जयपुर. राज्य सरकार के वेतन कटौती के आदेश के बाद अन्य कर्मचारी संगठनों के साथ शिक्षक भी इसके विरोध में उतर आए हैं. राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय ) की ओर से वेतन कटौती का विरोध जताते हुए आंदोलन शुरू कर दिया गया है. संगठन की ओर से ब्लॉक स्तर पर उपखंड अधिकारियों को वेतन कटौती के खिलाफ ज्ञापन दिए जा चुके हैं. संगठन ने वेतन कटौती का आदेश वापस नहीं लेने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है.
राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नवीन शर्मा ने बताया कि कोरोना काल में शिक्षकों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक तो कोरोना काल में शिक्षकों को काम करना पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर सरकार ने शिक्षकों के वेतन कटौती के आदेश भी जारी कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना शिक्षक संगठनों की राय लिए वेतन कटौती का आदेश जारी किया है. शिक्षकों के भी एक-दो दिन के वेतन की कटौती की जाएगी. राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय इसका पुरजोर विरोध करता है.
उन्होंने कहा कि जब भी राष्ट्रीय आपदा आई है, तब राज्य कर्मचारियों ने पूरी तरह से सरकार का साथ दिया है. कटौती एक युक्ति युक्त तरीके से होनी चाहिए, यह कटौती अनिश्चितकाल के लिए की जा रही है. उन्होंने कहा कि मार्च में भी 16 दिन का वेतन काट लिया गया, जिसे वापस देने का फिलहाल कोई समय निश्चित नहीं है. उपार्जित अवकाश नकदीकरण पर भी रोक लगा दी गई है. उसका भी शिक्षक संगठन की ओर से विरोध किया गया है. नवीन शर्मा ने कहा कि शिक्षकों के पास अपने वेतन के अलावा आय का कोई जरिया नहीं होता. वेतन कटौती से उनका का बजट बिगड़ गया है.
नवीन शर्मा ने बताया कि विरोध के रूप में उपखंड स्तर पर पहले भी ज्ञापन दिया था. इसके अलावा मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और मुख्य सचिव को भी ईमेल के जरिए वेतन कटौती को लेकर विरोध जताया जाएगा. यदि फिर भी सरकार ने हमारी मांगों की तरफ ध्यान नहीं दिया तो हमारे आंदोलन को उग्र और तेज करना पड़ेगा, जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी.
राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय की ओर से आरोप लगाया गया है कि मनमाने तरीके से राशि वसूल कर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है. वित्तीय आपातकाल घोषित किए बिना वेतन कटौती संविधान के अनुच्छेद 21 व 300 ए के विपरीत है. संगठन की प्रदेश महिला मंत्री डॉ. अरुणा शर्मा ने बताया कि कोविड-19 महामारी के नाम पर शिक्षकों के वेतन कटौती व अन्य भुगतान पर रोक लगाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के विपरीत है. वर्तमान में प्रदेश की आर्थिक स्थिति अभी सामान्य है. ऐसे में वित्तीय आपातकाल घोषित किए बिना वेतन की कटौती करना संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है.
शिक्षकों ने बताया कि कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए शिक्षकों को बिना किसी सुरक्षा साधनों के घर-घर जाकर सर्वे करने, विद्यार्थियों के प्रवेश दिलाने और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तरह-तरह की बेगार जैसे कार्य करने पड़ रहे हैं. बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन की चौकीदारी, चालान काटने जैसे कार्य भी शिक्षकों से कराए जा रहे हैं. कोरोना काल में सार्वजनिक यातायात नहीं होने के बावजूद भी राज्य के गांव व ढाणी में शिक्षकों ने सरकार के निर्देशों पर कार्यक्रमों में मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी दी है, इसके बावजूद भी वेतन कटौती करना सही नहीं है.