परिसर में निकाली सवारी

छोटी काशी जयपुर में पुरी की तर्ज पर निकलने वाली रथयात्रा के दिवस ही मंगलवार को आराध्य देव गोविंदेव जी समेत कई मंदिरों में रथयात्रा महोत्सव का आयोजन किया गया. गोविंदेव जी मंदिर में महंत अंजन गोस्वामी के सानिध्य में ठाकुरजी का अभिषेक कर गर्भ गृह के पश्चिमी द्वार से निज मंदिर की परिक्रमा कराई गई.

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Published : Jun 24, 2020, 2:53 AM IST

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चांदी के रथ पर विराजे गौर गोविंद की मंदिर परिक्रमा

जयपुर. छोटी काशी जयपुर में पुरी की तर्ज पर निकलने वाली रथयात्रा के दिवस ही मंगलवार को आराध्य देव गोविंदेव जी समेत कई मंदिरों में रथयात्रा महोत्सव का आयोजन किया गया. मंत्रोच्चार और दर्शनों के आह्वान के बीच ठाकुरजी का अभिषेक कर उन्हें चांदी के रथ में विराजमान किया. मंदिरों के पट बंद होने से मंदिर परिसर में ही उनकी सवारी निकाली गई.

पश्चिमी द्वार से निज मंदिर की परिक्रमा कराई

गोविंदेव जी मंदिर में महंत अंजन गोस्वामी के सानिध्य में ठाकुरजी का अभिषेक कर गर्भ गृह के पश्चिमी द्वार से निज मंदिर की परिक्रमा कराई गई. चांदी के रथ में गौर गोविंद के विग्रह विराजमान कर मंदिर के सेवक हरिनाम संकीर्तन के साथ परिक्रमा कराते रहे. वही मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी और प्रबंधक मानस गोस्वामी ने ठाकुरजी के रथ को खींचा. चार परिक्रमा कर गौर गोविंद को पुनः गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया.

पढ़ें: कोरोना के चलते टूटी सालों पुरानी परंपरा, मंदिर प्रांगण में ही निकाली गई भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

लॉकडाउन के कारण श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश निषेध रहा. हालांकि श्रदालुओं ने इस उत्सव के दर्शन मंदिर की वेबसाइट पर ऑनलाइन किए. गौर गोविंद का विग्रह अष्टधातु का है, जो गोविंददेव जी के दांयी और प्रतिष्ठित रहता है. यह विग्रह गौरांग महाप्रभु ने उड़ीसा के निलांचल में अपने प्रिय काशीश्वर पंडित के साथ वृंदावन में अपने प्रिय शिष्य गोस्वामी के पास भिजवाया था. गोविंददेव मातहत भरतपुर के कांमा मंदिर परिसर में भी प्रतीकात्मक रथ यात्रा निकाली गई थी.

वहीं इसी तरह जयपुर के राधा दामोदरजी मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, सरस निकुंज मंदिर में भी रथ यात्रा महोत्सव मनाया गया. द्वारकाधीश मंदिर में ठाकुरजी का विशेष श्रृंगार किया गया. इसके बाद भजन-पूजन और मंत्रोच्चार के बीच रथयात्रा का स्वरूप तैयार कर परिक्रमा को मूर्त रूप दिया गया. वहीं चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदरजी मंदिर में ठाकुरजी का अभिषेक कर उन्हें चांदी के रथ में विराजित किया गया और इसके बाद रथयात्रा निकाली गई. सरस निकुंज मंदिर में ठाकुरजी को केसर चंदन व नवीन पोशाक धारण कराई गई. ठाकुरजी को विविध लाड सेवा करते हुए मधुर व्यंजन भोग अर्पण किया गया.

जयपुर. छोटी काशी जयपुर में पुरी की तर्ज पर निकलने वाली रथयात्रा के दिवस ही मंगलवार को आराध्य देव गोविंदेव जी समेत कई मंदिरों में रथयात्रा महोत्सव का आयोजन किया गया. मंत्रोच्चार और दर्शनों के आह्वान के बीच ठाकुरजी का अभिषेक कर उन्हें चांदी के रथ में विराजमान किया. मंदिरों के पट बंद होने से मंदिर परिसर में ही उनकी सवारी निकाली गई.

पश्चिमी द्वार से निज मंदिर की परिक्रमा कराई

गोविंदेव जी मंदिर में महंत अंजन गोस्वामी के सानिध्य में ठाकुरजी का अभिषेक कर गर्भ गृह के पश्चिमी द्वार से निज मंदिर की परिक्रमा कराई गई. चांदी के रथ में गौर गोविंद के विग्रह विराजमान कर मंदिर के सेवक हरिनाम संकीर्तन के साथ परिक्रमा कराते रहे. वही मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी और प्रबंधक मानस गोस्वामी ने ठाकुरजी के रथ को खींचा. चार परिक्रमा कर गौर गोविंद को पुनः गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया.

पढ़ें: कोरोना के चलते टूटी सालों पुरानी परंपरा, मंदिर प्रांगण में ही निकाली गई भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

लॉकडाउन के कारण श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश निषेध रहा. हालांकि श्रदालुओं ने इस उत्सव के दर्शन मंदिर की वेबसाइट पर ऑनलाइन किए. गौर गोविंद का विग्रह अष्टधातु का है, जो गोविंददेव जी के दांयी और प्रतिष्ठित रहता है. यह विग्रह गौरांग महाप्रभु ने उड़ीसा के निलांचल में अपने प्रिय काशीश्वर पंडित के साथ वृंदावन में अपने प्रिय शिष्य गोस्वामी के पास भिजवाया था. गोविंददेव मातहत भरतपुर के कांमा मंदिर परिसर में भी प्रतीकात्मक रथ यात्रा निकाली गई थी.

वहीं इसी तरह जयपुर के राधा दामोदरजी मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, सरस निकुंज मंदिर में भी रथ यात्रा महोत्सव मनाया गया. द्वारकाधीश मंदिर में ठाकुरजी का विशेष श्रृंगार किया गया. इसके बाद भजन-पूजन और मंत्रोच्चार के बीच रथयात्रा का स्वरूप तैयार कर परिक्रमा को मूर्त रूप दिया गया. वहीं चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदरजी मंदिर में ठाकुरजी का अभिषेक कर उन्हें चांदी के रथ में विराजित किया गया और इसके बाद रथयात्रा निकाली गई. सरस निकुंज मंदिर में ठाकुरजी को केसर चंदन व नवीन पोशाक धारण कराई गई. ठाकुरजी को विविध लाड सेवा करते हुए मधुर व्यंजन भोग अर्पण किया गया.

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